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कुपोषण के खिलाफ जंग में पोषण पुनर्वास केंद्र बना हमकदम





पोषण पुनर्वास केंद्र ने 846 बच्चों को किया पोषित 

बलिया।। ब्लाक सियर के अंतर्गत तुर्तीपार गांव निवासी दीपू कनौजिया के बच्चे आयुष का शारीरिक विकास जन्म के कुछ महीनों के बाद ठीक से नहीं हो पा रहा था । इससे दीपू कनौजिया व उनकी पत्नी निशा काफी चिंतित रहते थे । एक दिन निशा की मुलाकात आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मंजूलता से हुई तो उन्होंने आयुष  के बारे में बताया। आयुष को देखने के बाद आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मंजूलता ने बच्चे के पिता दीपू कनौजिया को जिला चिकित्सालय स्थित एनआरसी वार्ड के बारे में जानकारी दी। जहां उसे बेहतर इलाज और पौष्टिक भोजन दोनों दिया जाता है। तब  दो माह के आयुष को 27 मार्च 2023 को एनआरसी में भर्ती करवाया गया । भर्ती के समय आयुष का वजन 3.710 किलोग्राम था । 14 दिन के उपचार और पोषण युक्त बेहतर खानपान की वजह से आयुष  का वजन 4.275 किलोग्राम हो गया । 10 अप्रैल को उसे छुट्टी मिल गयी और वह  घर चला गया ।

 शहरी क्षेत्र के मिश्रनेऊरी निवासी प्रदीप पटेल का बेटा शुभ कुपोषण की चपेट में आ गया। ऐसे मे आगनबाडी कार्यकर्ता चंदा देवी की नजर जब शुभ पर गई । आगनबाडी कार्यकर्ता चंदा देवी ने बच्चे के पिता प्रदीप पटेल एवं मां रम्भा पटेल को जिला चिकित्सालय स्थित एनआरसी वार्ड के बारे में जानकारी दी। बताया कि वहां बेहतर इलाज और पौष्टिक भोजन दोनों दिया जाता है। इसके बाद दो माह के शुभ को 13 मार्च 2023 को एनआरसी में भर्ती करवाया गया। भर्ती के समय शुभ का वजन 2.800 किलोग्राम था । 14 दिन के उपचार और पोषण युक्त बेहतर खानपान की वजह से  उसका वजन 3.340 किलोग्राम हो गया । 27 मार्च को वह घर चली गया । 28 दिनों बाद दूसरे फॉलोअप के लिए  जब शुभ को पोषण पुनर्वास केंद्र लाया गया तो उसका वजन बढ़कर 4 किलो 165 ग्राम हो गया था।

आयुष व शुभ जैसे कुपोषित बच्चों के लिए जिला चिकित्सालय में स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र वरदान साबित हो रहा है। कुपोषित और अति कुपोषित बच्चों को पोषित करने के उद्देश्य से स्थापित इस पोषण पुनर्वास केंद्र ने अब तक 846 बच्चों को पोषित किया है। इस केंद्र में आरबीएसके टीम,आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से कुपोषित एवं अति कुपोषित बच्चों को लाया जा रहा है। साथ ही कुछ बच्चो को ओपीडी के माध्यम से भी भर्ती कराया जाता है । 

 क्या है पोषण पुनर्वास केंद्र

पोषण पुनर्वास केंद्र एक ऐसी सुविधा है जहां एक माह से पांच साल तक के गंभीर रूप से कुपोषित बच्चे जिनमें चिकित्सकीय जटिलताएं होती हैं, उनको चिकित्सकीय सुविधाएं प्रदान की जाती है। इसके अलावा बच्चों की माताओं को बच्चों के समग्र विकास के लिए आवश्यक देखभाल तथा खान-पान संबंधित कौशल का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। जिला चिकित्सालय में 2 अक्टूबर 2016 में एनआरसी वार्ड की स्थापना हुई थी। तब से इस वार्ड में लगभग 846 कुपोषित बच्चों को  नई जिंदगी दी जा चुकी है। इसमें वह भी बच्चे शामिल है जो रेफर और डिफाल्टर है ।







एनआरसी के बारे में और जाने:- बलिया के जिला चिकित्सालय में स्थित एनआर सी वार्ड मे नोडल डॉ० अविनाश उपाध्याय, मेडिकल ऑफिसर डॉ० ऋषभ सिंह 4 स्टाफ नर्स मधु पांडे, श्वेता यादव, आशुतोष शर्मा, विप्लव सिंह, एक केयरटेकर बलराम प्रसाद,कुक अमृता देवी, डाइटिशियन रेनू तिवारी हैं। डाइटिशियन रेनू तिवारी ने बताया इस वार्ड में कुपोषित बच्चों को कम से कम 14 दिन या अधिकतम 28 दिन तक भर्ती करके उपचार किया जाता है। उनके खान-पान पर विशेष ध्यान दिया जाता है। जैसे दूध से बना हुआ अन्नाहार, खिचड़ी, F-75 व F-100 यानि प्रारम्भिक दूधाहार, दलिया, हलवा, फल इत्यादि।साथ में दवाइयां एवं सूक्ष्म पोषण तत्व जैसे आयरन, विटामिन ए, जिंक, मल्टीविटामिंस इत्यादि भी दी जाती हैं।             

इस संबंध में पोषण पुनर्वास केंद्र के नोडल डॉ० अविनाश उपाध्याय ने कहा एनआरसी वार्ड में आधुनिक सुविधाएं हैं। बच्चों के खेलने के लिए खिलौने, टीवी भी है। गर्मियों में ए सी, पंखे और सर्दियों में रूम हीटर चलते हैं। कुपोषित बच्चों को पहचान कर आरबीएसके की टीम  आंगनवाड़ी कार्यकर्ती एनआरसी में भर्ती करा रहे हैं ताकि एक बेहतर और कुपोषण मुक्त समाज का निर्माण हो सके।