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बोले कवि -मैं भारत का लोकतंत्र हूँ, गणमान्यों के हाथों में, सत्ता के लोभी नेताओं के, फँसता हूँ बातों में



समतावादी कलमकारों का राष्ट्रीय कवि सम्मेलन सम्पन्न 

गोरखपुर।।समतावादी कलमकार साहित्य शोध फाउण्डेशन, भारत (भारत सरकार द्वारा पंजीकृत) द्वारा 74 वें गणतंत्र दिवस के पावन अवसर पर दिनांक 26 जनवरी, 2023 को सायं 7:00 ऑनलाइन राष्ट्रीय कवि सम्मेलन सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। यह राष्ट्रीय कवि सम्मेलन समतावादी कलमकार साहित्य शोध फाउण्डेशन के समस्त पदाधिकारियों यथा संस्थापक व अध्यक्ष आ. डा. बुद्धि सागर गौतम, सह अध्यक्ष आ. डा. बुद्धप्रिय सुरेश सौरभ ग़ाज़ीपुरी, सचिव आ. ओम प्रकाश गौतम, दैनिक कार्यक्रम प्रभारी आ. बुद्धप्रिय कमलेश कुमार प्रभाकर जी की गौरवमयी उपस्थिति में सम्पन्न हुआ।


कार्यक्रम का बुद्धारम्भ संस्थान के संस्थापक व अध्यक्ष आ. डॉ. बुद्धि सागर गौतम जी के द्वारा तथागत बुद्ध व बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन कर त्रिशरण पंचशील सभी को ग्रहण कराया गया। तत्पश्चात संस्थान के सह अध्यक्ष आ. डॉ. बुद्धप्रिय सुरेश सौरभ गाजीपुरी के द्वारा भारतीय संविधान के प्रस्तावना का वाचन किया गया। संस्थान के सचिव आ. ओम प्रकाश गौतम के द्वारा भारत के कोने-कोने से जुड़े साहित्य प्रेमियों व कवियों का स्वागत किया गया। राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में प्राख्यात कवि डॉ अमित कुमार बिजनौरी संस्थापक/अध्यक्ष नव साहित्य परिवार भारत  मुख्य अतिथि रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान के संस्थापक/अध्यक्ष आ. बुद्धि सागर गौतम  समतावादी कलमकार साहित्य शोध फाउण्डेशन, भारत तथा कार्यक्रम का कुशल संचालन आ. कवि डॉ.. बुद्धप्रिय सुरेश सौरभ गाजीपुरी सह अध्यक्ष, समतावादी कलमकार साहित्य शोध फाउण्डेशन, भारत के द्वारा किया गया।

कार्यक्रम में सबसे पहले संस्थान के दैनिक कार्यक्रम प्रभारी आ. बुद्धप्रिय कमलेश कुमार प्रभाकर  के द्वारा स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया। तत्पश्चात राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आगाज़ कार्यक्रम संचालक डा. बुद्धप्रिय सुरेश सौरभ ग़ाज़ीपुरी के उद्घोष "भोर हुआ जय भीम से मूल निवासी जाग-----" से हुआ ।

सर्वप्रथम आ. कवि एल. सी. ज़ैदिया 'जैदि'  ने प्रतिवादियों के लिए पढ़ा : कुचल ना सकोगे इंकलाब, ये ऐलान हमारा है---- । वहीं आ. कवि तेजपाल बौद्ध 'भिडूकीया'  गणतंत्र को बचाने हेतु प्रश्न पूछने के स्वर में : गणतंत्र मनाने वाले बहुत, बचाने वाला कौन है? प्रश्न मेरा है भीड़ से, तुम्हे जगाने वाला कौन है? पढ़कर सोचने के लिए मजबूर कर दिया। वहीं आ. कवि सिद्धार्थ प्रकाश बौद्ध जी ने संविधान के महत्व को बताते हुए : देश के संविधान तूने कर दिया कमाल, भीम के संविधान तूने कर दिया कमाल,नामक काव्य का उत्कृष्ट पाठ किया। वहीं आ. कवयित्री इंदु रवि  ने भारत वीरों को नमन करते हुए देशभक्ति से सराबोर करती रचना का काव्य पाठ किया। वहीं छत्तीसगढ़ की आ. कवयित्री भारती नंदनी केशकर जी ने किसानों के वर्तमान हालात को उजागर करती ओजस्वी कविता किसान हूँ मैं----- का काव्यपाठ किया ।



