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शिक्षक का मतदाताओं से मतदान से पूर्व ये बातें ध्यान मे रखने की अपील, जाने क्या कह दी है बड़ी बात, एमपी एमएलए की भी बंद हो पुरानी पेंशन



मधुसूदन सिंह 

बलिया।। एक तरफ पीएम मोदी जी व पूरी बीजेपी की टीम , देश की जनता को केंद्र मे लगातार तीसरी बार मोदी सरकार बनाने के लिये अपने द्वारा किये गये कार्यों का लेखा जोखा प्रस्तुत कर रही है। वही राज्य कर्मचारी चाहे वो केंद्रीय हो या प्रादेशिक हो, अपनी पुरानी पेंशन को खत्म करने से व्यथित दिख रहे है। यही नहीं बेरोजगारी, महंगाई से भी कर्मचारियों का बजट बिगड़ रहा है। मनियर इंटर कॉलेज मनियर बलिया के प्रधानाचार्य हरेंद्र सिंह ने अपने व्हाट्सअप से एक मैसेज शेयर कर के लोगों से मतदान से पूर्व जीवन को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर गहनता से सोचने के बाद ही इवीएम का बटन दबाने का अनुरोध किया है।

 



 

 श्री सिंह ने जो पोस्ट शेयर किया है वो निम्न है (बिना संपादन के )----

मेरे हृदय प्रिय सम्मानित स्नेहीजन -मैं अच्छी तरह जानता हूं कि आप लोगों में से कुछ लोगों को मेरी बातें बहुत बुरी लगती होगी और कुछ लोगों को अच्छी लगती होगी, इन दोनों के बीच में मैं अपनी भावना को आप लोगों के समक्ष व्यक्त कर रहा हूं यदि सत्य को सत्य कहना गलत है और झूठ हमें स्वीकार्य नहीं आज मैं किसी का पक्ष लिए बगैर अपनी बात रख रहा हूं एक अच्छी एवं जनहित की सरकार का मुख्य कार्य भय, भूख, भ्रष्टाचार से जनता को निजात दिलाना, रोजगार का सृजन करना, स्वस्थ नागरिक तैयार करना, शिक्षा की उचित व्यवस्था करना, जितना संभव हो सके जनता को महंगाई से निजात दिलाना, मुख्य कार्य होता है परंतु आज हमें कहने में संकोच नहीं है कि वर्तमान सरकार इन सभी समस्याओं से अलग हटकर मंदिर- मस्जिद के नाम पर भोली- भाली जनता को आपस में घृणा पैदा कर मुख्य मुद्दे से भटकाए रखती है। यदि आप सरकार को अच्छा मानते हैं तो सबसे पहले मैं यही कहूंगा की सरकार जिस तरह से कश्मीर से 370 धारा को हटाई, तीन तलाक को समाप्त किया, ठीक उसी तरह अन्य कर्मचारियों की तरह अपनी भी पुरानी पेंशन को समाप्त करें तब हम समझेंगे कि यह सरकार वाकई मे जनहित की सरकार है अन्यथा ख़राब। क्योंकि  कर्मचारियों को, जो 60 साल 62 साल सेवा करके सेवानिवृत्ति होते हैं उन्हें आप पेंशन विहीन कर रहे हैं और आप एक बार कुछ दिनों के लिए ही सही शपथ ग्रहण कर लेते हैं तो आप पूरे जीवन पर्यंत पेंशन के हकदार हो जाते हैं,यह कहां का न्याय है? 

केवल उपलब्धि का ही बखान करें और जो कमी हो उसको उजागर न करें?  यह लोकतांत्रिक सरकार का कार्य नहीं, यह राजतंत्र सरकार का कार्य है। इन्हीं शब्दों के साथ मैने आप सभी के सामने इस प्रश्न को इसलिए रखा कि आप लोग भी गहराई से मंथन करें और जो उचित निर्णय हो उस पर अमल करें।

धन्यवाद