Breaking News

जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय परिसर में निर्माण कार्य अवैधानिक या वैधानिक? एनजीटी में सुनवाई रोचक दौर में, डीएफओ रामनगर और डीएम बलिया को वीसी के माध्यम से 3 मार्च को सुनवाई में उपस्थिति के लिये हुआ आदेश



मधुसूदन सिंह

बलिया।।जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के परिसर में चल रहे निर्माण कार्यों को "इको सेंसेटिव जोन " के प्रविधानो का उल्लंघन बताते हुए धर्मेंद्र प्रताप सिंह द्वारा की गयी एनजीटी में शिकायत अब और रोचक दौर में पहुंच गयी गयी है। इस मामले में एनजीटी ने अब जिलाधिकारी बलिया, डीएफओ राम नगर वाराणसी को आगामी 3 मार्च 2023 को वीसी के माध्यम से सुनवाई के दौरान उपस्थित होने के लिये आदेश दिया है।

बताते दे कि एनजीटी ने शिकायत के बाद नवंबर माह में एक उच्च स्तरीय जांच कमेटी गठित की थी, जिसको यह जांच कर रिपोर्ट देना था कि जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय में चल रहे निर्माण कार्य इको सेंसेटिव जोन के अंदर आता है कि नहीं? साथ ही यह भी जांच करनी थी कि क्या चल रहे निर्माण कार्यों की जयप्रकाश पक्षी अभ्यारण्य क्षेत्र घोषित होने के कारण संबंधित विभागों से निर्माण की अनुमति ली गयी है कि नहीं? लेकिन जांच टीम द्वारा जांच शुरू करने से पहले ही जिलाधिकारी बलिया के निर्देश पर जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के पूरे भूखंड 51 एकड़ को ही जयप्रकाश पक्षी अभ्यारण्य जोन से अलग कर दिया गया।

पिछले 29 दिसंबर 2022 को जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय परिसर में जांच करने पहुंची जांच टीम ने जांचोपरान्त जो रिपोर्ट एनजीटी को सौपी, उसमे भी इको सेंसेटिव जोन के प्राविधानों के उल्लंघन के वावजूद निर्माण कार्यों को न तो रोकने की सिफारिश की, न ही इसके निर्माण के लिये जो आवश्यक अनुमति होनी चाहिए, उसको ही अपनी रिपोर्ट में दर्शायी है, जबकि शिकायतकर्ता जांच के समय अपनी शिकायतों के संबंध में बार बार उठाता रहा।

यही कारण है कि 4 जनवरी 2023 को सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता के अधिवक्ता ने जांच रिपोर्ट को ही बार बार कटघरे में खड़ा करते रहे। जांच रिपोर्ट देखने और शिकायतकर्ता के अधिवक्ता की दलीलों को सुनने के बाद माननीय एनजीटी ने जांच समिति में शामिल लगभग सभी उच्च अधिकारियों को आगामी 3 मार्च 2023 को वीसी के माध्यम से उपस्थित होने के लिये नोटिस जारी किया है।

एनजीटी में सुनवाई, पर निर्माण कार्य जोरो पर

जिस निर्माण कार्यों को अवैधानिक बताते हुए एनजीटी में शिकायत के बाद सुनवाई चल रही है, वो निर्माण कार्य  जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय में धड़ल्ले से चल रहे है। यही नहीं इस विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो कल्पलता पाण्डेय ने महामहिम राजयपाल के सामने इसको वर्णित करते हुए मार्च के पूर्व निर्माण कार्य पूर्ण हो जाने की बात भी कही है। यानी कि विश्वविद्यालय प्रशासन और जिला प्रशासन निर्माण कार्यों को एनजीटी का कोई फैसला आने से पूर्व हर हाल में पूर्ण कर लेना चाहता है।

ये अधिकारी 3 मार्च को वीसी के माध्यम से सुनवाई में रहेंगे शामिल 

मंडल वन अधिकारी, काशी वन्यजीव प्रभाग, रामनगर, वाराणसी और जिला मजिस्ट्रेट-बलिया की उपस्थिति को भी वीसी के माध्यम से इस न्यायाधिकरण की न्यायोचित और उचित न्यायनिर्णय में सहायता के लिए आवश्यक मानते हैं। मामले में शामिल प्रश्न और तदनुसार, वे इस न्यायाधिकरण के समक्ष वीसी के माध्यम से निर्धारित तिथि पर उपस्थित रहेंगे।