 वहीं कवि व बेख़ौफ़ शायर के नाम से मशहूर डॉ. नरेश कुमार सागर  ने - बोल तिरंगा अब तो बोल, तिरंगा गीत को बड़े दमदारी के साथ पढ़े। वहीं छत्तीसगढ़ के मशहूर कवि आ. हरीश पाण्डल साहब  जो विचार क्रांति के के पक्षधर हैं। इन्होंने लोकतंत्र की ताकत को अपने देश की महानता से जोड़ते हुए पढ़े---धर्म निरपेक्ष देश है मेरा, दुनिया करती है गुणगान, लोकतंत्र है ताकत इसकी, मेरा भारत देश महान। वहीं डॉ. मोहनलाल सोनल 'मनहंस' जी ने पढ़ा - मिसाइलें, लफ्जों, तंजो, मानसिक उत्पीड़न, शारीरिक चोटों की, यत्र तत्र यहां वहां, रह रह कर दिखाई देती, सिर उठाती। वहीं आ. कवयित्री इंदु रवि जी के सुपुत्र व बालकवि शुभम सिंह जी ने अपने शेर के माध्यम से "सरहद पर जो नजर गड़ाए... वतन जान है मेरी---" नामक रचनाएं पढ़कर खूब वाहवाही लूटी।







वहीं छत्तीसगढ़ की मशहूर कवयित्री आ. जलेश्वरी गेंदले जी ने बाबा साहब के योगदान को रेखांकित करते हुए पढ़ीं - जिसकी वजह से लोग तुम्हें जानते हैं, तुम उन्हीं को जानना छोड़ दिए क्यों? पढ़ी। वहीं रायगढ़, छत्तीसगढ़ के कवि आ. तिलक तनौदी 'स्वच्छंद' जी ने - मान लिखूँ सम्मान लिखूँ मैं, देश का गौरव गान लिखूँ,नामक कविता का पाठ किए। कवि आ. पवन कुमार रवि, हसपुरा औरंगाबाद बिहार से पढ़े -- नमन करो भारत के वीर जवानों का अलबेलों के मस्तानो का... ।

वहीं समतावादी कलमकार साहित्य शोध फाउण्डेशन के सह अध्यक्ष आ. कवि डा. बुद्धप्रिय सुरेश सौरभ ग़ाज़ीपुरी जी ने लोकतंत्र के महत्व को रेखांकित करते हुए ओजस्वी कविता का पाठ : मैं भारत का लोकतंत्र हूँ, गणमान्यों के हाथों में, सत्ता के लोभी नेताओं के फँसता हूँ बातों में - पढ़कर हकीकत को बयां किया। भारत के कोन-कोने से अन्य बहुत से उपस्थित कवियों-कवयित्रियों ने मधुर काव्य पाठ से लोगों को मंत्रमुग्ध किए। अंत में समतावादी कलमकार साहित्य शोध फाउण्डेशन के संस्थापक व अध्यक्ष आ. कवि डा. बुद्धि सागर गौतम ने बाबा साहब के जीवन संघर्षों की कविता को पढ़े - भीमराव जी दीनदयाला, मां भीमा के अनुपम लाला से, राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में शमां बाँध दिए। उन्होंने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संचालक, मुख्य अतिथि, पदाधिकारियों व सभी साहित्यकारों को गणतंत्र दिवस की ढेर सारी बधाइयां व मंगलकामनाएं प्रेषित करने के पश्चात सभी साहित्यकारों का आभार ज्ञापन किया।