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12 अगस्त (बुधवार) 1942 : पुलिस और छात्रों में संघर्ष, बैरिया थाने पर कब्जा व रेलवे लाइन उखाड़ने का संकल्प


 


मधुसूदन सिंह

बलिया।।प्रत्येक दिन की भाँति विद्यार्थियों ने एक बहुत बड़ा जुलूस निकाला। जुलूस के आयोजकों में सर्वश्री योगेन्द्र नाथ मिश्र, गौरी शंकर राय, वासुदेव राय, राम लखन कुंबर, बलिराम तिवारी, लक्ष्मी, बैजनाथ आदि सभी मेस्टन स्कूल के छात्र रहते थे जिनमें पन्य स्कूलों के छात्र भी सम्मिलित होते थे। जुलूस शहर में हड़ताल कराते हुए कचहरी की तरफ चल पड़ा। रेलवे गुमटी के पास पहले से ही 25 हथियार बन्द पुलिस और इन्हें लिए हुए कुछ सिपाही, मजिस्ट्रेट मि० ओयस के पीछे रेलवे फाटक बन्द करके जुलूस का मुकाबला करने के लिए तैयार खड़े थे।

जब जुलूस फाटक पर पहुंचा तो सिपाहियों ने आगे बढ़ने से रोक दिया। इस पर विद्यार्थी नहीं रुके, तब पुलिस ने लाठी चार्ज किया। विद्यार्थियों ने लाठी चार्ज का जवाब रेलवे लाइन पर पड़े पत्थरों को उनकी तरफ मार कर दिया। जब हथियार बन्द पुलिस गोली चलाने के लिए पोजीशन लेने लगी, तब विद्यार्थियों में भगदड़ मच गई। कुछ विद्यार्थियों को पकड़ कर बड़ी बेरहमी से पीटा गया। श्री सुरेश कुमार पाण्डेय, बैजनाथ मिश्र, बलि राम सिंह, लक्ष्मी नारायण व रामदास भृगु आश्रम को दिन भर कोतवाली में रख कर छोड़ दिया गया। आधी रात तक पुलिस ने 30 विद्यार्थियों को गिरफ्तार कर लिया।





बैरिया थाने पर कब्जा करने, रेलवे लाइन को उखाड़ने का लिया संकल्प 

उसी दिन बैरिया थाने के लालगंज बाजार और दोकटी में एक सभा की गई। सभा में ही किसी ने एक पर्चा दिखलाया, जिस पर कांग्रेस के प्रमुख नेताओं के हस्ताक्षर थे। पर्चे मे अहिंसात्मक उपायों से सरकारी इमारतो पार कब्जा करना, पुलिस का हथियार ले लेना और यातायात के साधनों को नष्ट कर देने की बातें लिखी हुई थी। सभा मे यह निश्चित किया गया कि बैरिया थाने पर कब्जा किया जाय, रेलवे स्टेशन को जलाया जाय, लाइन और तार के खम्भे उखाड़े जाय और सरकारी इमारतो पर कब्जा किया जाय।

(साभार -बलिया :पौराणिक काल से 1947 तक )