एनजीटी का 4 जनवरी 2023 को जारी आदेश 

1. वर्तमान आवेदन में शिकायत सुरहा ताल के बफर जोन में ग्राम वसंतपुर, जिला बलिया, उत्तर प्रदेश में जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के भवनों के अवैध निर्माण के बारे में है।

2. दिनांक 01.11.2022 के आदेश के तहत, इस ट्रिब्यूनल ने तथ्यात्मक स्थिति को सत्यापित करने और दो महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश के साथ एक संयुक्त समिति का गठन किया। 

जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय, बलिया, उत्तर प्रदेश के कुलपति और कुलसचिव को जवाब/प्रतिक्रिया दाखिल करने के लिए नोटिस जारी करने का भी आदेश दिया गया।

3. आदेश दिनांक 01.11.2022 के अनुपालन में डॉ. एस.सी. शुक्ला, क्षेत्रीय अधिकारी, संयुक्त समिति का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया है।

यूपीपीसीबी ईमेल दिनांक 02.01.2023 द्वारा। 

जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय, बलिया, उत्तर प्रदेश की ओर से भी ईमेल दिनांक 03.01.2023 की ओर से जवाब दाखिल किया गया है।

4. श्री गौरव बंसल, अधिवक्ता आवेदक के लिए उपस्थित हुए हैं और अपनी मुख्तारनामा दायर करने का वचन देते हैं।

5. हमने आवेदक और यूपीपीसीबी के विद्वान अधिवक्ता को सुना है और संयुक्त समिति की रिपोर्ट सहित रिकॉर्ड सामग्री का अध्ययन किया है।

6. हम पाते हैं कि प्रतिवेदन के पैरा 3.5 में जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय, बलिया को 51.0 एकड़ भूमि के हस्तांतरण का संदर्भ दिया गया है, जबकि पैरा 3.8 में जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय, बलिया के विभिन्न भू-गाटा का उल्लेख किया गया है। 

सुरहा ताल के जल क्षेत्र से लगभग 300 मीटर से 600 मीटर की दूरी पर स्थित पाया गया, जबकि पैरा 3.16 में यह उल्लेख किया गया है कि एमओईएफएंडसीसी, भारत सरकार ने अधिसूचना दिनांक 08.03.2019 द्वारा एक क्षेत्र को एक सीमा तक अधिसूचित किया है 

जिला बलिया में जय प्रकाश नारायण (सुरहा ताल) पक्षी अभयारण्य की सीमा के चारों ओर 1.0 किमी की वर्दी इको-सेंसिटिव जोन (ESZ) के रूप में।

7. संयुक्त समिति द्वारा रिपोर्ट की गई तथ्यात्मक स्थिति के लिए स्पष्टीकरण की आवश्यकता है कि क्या भवन संबंधित हैं।

8. आवेदन में किए गए प्रकथनों और रिपोर्ट में की गई टिप्पणियों के मद्देनजर, हम

 (1) उत्तर प्रदेश राज्य, मुख्य सचिव,

 (2) सचिव, एमओईएफ एंड सीसी; 

(3) अध्यक्ष/सचिव, राष्ट्रीय आर्द्रभूमि समिति; 

(4) पीसीसीएफ (एचओएफएफ), उत्तर प्रदेश सरकार; 

(5) प्रमुख सचिव, उच्च शिक्षा, उत्तर प्रदेश सरकार; 

(6) यूपीपीसीबी; 

(7) जिला मजिस्ट्रेट, बलिया और (8) कुलसचिव, जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय, बलिया, उत्तर प्रदेश दिल्ली,

जो प्रतिवादी संख्या 1 से 7 के रूप में प्रतिवादी हैं।

9. 03.03.2023 को आगे के विचार के लिए सूची।

10. मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में, हम मंडल वन अधिकारी, काशी वन्यजीव प्रभाग, रामनगर, वाराणसी और जिला मजिस्ट्रेट-बलिया की उपस्थिति को भी वीसी के माध्यम से इस न्यायाधिकरण की न्यायोचित और उचित न्यायनिर्णय में सहायता के लिए आवश्यक मानते हैं। 

मामले में शामिल प्रश्न और तदनुसार, वे इस न्यायाधिकरण के समक्ष वीसी के माध्यम से निर्धारित तिथि पर उपस्थित रहेंगे।

11. इस आदेश की प्रति अपर मुख्य सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन, उत्तर प्रदेश सरकार, प्रमुख सचिव को अग्रेषित की जाय।