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यूपी में सिर्फ योगी योगी : इसी से है बीजेपी में योगी की मोदी के बाद सबसे ज्यादे डिमांड



मधुसूदन सिंह

बलिया।। उत्तरप्रदेश के नगर निकाय चुनाव में बीजेपी की 17 मेयर पदों पर जीत ने योगी के कद को और बढ़ा दिया है। इस चुनाव में सीएम योगी ने अखिलेश यादव की सपा और बहन मायावती की बसपा को चारों खाने चित्त कर दिया है।यह पहला ऐसा चुनाव है जिसमें योगी उत्तर प्रदेश में अपने बूते चुनाव प्रचार कर रहे थे। बीजेपी की पूरी केन्द्रीय टीम कर्नाटक में हाथ पैर मार रही थी लेकिन कर्नाटक में एंटी इन्कमबेंसी को दूर करने में असफल रही।लेकिन योगी इस सबके बीच सूबे में खुद चुनाव प्रचार की कमान थाम कर ट्रिपल इंजन की सरकार बनाने को लेकर प्रयासरत थे। इस प्रयास में योगी की जीत ने पार्टी के अंदर और बाहर इनके कद को कई गुणा  बढ़ा दिया है।

योगी के ट्रिपल इंजन की सरकार के नारे पर जनता की मुहर 

ट्रिपल इंजन की सरकार का नारा देकर बीजेपी ने नगर निकाय चुनाव में प्रचंड जीत हासिल कर पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया है।यूपी की इस जीत के बाद यूपी में लोकसभा में क्लीन स्वीप के इरादे से बीजेपी मैदान में उतरने को लेकर ताल ठोक रही है। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी को मिली ये जीत योगी के लिए कई मायनों में अहम है। सबसे बड़ा कारण भाजपा के नेता पीएम मोदी की बातों के बाद अगर किसी की बात पर जनता विश्वास कर रही है तो वो है यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ।


योगी का कैसे बढ़ता गया कद 

योगी साल 2017 में जब यूपी में सीएम बने थे, तब यूपी का विधानसभा चुनाव पीएम मोदी के चेहरे पर लड़ा गया था. इस विधानसभा में बीजेपी की जीत का पूरा श्रेय पीएम नरेन्द्र मोदी को मिला था. इसके ठीक चंद महीनों बाद निकाय चुनाव की जीत में भी क्रेडिट नरेंद्र मोदी और बीजेपी को ही मिला था. जाहिर है योगी के शासन के कुछ महीने बाद ही बीजेपी को मिली भारी जीत में योगी के प्रशासनिक क्षमता का स्वाद जनता ने थोड़ा ही चखा था. इसलिए जीत के हकदार कोई और नहीं बल्कि पीएम मोदी के नाम की वो लहर थी जिसके सहारे साल 2014 और 2017 के चुनाव को जीतने में बीजेपी कामयाब रही थी, लेकिन साल 2023 के नगर निकाय चुनाव में बीजेपी की भारी जीत सिर्फ व सिर्फ योगी के नेतृत्व की जीत कही जा रही है और इसकी वजह सिर्फ और सिर्फ उनकी प्रशासनिक क्षमता और दक्षता को बताया जा रहा है।

यूपी में योगी कर गए खेल, चला बुलडोजर बाबा का जादू 


वैसे साल 2022 का विधानसभा चुनाव भी योगी के चेहरे पर ही लड़ा गया था. लेकिन पीएम मोदी का धुआंधार चुनाव प्रचार और बीजेपी के कई दिग्गजों की रणनीति इसमें असरदार कारक कही जाती है, लेकिन साल 2023 के निकाय जीत इसलिए अहम है क्योंकि चुनाव प्रचार की कमान योगी के हाथों में थी और बीजेपी की केन्द्रीय टीम कर्नाटक विधानसभा चुनाव में धुआंधार चुनाव प्रचार में जुटी थी। यानी एक तरफ जहां कर्नाटक में पीएम मोदी के नेतृत्व में लगी पूरी भाजपा टीम को असफलता हाथ लगी है, तो वही यूपी में अपने दम पर अकेले बाबा का बुलडोजर ट्रिपल इंजन की सरकार बनाने में सफल रहा है। इस बार यूपी में मोदी जी का नही योगी का जलवा जीत दिलाने में कामयाब रहा।


