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ठाकुरों पर कंट्रोल करने की चाल, पियरका चाचा के जहरीले बोल और बेरोजगारी ने किया बीजेपी का बेड़ागर्क

 

 


मधुसूदन सिंह 

बलिया।। चार सौ पार का नारा और मोदी की गारंटी देकर चुनावी समर मे उतरने वाली बीजेपी सपने मे भी नहीं सोची होगी कि उसको जनता इस लायक भी नहीं समझेगी कि अपने बलबूते सरकार बना सकें। पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो खुले जंगल मे विचरने वाले शेर, अब पिजड़े मे बंद शेर की तरह हो गये है। पहली बार ये ब्लैकमेलिंग कों झेलेंगे, चाह कर भी सहयोगियों की नाजायज मांगो कों भी कुर्सी बचाने की खातिर श्री मोदी मानने कों विवश होंगे।

आइये अब नजर डालते है कि ऐसे हालात आये क्यों? दरअसल यूपी के सीएम योगी के बढ़ते कद से गुजरात लाबी बहुत परेशान है। यूपी मे ही सीएम योगी कों व्यस्त करने के लिये और ठाकुरों की हिस्सेदारी कों कम करके योगी जी के ऊपर प्रेशर डालने के लिये गुजरात लॉबी की चाल ही उल्टी पड़ गयी। यूपी मे ठाकुरों ने ही गुजरात लॉबी की बैंड बजा दी। ठाकुरों कों केवल गुजरात लॉबी ने ही नाराज नहीं किया बल्कि पियरका चाचा के जहरीले बोल ने भी बीजेपी कों बड़ा नुकसान पहुंचाया है। पियरका चाचा के राजाओं की रानियों की नजबंदी करने वाले भाषण मे ऐसा असर किया कि ठाकुरों ने घोसी मे पियरका चाचा कों ऐसा सबक सिखाया है कि इन्होंने तो नसबंदी की बात की थीं, घोसी के ठाकुरों ने तो बच्चेदानी ही ऑपरेशन करके निकाल दिया।

बीजेपी से बेरोजगार नौजवानों की एक बड़ी फ़ौज भी नाराज चल रही है, जिसने नौकरी न मिलने से बीजेपी के खिलाफ मतदान किये है। वही व्यापारी वर्ग भी निरंकुश टैक्स अधिकारियों से परेशान होकर विरोध मे मत डाले है। इसके साथ ही इस सरकार मे प्रशासनिक अधिकारी जितने बेलगाम है, उसका भी असर इस बार मतदान मे पड़ा है।बीजेपी कों यह भी सोचना पड़ेगा कि मुफ्त मे राशन से एक पीढ़ी आलसी बनती जा रही है, और ऐसे लोगों कों कोई इससे ज्यादे देने का लालच दे देगा तो ये उसकी हो जायेगी। ये लालची जमात किसी की नहीं होती है। बीजेपी कों मुफ्तखोरो की फ़ौज बढ़ाने से बचते हुए मेहनतकशो की फ़ौज कैसे खड़ी हो इस पर मनन चिंतन करना चाहिये। अगर ऐसा नहीं हुआ तो इस चुनाव से भी बड़ा झटका लग जायेगा। बड़बोले नेताओं पर अंकुश लगाना पड़ेगा।