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योगी सरकार में भी शराब सिण्डिकेट हावी, लगातार 6वें वर्ष नवीनीकरण का करा लिया आदेश



मधुसूदन सिंह

बलिया।। पहली बार सरकार बनने पर योगी सरकार ने 2018-19 में पिछली सरकार के आबकारी नीति को सिण्डिकेट वादी कहते हुए, कुछ ही लोगों को अवसर प्रदान करने वाली मानते हुए बदलाव किया था। योगी सरकार ने अपनी आबकारी नीति 2018-19 को घोषित करते हुए उसके प्रस्तावना में कहा था कि शराब के सिण्डिकेट को ध्वस्त करने,एकाधिकार को समाप्त करने के लिये, सभी को समान अवसर मिले, पारदर्शिता रहे, इसके लिये अब से देशी, विदेशी शराब की दुकानों, बियर भांग की दुकानों का आवंटन ऑनलाइन ई लाटरी के माध्यम से किया जायेगा। 2018-19 में इसी नियम के तहत आवंटन भी हुआ। लेकिन इसके बाद अधिकारियो से मिलीभगत के बाद जो नवीनीकरण का दौर शुरू हुआ, वह लगातार 6 वे वर्ष में भी जारी है।







सरकार कीमतों को बढ़ा कर 45 हजार करोड़ से ज्यादे राजस्व प्राप्त करने का तो लक्ष्य रखी हुई है लेकिन लाटरी न होने से जो प्रति वर्ष अरबो रूपये का एकमुश्त नुकसान हो रहा है उसकी तरफ तो किसी का ध्यान जा ही नहीं रहा है। नवीनीकरण के नाम पर सरकार के खाते में सिर्फ 25-50000 जो भी शुल्क निर्धारित होता है वही जाता है लेकिन अधिकारियो के पास इससे कई गुना अंदर खाने से पहुंच जाता है। यही लोग अपनी कमाई का नुकसान न हो इसके लिए लगातार नवीनीकरण को ही संस्तुति कर रहे है।



लॉटरी  से ऐसे होता सरकारी खजाने को लाभ

बलिया जैसे जनपद में देशी विदेशी फुटकर दुकानों, बियर की दुकानों और मॉडल शॉप समेत लगभग 200 दुकाने है। पूरे प्रदेश में लगभग 27000 दुकाने है। सरकार इस वर्ष 10 प्रतिशत यानी 270 दुकाने और बढ़ा रही है। अगर लाटरी होती है तो औसतन एक दुकान पर 25 फॉर्म ही मान ले तो 675000000/= रुपये सतसठ करोड़ 50 लाख मात्र (25 हजार प्रति फॉर्म नॉट रिफंडेबल ) सरकारी खजाने में जमा होता, जो नवीनीकरण के कारण नहीं होगा। यह औसत है, हकीकत में इससे अधिक ही होता क्योंकि एक एक दुकान पर 50 से लेकर 200 तक फॉर्म डाले जाते है। पिछले दिनों बलिया में 4 दिनों के लिये हुई लॉटरी में लगभग 32 लाख रूपये का राजस्व प्राप्त हुआ था। ऐसे में जिसने भी सरकार को नवीनीकरण के फायदे समझाये है, निश्चित ही उसके अपने फायदे छुपे हुए है।

बड़े सिण्डिकेट की जगह छोटे छोटे सिण्डिकेट का हुआ वर्चस्व

सबको सामान अवसर देने और सिण्डिकेट नहीं बनने देने के 2018 में किये गये अपने वादे पर पिछली सरकारों की तरह ही योगी सरकार भी नहीं टिक पायी और शराब माफियों की मंशानुरूप ही लगातार 6 वर्षो से आबकारी नीति बनाती जा रही है। 2018 की आबकारी नीति के अनुसार एक व्यक्ति को केवल 2 दुकान ही आवंटित की जा सकती है। इसके सहारे सरकार यह सोची की बड़े सिण्डिकेट हतोत्साहित हो जायेंगे लेकिन माफियाओ ने सरकार की नीति का ही सहारा लेकर अपने लोगों के नाम से दुकानों का आवंटन लॉटरी में प्राप्त करने के बाद अब नवीनीकरण से मजे लूट रहे है। साथ ही लगातार नवीनीकरण होने से अवैध शराब का कारोबार भी इन्ही लोगों द्वारा किया जा रहा है। अगर प्रत्येक वर्ष लॉटरी होती तो दुकानदारों में डर होता, जो नहीं है।