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अपनों ने ही लुटा, गैरों मे कहां दम था..........



नीरज शेखर की हार की समीक्षा 

मधुसूदन सिंह 

बलिया।। 

अपनों ने ही लूटा, गैरों मे कहां दम था।

मेरी कस्ती वही डूबी, जहां पानी कम था।। 

जीहां, उपरोक्त पंक्तियां, भारतीय जनता पार्टी के बलिया लोकसभा प्रत्याशी नीरज शेखर की हार पर सटीक बैठ रही है। नीरज शेखर की हार प्रत्यक्ष रूप से सपा प्रत्याशी सनातन पाण्डेय के हाथों हुई है लेकिन हकीकत मे यह हार भाजपा के नेताओं के हाथों ही अप्रत्यक्ष रूप से हुई  है। सनातन पाण्डेय कों 467068  और नीरज शेखर कों 423684  मत मिले है। सनातन पाण्डेय ने 43384 मतों से जीत हासिल की है। वैसे इस जीत के बाद भी सनातन पाण्डेय अपने पिछले रिकॉर्ड कों दुहरा नहीं पाये और 2019 मे 467694 मतों से 627 मत कम पाये है लेकिन इस बार जीत मिल गयी है।

वही बीजेपी प्रत्याशी नीरज शेखर 2019 मे वीरेंद्र सिंह मस्त द्वारा प्राप्त 469114 से 45430 मत कम प्राप्त किये. जबकि पिछले विधानसभा चुनाव बीजेपी द्वारा इस लोकसभा मे प्राप्त 397237 से 26447 मत ज्यादे पाये है। नीरज शेखर एक सौम्य स्वभाव के नेता माने जाते है। इनके साथ लोग साथ रहकर इनको अंदर से जमकर लहूलुहान करते रहे लेकिन ये जान नहीं पाये कि क्या हो रहा है। बैरिया मे पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह की वापसी से लगा था कि इस बार बैरिया से बीजेपी कों ज्यादे वोट मिलेगा। लेकिन इनके आने के बाद एक जाति विशेष के नेता और श्री सिंह के विरोधियों ने ऐसी व्यूह रचना कि जिससे निरपराध अभिमन्यु (नीरज शेखर ) की राजनैतिक हत्या इस विधानसभा मे कर दी गयी और यहां से नीरज शेखर पिछड़ गये।

बीजेपी नेताओं कों भरोसा था कि बलिया सदर विधानसभा से भारी बढ़त मिल जायेगी लेकिन यहां भी अपनों ने जो भीतरघात किया कि बढ़त तो मिली लेकिन मामूली। यहां बीजेपी पिछले विधानसभा चुनाव जितना भी मत नहीं प्राप्त कर पायी जबकि इस विधानसभा मे समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता पूर्व मंत्री नारद राय बीजेपी मे शामिल होकर पुरजोर मेहनत किये। नारद राय के आने के बाद ज़ब मामूली बढ़त मिली तो समझ जाइये, अपनों ने कितना भीतरघात किया था।यहां पन्ना प्रमुख लोगों ने जमकर भीतरघात किया है।

फेफना विधानसभा भी भीतरघात से अछूता नहीं रहा। यह पूर्व मंत्री उपेंद्र तिवारी का क्षेत्र है और ये इस बार टिकट के दावेदार भी थे। ऐसे मे बीजेपी के मतों मे गिरावट कों उपेंद्र तिवारी भी रोकने मे असफल रहे। यहां चुनाव से पहले ही लगने लगा था कि यहां से समाजवादी पार्टी कों बढ़त मिलेगी और मिल भी गयी। यहां पन्ना प्रमुखों ने मेहनताना लेने के बाद भी जमकर बीजेपीके खिलाफ वोटिंग करायी है। अब आप खुद समझिये कि पन्ना प्रमुख किसने बनाया था।

मुहम्मदाबाद मे पहले से ही आशंका थीं कि मुख़्तार अंसारी प्रकरण बीजेपी कों बढ़त नहीं लेने देगा और हुआ भी यही। लेकिन सभी कों जहुराबाद से काफी उम्मीदें थीं। क्योंकि कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर यही से विधायक है। लेकिन यह ध्यान देने वाली बात किसी ने भी गौर नहीं कि थीं कि ओमप्रकाश राजभर कों जिताने मे अफजाल अंसारी परिवार का पूरा हाथ था, जो इस बार विरोध मे था। साथ ही ओमप्रकाश राजभर की ठाकुरों के प्रति अमर्यादित टिप्पणी आग मे घी जैसे काम किया और इस विधानसभा से सपा बड़ी बढ़त हासिल कर ली।

जीत हार राजनीति मे होती रहती है लेकिन अगर भविष्य मे ऐसी परिस्थिति न आये, इसके लिये आस्तीन के सर्प, कौन कौन से है, कों चिन्हित करना ही एक चतुर राजनेता की पहचान होती है।l

 बलिया एक्सप्रेस ने टिकट मिलने के बाद यह लिख दी थीं बात 

 2019 के बाद से बीजेपी का बलिया लोकसभा मे ग्राफ नीचे आया है। 2019 के लोकसभा चुनाव मे वीरेंद्र सिंह मस्त ने जितना 469114 मत पाया था,2023 के विधानसभा चुनाव मे इस लोकसभा मे बीजेपी को 397237 मत ही मिले है। यानी बीजेपी को 69357 मत कम मिले है। अगर इस बार हम ओमप्रकाश राजभर के नाम पर 50 हजार मत जोड़ दे तो भी बीजेपी 19 हजार से अधिक मतों के घाटे मे दिख रही है।

वही 2019 के लोकसभा चुनाव मे समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सनातन पांडेय ने 453595 मत प्राप्त किया था और 15519 मत से चुनाव हार गये थे। पिछले विधानसभा चुनाव मे बलिया लोकसभा मे समाजवादी पार्टी ने 467694 मत पाया है यानी पिछले लोकसभा चुनाव से 69357 मत अधिक। ऐसे मे इस चुनाव मे बलिया मोदी जी के चेहरे के खिलाफ मतदान करता हुआ दिख रहा है। अब चुनाव के दिन तक क्या समीकरण बैठता है, कहा नहीं जा सकता है। लेकिन इतना तय है कि बीजेपी प्रत्याशी नीरज शेखर को एक कड़े मुकाबले मे किस्मत आजमानी है।