Breaking News

बलिया मे सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना : कोर्ट के आदेश के बाद भी डीआईओएस ने फर्जी करार प्रधानाध्यापको /शिक्षकों को वेतन देने का दिया आदेश



मुख्यमंत्री से लगायत शासन मे की गयी शिकायत

मधुसूदन सिंह

बलिया।। अभी जीएमएएम इंटर कालेज बेल्थरा रोड को कूट रचित दस्तावेजों के आधार पर अल्पसंख्यक विद्यालय बनाये जाने के खिलाफ उच्च न्यायालय मे जनहित याचिका दायर करने और इसमें डीआईओएस रमेश सिंह द्वारा अपने पिछले कार्यकाल मे 20 नियुक्तियों को अनुमोदित करने की शिकायत वाली खबर ठंडी भी नही पड़ी थी कि आज की दूसरी बड़ी खबर रमेश सिंह से ही संबंधित सामने आ गयी है। इस खबर के अनुसार डीआईओएस रमेश सिंह ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा फर्जी करार दिये जा चुके संस्कृत शिक्षकों के वेतन आहरण का आदेश जारी कर सनसनी फैला दी है। डीआईओएस के इस आदेश की शिकायत मुख्यमंत्री से लगायत शासन के सभी उच्चाधिकारियों से रजिस्टर्ड पत्र भेजकर की गयी है। अब सवाल यह उठ रहा है कि जिन नियुक्तियों को पहले हाई कोर्ट की सिंगल और डबल बेंच द्वारा फर्जी करार दिया और फिर सर्वोच्च न्यायालय ने भी फर्जी करार दे दिया हो, ऐसे अध्यापकों को किस आधार पर शिक्षक मानकर वेतन आहरण का आदेश जारी कर दिया गया है? क्या डीआईओएस को सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना का भी डर नही है।जब विज्ञापन संख्या 6/2011 और 7/2011 की चयन प्रक्रिया को दूषित पाते हुए शून्य घोषित कर दिया गया हो, उसके बाद इन दोनों विज्ञापनों से अच्छादित को बिना किसी सक्षम न्यायालय के प्रधानाध्यापक या शिक्षक मानकर वेतन देने का आदेश कैसे किया जा सकता है?इसकी शिकायत खेजूरी निवासी पंकज कुमार यादव ने मुख्यमंत्री से लगायत शासन के सभी उच्चाधिकारियों से की है।









मुख्यमंत्री को भेजा गया पत्र निम्न है -----

कृपया कार्यालय, जिला विद्यालय निरीक्षक, बलिया के पत्रांक 7928-34 / 2022-23 दिनांक 28.09.2022 का सन्दर्भ ग्रहण करने का कष्ट करें, जिसमें जनपद बलिया के श्री सत्यनारायण संस्कृत उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, मनियर, बलिया (उ0प्र0) में कार्यरत फर्जी शिक्षक प्रशांत कुमार सिंह एवं समरजीत मणि यादव के प्रार्थना पत्र का हवाला देकर माह सितम्बर, 2022 से वेतन भुगतान की अनुमति प्रदान की गयी है तथा राजकोष से वेतन भुगतान के सापेक्ष अनुदान भी अवमुक्त कर दिया गया है। इस सम्बन्ध में आपका ध्यान निम्न तथ्यों की तरफ सादर आकृष्ट है


1- आजमगढ मण्डल के अशासकीय सहायता प्राप्त संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक व अध्यापक की नियुक्ति के क्रम में विज्ञापन संख्या-06/2011 व 07/2011 जारी किया गया।

2- उपरोक्त विज्ञापन संख्या 06/2011 व 07/2011 के विरूद्ध मा. उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में याचिका संख्या ए-16645 / 2012 श्री किरन गुप्ता व अन्य बनाम उत्तर प्रदेश शासन व अन्य, जिसमें मा. न्यायालय ने दिनांक 04.04.2012 को याचिका निस्तारित करते हुए आदेश पारित करने को कहा।

 3- मा. उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश दिनांक 04.04.2012 के अनुपालन में शिक्षा निदेशक, माध्यमिक शिक्षा ने दिनांक 25.05.2012 को आदेश पारित किया तथा अनेक तरह की अनियमितता पाये जाने पर विज्ञापन संख्या 06/2011 व 07/2011 को निरस्त करने के साथ ही सम्पूर्ण चयन प्रक्रिया को निष्प्रभावी एवं शून्य घोषित कर दिया। (अवलोकनार्थ छायाप्रति संलग्न)

