Breaking News

उत्तरकाशी हिमस्खलन मे मशहूर पर्वतारोही सविता कंसवाल की मौत, 9 शव बरामद,14 बचाये गये

 


उत्तरकाशी।। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में द्रौपदी का डांडा-2 शिखर पर 17,000 फुट की ऊंचाई पर हुए भीषण हिमस्खलन हादसे में जान गंवाने वालों में मशहूर पर्वतारोही सविता कंसवाल भी शामिल हैं।

 बता दे कि कंसवाल ने 15 दिन के भीतर माउंट एवरेस्ट और माउंट मकालू पर चढ़ाई करके राष्ट्रीय रिकॉर्ड कायम किया था। उत्तरकाशी स्थित नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) के प्राचार्य कर्नल अमित बिष्ट ने बुधवार को कंसवाल की मृत्यु की पुष्टि की। अभी तक बरामद किए गए चार शवों में उनका शव भी शामिल है।


हिमस्खलन हादसा मंगलवार को उस समय हुआ जब पर्वतारोहियों के 41 सदस्यों का एक दल शिखर से वापस लौट रहा था। कंसवाल 'निम' में एक प्रशिक्षक के रूप में काम करती थीं और प्रशिक्षु पर्वतारोहियों के साथ द्रौपदी का डांडा-2 गई थीं। कंसवाल के निधन की खबर से उनके गांव लोंथरू में मातम छा गया है।

 दल में निम के 28 प्रशिक्षु पर्वतारोही शामिल थे। उत्तराखंड पुलिस की ओर से जारी सूची के अनुसार, ये प्रशिक्षु पश्चिम बंगाल, दिल्ली, तेलंगाना, तमिलनाडु, कर्नाटक, असम, हरियाणा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के हैं। लापता पर्वतारोहियों की तलाश में भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के चार जवानों को चीता और एएलएच हेलीकॉप्टर से डोकरानी ग्लेशियर भेजा गया है।





14 पर्वतारोहियों को बचाया, अभी भी 29 लापता 

 सरकारी सूचना के अनुसार उत्तराखंड में हिमस्खलन के बाद से लापता हुए एक पर्वतारोही दल के 14 सदस्यों को बुधवार को बचा लिया। अलग अलग एजेंसियों और वायुसेना के हेलीकॉप्टरों की मदद से चलाए जा रहे खोज एवं बचाव अभियान के जरिए अन्य लापता लोगों की तलाश की जा रही है। भटवारी के उपमंडल मजिस्ट्रेट छत्तर सिंह चौहान ने कहा कि टीम के 14 सदस्यों में से 6 को हिमस्खलन में मामूली चोटें आई हैं और उन्हें हेलीकॉप्टर ने दो चक्कर लगाकर मतली से निकाला। उन्होंने कहा कि अन्य चक्करों में आठ और लोगों को निकाला गया।

उत्तराखंड में हिमस्खलन त्रासदी के बाद कुल 9 लाशें बरामद की गई हैं। नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (NIM) ने गुरुवार को बताया कि अभी भी 29 ट्रेनी पर्वतारोही हिमस्खलन में फंसे हुए हैं।

 बचाव टीमें फंसे हुए लोगों की तलाश कर रही हैं। बचाव टीमें जिन लोगों को सुरक्षित वापस लाने में सफल हुई हैं उन पर्वतारोहियों ने अपने भयावह और दर्दनाक अनुभव साझा किए हैं।


 खाई में जिंदगी और मौत के साथ 3 घंटे तक लड़ाई

अस्पताल में इलाज करा रहे ट्रेनी पर्वतारोही दीप ठाकुर ने कहा कि वो इस हादसे से बाल-बाल बचे हैं। दीप ठाकुर गुजरात के रहने वाले हैं। उन्होंने बताया कि सुबह करीब साढ़े नौ बजे द्रौपदी के डंडा शिखर पर चढ़ने के दौरान अचानक से हिमस्खलन आया। दीप ने कहा कि उसकी रफ्तार इतनी तेज थी कि वो अपने बाकी के साथियों के साथ करीब 60 फीट गहरी खाई में गिर गए। दीप ठाकुर ने बताया कि उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था। वो उस खाई में 3 घंटे तक फंसे रहे। दीप ने बताया कि इस दौरान मैं जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करता रहा।

 कभी न भूलने वाला हादसा

मुंबई के रहने वाले एक ट्रेनी पर्वतारोही ने बताया कि वह द्रौपदी के डंडा के शिखर से केवल 100 मीटर नीचे थे। वो चोटी पर चढ़कर वहां फोटो खिंचवाकर नीचे उतरने के बारे में अभी सोच ही रहे थे कि हादसा हो गया। उन्होंने बताया कि यह हादसा ऐसा था जिसे मैं कभी नहीं भूल सकता। वो कहते हैं कि इस हादसे ने उन्हें कभी न भूलने वाले दुख के साथ छोड़ दिया है।


ट्रेकिंग पर लगी रोक

मंगलवार को नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के ट्रेनी पर्वतारोही और ट्रेनर 5,000 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर हिमस्खलन की चपेट में आ गए थे। जिलाधिकारी अभिषेक रुहेला ने उत्तरकाशी में ट्रेकिंग और पर्वतारोहण टीमों की सुरक्षा को देखते हुए यहां अगले तीन दिनों के लिए ट्रेकिंग गतिविधियों पर रोक लगा दी है। मौसम विभाग ने भी इस इलाके में अगले कुछ दिनों के लिए भारी बारीश की चेतावनी दी है।


 16,000 फीट पर तैयार किया गया एडवांस हेलिकॉप्टर लैंडिंग ग्राउंड

बचाव के लिए एडवांस कैंप में ITBP के और जवानों को भेजा गया है। 16,000 फीट की ऊंचाई पर एक एडवांस हेलिकॉप्टर लैंडिंग ग्राउंड भी तैयार किया गया है। आज सुबह इस लैंडिंग ग्राउंड पर सफलतापूर्वक लैंडिंग भी कराई गई है। कई हेलीकॉप्टर बचाव के लिए भेजे जा चुके हैं। (साभार )