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लाखों के आस्था का केंद्र शायर जगदम्बा देवी का दुर्जनपुर का मंदिर, प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार, सड़क नाली भी नहीं बनवा पा रहा है जिला प्रशासन

 


मधुसूदन सिंह

बलिया।। जनपद ही नहीं पड़ोसी राज्य बिहार के साथ ही अन्य प्रांतो के लाखों श्रद्धालुओं के लिये लगभग 50 वर्षो से भी अधिक वर्षो से आस्था का केंद्र बना बैरिया तहसील के दुर्जनपुर गांव का शायर जगदम्बा देवी मंदिर, जिला प्रशासन व ग्राम प्रधान की उपेक्षा का शिकार बना हुआ है। यहां पूरे वर्ष सोमवार व शुक्रवार को डेढ़ सौ से लेकर ढाई सौ तक माता रानी को भक्तों द्वारा कढ़ाह चढ़ाया जाता है। इन दो दिनों में हजारों लोग दर्शन पूजन के लिये भी आते है। या यूं कहे कि पूरे सप्ताह भक्तों का दर्शन के लिये ताँता लगा रहता है। नवरात्रि में तो यह संख्या लाखों में पहुंच जाती है। यही नहीं वर्ष में दो बार  एक विजयदशमी व भगत जी के निर्वाण दिवस(8 फरवरी )पर भव्य भंडारे का भी आयोजन होता है, जिसमे दस हजार से अधिक भक्तगण महा प्रसाद ग्रहण करते है।





इतना चर्चित आस्था का केंद्र होने के वावजूद मंदिर तक पहुंचने वाला मार्ग दुर्दशा का शिकार है। ग्राम पंचायत द्वारा नालियों की सफाई न कराने से ये ओवरफ्लो करती रहती है। मजबूरन भक्त इसी गन्दगी में चलते है। माता रानी के भक्त श्रीनगर ग्राम पंचायत के प्रधान से ज़ब मंदिर के पास की खुली हुई नाली नहीं देखी गयी तो वें अपने पास से पट्टीया रखवाने का काम किये है। बलिया एक्सप्रेस ने मंदिर तक पहुंचने वाले रास्ते की दुर्दशा की बात पिछले व वर्तमान उप जिलाधिकारी गणों व खंड विकास अधिकारी गणों से बतायी गयी लेकिन इन अधिकारियों के कानों में आजतक जूँ नहीं रेंग पायी है। सभी लोग अपने अपने मातहतो को आदेश देकर अपनी जिम्मेदारी का बखूबी निर्वहन कर लिये। ये अधिकारी गण प्रदेश सरकार के मुखिया योगी जी की आस्था को देख कर भी कोई सीख नहीं लें पाये है।


ऊपरी बाधा, यहां पहुंचते ही आ जाती है सामने

इस शायर माता जगदम्बा देवी के मंदिर की विशेषता है कि ऊपरी बाधा से ग्रसित व्यक्ति अगर मंदिर के एक निश्चित स्थान पर पहुंच जाता है तो उसको परेशान करने वाली बाधा अपने आप पीड़ित की आवाज में बात करने लगती है। साथ ही इस स्थान के तेज से ज़ब वो जलने लगता है तो खुद ही पीड़ित को छोड़ कर जाने के लिये माता रानी से गुहार लगाने लगता है। ऊपरी बाधा से मुक्त होने के बाद परिजनों द्वारा गाजे बाजा के साथ मैया को कड़ाह चढ़ा कर शुक्रिया अदा किया जाता है।





बिना किसी पुलिस के नियंत्रित रहती है हजारों की भीड़, चोरी करने की कोई सोचता भी नहीं

चाहे नवरात्रि का त्यौहार हो या भंडारे का आयोजन हो या सोमवार शुक्रवार को आने वाले हजारों भक्तों की भीड़ हो, अन्य मंदिरों की तरह न तो यहां भीड़ को नियंत्रित करने के लिये स्वयंसेवको की फ़ौज लगानी पड़ती है, न ही पुलिस बल को ही कसरत करनी पड़ती है। केवल माता के मंदिर पर प्रसाद चढ़ाने के लिये पुजारियों को तैनात देखा जा सकता है।

इतनी बड़ी भीड़ के बाद भी मंदिर परिसर व इसके आसपास भक्तों के सामान, या चप्पल जूतों की कोई चोरी नहीं हो सकती है। सभी पर शायर माता जगदम्बा देवी की नजर रहती है। अगर कोई चोरी किया तो उसकी दुर्गति निश्चित है। अगर कोई जूता चप्पल चोरी कर लिया तो उसका पैर इतना मोटा हो जाता है कि वह जूता चप्पल पहनना तो दूर चलने फिरने में भी असमर्थ हो जाता है। यही कारण है कि यहां जो भी आता है, पूजा करने की नियति से ही आता है।