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मुख्यमंत्री और प्रमुख सचिव से शिकायत से क्षुब्ध जिला प्रशासन का फरमान, बंद होगा बघऊंच का गो आश्रय स्थल


मधुसूदन सिंह 

 बलिया।। पांच माह से जिला प्रशासन द्वारा गोवंश को खिलाने के लिये शासन से आवंटित धनराशि न मिलने की शिकायत,जिले के सबसे बड़े गो आश्रय स्थल के संरक्षक/ग्राम प्रधान द्वारा प्रदेश के मुख्यमंत्री और प्रमुख सचिव से करना, बलिया जिला प्रशासन को इतना नागवार गुजरा है कि बकाया धनराशि देने की बजाय इस केंद्र को ही बंद करने का फरमान जारी कर दिया गया। अब यहां के लगभग 5 सौ पशुओ को दूसरे आश्रय स्थलों के लिये भेजा जायेगा। जिला प्रशासन के इस आदेश पर अब उंगली उठने लगी है। क्योंकि देश भर मे फैले लम्पी रोग के चलते पशुओ को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने पर रोक है, बावजूद बलिया का जिला प्रशासन इतनी ज्यादे संख्या मे पशुओ को अन्य आश्रय स्थलों मे ले जाना, क्या सुरक्षित है? यहां इनके खाने के लिये पैसे नही है तो क्या दूसरी जगह के लिये भी समस्या नही बनेंगे? आखिर यही इनके चारे के लिये भुगतान देने मे क्या आपत्ति है?

 बता दे कि विकास खंड बेलहरी के ग्राम पंचायत बघऊंच में वर्ष 2019-20 में 50 लाख की लागत से बना गो आश्रय स्थल अब वीरान हो जायेगा। क्योंकि मंगलवार को उपजिलाधिकारी सदर व मुख्य पशु चिकित्साधिकारी ने गोशाला पहुंच कर सभी पशुओं को अन्यत्र हटाने का फरमान सुनाया। हालांकि इस घटना को षड़यंत्र के तहत देखा जा रहा है, क्योंकि कोई अधिकारी स्पष्ट नहीं बोल रहा है।





विकास खंड बेलहरी के बघऊंच ग्राम पंचायत स्थित करीब 50 एकड़ में फैले गो आश्रय स्थल के संरक्षक/ ग्राम प्रधान शिवपूजन राम ने 14 अक्टूबर 22 को जिलाधिकारी बलिया से लगायत प्रमुख सचिव पशुधन उ.प्र. सरकार लखनऊ,निजी सचिव  समेत मुख्यमंत्री तक को पत्र लिखकर गो आश्रय स्थल पर पशुओं का चारा व मजदूरी का पांच माह का भुगतान न मिलने की शिकायत की थी । पत्र में कहा था कि 10 अक्टूबर से पशुओं का भूसा,चारा,खरी, चोकर आदि जरुरी सामान समाप्त हो गया है। जिसके कारण पशुओं की मरने की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। साथ में चेताया भी था कि अगर पांच माह का बकाया भुगतान जल्दी नहीं हुआ तो पशुओं को छुट्टा छोड़ दिया जायेगा। एक पखवाड़े बीत जाने के बाद भी भुगतान तो नहीं हुआ लेकिन शिकायती पत्र से खार खाये अधिकारियों ने मंगलवार को गो आश्रय स्थल पर पहुंचकर गोशाला को अस्थाई बताते हुए पशुओं को अन्यत्र ले जाने की बात कही।इस बावत पूछे जाने पर मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा. गौतम सिंह ने कहा कि यह गो आश्रय स्थल अस्थाई है स्थाई गोशाला पर पशुओं को भेजा जा रहा है। जबकि जनपद भर मे लगभग 25 अस्थायी गो आश्रय स्थल और है, उनको क्यों नही हटाया जा रहा है। इस केंद्र को इस लिये बंद किया जा रहा है कि यहां के ग्राम प्रधान ने मुख़्यमंत्री जी से शिकायत करके यहां की पोल खोल दी है। इस केंद्र के बंद हो जाने के बाद इस न्याय पंचायत मे अब एक ही गो आश्रय स्थल नही रहेगा क्योंकि पूरे न्याय पंचायत मे यही एक केंद्र था। वही पिछले तीन साल से चल रहा यह केंद्र अस्थायी है, अधिकारियों को क्यों नही दिखा? शिकायत के बाद ही क्यों दिखा, यह बड़ा यक्ष प्रश्न है जिसको माननीय मुख्यमंत्री जी को संज्ञान मे लेना चाहिये।






कभी डीएम ने थपथपायी थी पीठ, आज डीएम के ही आदेश से होगा वीरान 

हल्दी। जिले का सबसे  बड़ा पशु आश्रय स्थल जो करीब 50 एकड़ भूमि में फैला है, कभी जिलाधिकारी के द्वारा शाबाशी पाया था, अब डीएम के ही आदेश पर वीरान होने जा रहा है। बता दे कि इस गो आश्रय स्थल में कभी 500 से अधिक गोवंश रहते थे। इस गो आश्रय स्थल को देखकर तत्कालीन जिलाधिकारी श्रीहरि प्रताप शाही ने संरक्षक की पीठ थपथपा चुके है। लेकिन आज डीएम के ही आदेश पर ही बंद होने के कगार पर है।




लम्पी बीमारी के चलते ददरी मेला नही, पर गो स्थल से सैकड़ो पशुओ को अन्यत्र ले जाने का जारी हुआ फरमान 

सिर्फ पांच बछड़ो को ही भेजा  

हल्दी। उपजिलाधिकारी सदर, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, खंड विकास अधिकारी बेलहरी, खंड विकास अधिकारी चिलकहर वह थानाध्यक्ष हल्दी मौके पर पहुंचे थे करीब तीन सौ पशुओं को ले जाने आई जिला प्रशासन की टीम ने सिर्फ पांच बछड़ों को लेकर गई।

 जिले में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लगने वाला ददरी मेले में पशुओं की खरीदारी करने के लिए अन्य प्रदेशों से भी बढ़े पैमाने पर व्यापारी आते है। जिसका जिला प्रमुख स्थान है। जिलाधिकारी ने  लंपी बीमारी के चलते ददरी मेला में व बैरिया में लगने वाला सुदिष्ठ पुरी मेला में पशुओं का मेला न लगाए जाने का आदेश जारी किया है। ताकि पशुओं में लंपी का प्रसार न हो। बावजूद ढाई-तीन सौ पशुओं को अन्यत्र ले जाना कहां तक ठीक होगा यह समझ से परे है।