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योगी सरकार की मानदेय बढ़ोत्तरी की घोषणा पर अब तक नहीं बढ़ी कार्यवाही, शिक्षामित्रों मे बढ़ने लगी निराशा


मधुसूदन सिंह 

बलिया।। उत्तर प्रदेश सरकार ने 7 मार्च 2025 को यह घोषणा की थी कि सरकार ने राज्य के शिक्षामित्रों और अनुदेशकों के मानदेय में वृद्धि करने का निर्णय लिया है, जिससे लगभग 1.50 लाख शिक्षामित्र और 22,223 अनुदेशक लाभान्वित होंगे। इस कदम से राज्य के शिक्षा क्षेत्र में कार्यरत कर्मियों की आर्थिक स्थिति में सुधार होने की उम्मीद है। लेकिन आजतक यह घोषणा मात्र घोषणा बन कर ही रह गयी है। इस को अबतक कैबिनेट के समक्ष पेश न करने से शिक्षामित्रों को जो बेहतर जीवन की कुछ आस जगी थी, वह धीरे धीरे निराशा मे बदल रही है। शिक्षामित्रों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि प्राथमिक शिक्षा की रीढ़ बन चुके शिक्षामित्रों की रीढ़ की हड्डी पारिवारिक जिम्मेदारियों के बोझ से टेढ़ी होती जा रही है। आज की इस डायन महंगाई के दौर मे 10 हजार रूपये मे बीबी बच्चों के साथ जीवन गुजारना मुश्किल हो गया है। सरकार की घोषणा से कुछ उम्मीद बधी थी जो अब टूटने लगी है। कहा कि लगता है अगले चुनाव से पहले बढ़ा हुआ मानदेय मिलना मुश्किल है।

50 पार के हुए अधिकतर शिक्षामित्र 

2001 मे जिस जूनून व हौसले से नवजवान शिक्षामित्रों ने शिक्षक के रूप मे अपनी जिंदगी की शुरुआत की तो इन्हे लगा था कि अब इनको जीवन मे किसी भी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। धीरे धीरे मानदेय के बढ़ने के बाद इनके जीवन मे वो सुनहरा पल भी आ गया जब इनको बसपा सरकार ने 124000 शिक्षामित्रों को टीचर की ट्रेनिंग दिलाने का काम किया और इनको सहायक अध्यापक बनाने का ऐलान किया। बसपा सरकार के जाने के बाद आयी अखिलेश सरकार ने ट्रेनिंग कर चुके शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक के रूप मे समायोजित कर दिया। लेकिन यही से शिक्षामित्रों का दुर्भाग्य भी रास्ता रोक कर खड़ा हो गया और इनको सबसे पहले आनंद यादव नामक याचिका कर्ता की याचिका पर इलाहबाद उच्च न्यायालय ने और बाद मे सर्वोच्च न्यायालय ने भी 25 जुलाई 2017 को इलाहबाद उच्च न्यायालय के निर्णय को बरकरार रखते हुए शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापक के पद पर समायोजन को रद्द कर दिया। तब से शिक्षामित्र सरकार के द्वारा घोषित स्कील लेबर की मजदूरी से भी कम पर शिक्षक के रूप मे काम कर रहे है। अधिकांश शिक्षामित्रों की उम्र 50 साल से ऊपर हो गयी है। बच्चे बड़े हो गये है। किसी की शादी करनी है तो किसी को उच्च शिक्षा दिलानी है। लेकिन इनके बाद ढंग से जीवन निर्वाह का मानदेय ही नहीं है तो उपरोक्त कार्यों को कैसे करेंगे भगवान ही मालिक है।


                       क्या हुई है घोषणा 

वर्तमान में, शिक्षामित्रों को प्रति माह ₹10,000 का मानदेय मिलता है, जबकि अनुदेशकों को ₹9,000 प्रति माह दिया जाता है। सरकार के नए प्रस्ताव के अनुसार, शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाकर ₹17,000 से ₹20,000 प्रति माह किया जाएगा, जबकि अनुदेशकों का मानदेय ₹22,000 प्रति माह तक हो सकता है।




   सरकार ने कहा था कि जल्द शुरू होंगी प्रस्ताव की तैयारी और मंजूरी की प्रक्रिया

सरकार ने कहा था कि उच्च स्तर पर सहमति बनने के बाद, इस प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया जा रहा है। जल्द ही इसे मंजूरी के लिए कैबिनेट को भेजने की तैयारी है। वित्त विभाग ने इस संबंध में प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशानुसार, न्यूनतम मजदूरी की दर से या उससे कम वेतन पाने वाले संवर्गों के कर्मियों को एक समान वेतन देने की योजना बनाई गई है।



           वेतन वृद्धि के ये मिलेंगे अतिरिक्त लाभ

सरकार ने कहा था कि वेतन वृद्धि के साथ ही, शिक्षामित्रों और अनुदेशकों को हर तीन वर्षों में वेतन वृद्धि की सुविधा भी प्रदान की जाएगी। इसके अलावा, शिक्षामित्रों को उनके मूल विद्यालयों में वापसी और अंतर-जनपदीय स्थानांतरण की सुविधा भी दी गई है, जिससे वे अपने गृह जनपद में कार्य कर सकेंगे।