इन फैसलों ने योगी को बनाया ताकतवर 

साल 2017 में 16 नगर निगमों में बीजेपी 14 और बीएसपी 2 पर चुनाव जीती थी, लेकिन इस चुनाव में 17 सीटों पर बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल कर ली है. नगर पालिका और नगर निकाय चुनाव में भी बीजेपी की जीत काबिले तारीफ है. योगी के कई मजबूत फैसलों को जनता ने खूब सराहा है. इसलिए योगी द्वारा कहे गए माफियाओं के खिलाफ शब्द - माफियाओं को मिट्टी में मिला दूंगा और अतीक अशरफ समेत उसके गुर्गों के खिलाफ कार्रवाई ने योगी की लोकप्रियता में चार चांद लगा दी है।


बता दे कि सीएम योगी ने नगर निकाय चुनाव में 50 से ज्यादा सभाएं की. वहीं अखिलेश यादव 9 और मायावती पूरे प्रचार के दरमियान क्षेत्र से दूर रहीं हैं. योगी का ये स्टाइल भी लोगों को खूब भाया है. वो चुनाव प्रचार में उन वादों को पूरा करने की तरफ लोगों का ध्यान खींचते रहे जो उन्होंने विधानसभा चुनाव प्रचार के दरमियान लोगों के बीच कह रहे थे. जाहिर है विधानसभा चुनाव में भी जनता का भरोसा जीतने में कायम रहे थे. लेकिन इस जीत का श्रेय पीएम मोदी के अलावा उनके द्वारा चलाई गई कल्याणकारी योजना को भी दी गई थी.





कठोर प्रशासक के साथ विकास के प्रति सोच ने योगी का बढ़ाया कद

लगभग साढ़े 4 करोड़ मतदाताओं ने नगर निगम, शहरी निकाय,नगर परिषद और नगर पंचायत में हिस्सा लिया है. इसलिए इन मतदातओं के बीच योगी का बुलडोजर एक्शन समेत माफियाओं के खिलाफ चलाया गया एक्शन जनता ने खूब पसंद किया है. योगी विकास के साथ साथ कड़े प्रशासक के तौर पर पहचान बना चुके हैं. ज़ाहिर है माफियाओं को मिट्टी में मिलाने वाली, बात हो या माफियाओं के घर पर चलने वाला बुल्डोजर, लोगों की नजरों में योगी की कठोर प्रशासक की छवि गढ़ने का काम किया है।


यही वजह है कि अनिल दुजाना से लेकर अतीक और अशरफ के खिलाफ की गई कार्रवाई को जनता ने वोट के जरिए सही ठहराया है। योगी आदित्यनाथ खुद कहते हैं कि प्रदेश में डिफेंस कॉरिडोर के अलावा नए एयरपोर्ट का तैयार होना प्रदेश में बदली फिजा की कहानी बयां करता है. योगी जानते हैं कि कठोर प्रशासक के साथ विकास के कॉकटेल से ही लोगों का समर्थन हासिल किया जा सकता है।


बीजेपी के अंदर-बाहर विरोधियों को बौना साबित करने में कैसे सफल रहे सीएम योगी?


अखिलेश यादव को लगातार चुनाव में पराजित कर योगी आदित्यनाथ ने उन्हें ताबड़तोड़ पटखनी दी है। आजम खां के गढ़ स्वार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के छानवे के उपचुनाव में बीजेपी गठबंधन की जीत कोई नई नहीं है। इससे पहले समाजवादी पार्टी के गढ़ आजमगढ़ और रामपुर में समाजवादी को पटखनी योगी अपने नेतृत्व में दे चुके हैं।ज़ाहिर है पार्टी के भीतर भी केशव प्रसाद मौर्य हों या ब्रजेश पाठक दोनों के सामने उनका कद काफी बड़ा दिखाई पड़ता है।


पिछले विधानसभा चुनाव में केशव प्रसाद ओबीसी के बड़े नेता के रूप में उभर कर सीएम की कुर्सी के प्रबल दावेदारों में गिने जा रहे थे , लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में सिराथु में मिली हार ने उनके बढ़ते कद को योगी के सामने छोटा कर दिया है। इस सबके बीच योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता का पता बीजेपी कार्यकर्ताओं द्वारा चुनाव प्रचार में दूसरे राज्यों में पता चलता है। वो पीएम मोदी के बाद सबसे ज्यादा डिमांड में रहते हैं।जाहिर है एक तरफ बीजेपी की कर्नाटक में हार के बाद बीजेपी को मिली मायूसी में यूपी निकाय चुनाव में बीजेपी की जीत राहत भरा सन्देश है और इस जीत का सेहरा योगी आदित्यनाथ के सिर अकेले बंध रहा है।