4- शिक्षा निदेशक, माध्यमिक के निर्णय दिनांक 25.05.2012 के विरुद्ध श्री भारतेन्दु चौबे ने माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में याचिका संख्या 45441 / 2012 एवं श्रीमती माधवी राय ने याचिका संख्या 47323 / 2012 योजित किया। माननीय न्यायालय ने उपरोक्त याचिका दिनांक 18.01.2013 को खारिज कर दिया। उपरोक्त निर्णय के विरूद्ध माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में स्पेशल अपील संख्या 162 / 2013 अनीता देवी गुप्ता बनाम स्टेट आफ यूपी व 196 / 2013 माधवी राय बनाम स्टेट ऑफ यूपी दाखिल किया, जो माननीय न्यायालय द्वारा दिनांक 05.02.2013 व 06.02.2013 को खारिज कर दिया गया।

5- माननीय उच्च न्यायालय द्वारा स्पेशल अपील संख्या 162/2013 व 196 / 2013 में पारित आदेश दिनांक 05.02.2013 व 06.02.2013 के विरुद्ध माननीय सर्वोच्च न्यायालय में सिविल अपील संख्या 19651/2013 दाखिल किया गया, जिसमें माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 25.10.2013 को पारित आदेश के क्रम में माननीय उच्च न्यायालय ने स्पेशल अपील संख्या 162 / 2013 अनीता देवी गुप्ता बनाम स्टेट ऑफ यूपी एवं अन्य स्पेशल अपील डिफेक्टिव- 121 / 2014 भारतेन्दु चौबे बनाम स्टेट ऑफ यूपी एवं अन्य एवं स्पेशल अपील संख्या 196 / 2013 माधवी राय बनाम स्टेट ऑफ यूपी एवं अन्य में अपने निर्णय दिनांक 28.08.2017 द्वारा खारिज कर दिया। उपरोक्त निर्णय के विरुद्ध मा. सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुशा याचिका संख्या 30237 / 2017 दाखिल किया गया, जो दिनांक 19.01.2018 को खारिज कर दिया गया।


6 – माननीय सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा पारित आदेश दिनांक 19.01.2018 के समादर में संयुक्त शिक्षा निदेशक, आजमगढ़ के पत्रांक 5125-30/2017-18 दिनांक 30.01.2018 द्वारा न्यायालय के आदेश का पालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया, जिसके परिपेक्ष्य में जिला विद्यालय निरीक्षक, बलिया के पत्रांक 8341-45/2017-18 दिनांक 21.02.2018 द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के आदेश दिनांक 19.01.2018 का अनुपालन सुनिश्चित करते हुए बलिया जिले के समस्त सहायता प्राप्त अनुदानित संस्कृत विद्यालय / महाविद्यालय से आच्छादित शिक्षकों/ शिक्षिकाओं का वेतन भुगतान स्थगित कर दिया गया।

 7- जिला विद्यालय निरीक्षक, बलिया श्री रमेश सिंह द्वारा पत्रांक 7928-34 / 2022 दिनांक 28.09.2022 के द्वारा कार्यालय आदेश निर्गत कर श्री प्रशांत कुमार सिंह एवं श्री समरजीत मणि यादव के प्रार्थना पत्र दिनांक 27.08.2022 के परिपेक्ष्य में श्री सत्यनारायण संस्कृत उ०मा०विद्यालय, मनियर, बलिया में शिक्षक के तौर पर माह सितम्बर, 2022 से वेतन भुगतान की अनुमति प्रदान कर दी गयी तथा वेतन भुगतान अवमुक्त कर दिया गया।


8- शिक्षा निदेशक, माध्यमिक द्वारा दिनांक 25.05.2012 को जब विज्ञापन संख्या 06/2011 व 07/2011 में सम्पूर्ण चयन प्रक्रिया को दूषित पाया गया है, ऐसी स्थिति में शिक्षा निदेशक, माध्यमिक के निर्णय के उपरान्त जिला विद्यालय निरीक्षक, बलिया श्री रमेश सिंह को निर्णय पारित करने का कोई अधिकार नहीं है।


9- जिला विद्यालय निरीक्षक श्री रमेश सिंह द्वारा माननीय उच्च न्यायालय, लखनऊ खण्डपीठ में वर्ष 2012 से 2014 तक योजित याचिका का हवाला देकर वेतन भुगतान निर्गतत किया गया है, जबकि माननीय सर्वोच्च न्यायालय, नई दिल्ली का आदेश दिनांक 19.01.2018 का है। ऐसी परिस्थिति में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय दिनांक 19.01.2018 के परिपेक्ष्य में माननीय उच्च न्यायालय की लखनऊ खण्डपीठ द्वारा पूर्व की तिथि में पारित आदेश का हवाला देकर वेतन भुगतान किया जाना माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना है तथा यह पूर्ण रूप से अवैधानिक है। जिला विद्यालय निरीक्षक, बलिया श्री रमेश सिंह द्वारा व्यक्तिगत स्वार्थ पूर्ति के लिए राजकीय कोष को गम्भीर आर्थिक क्षति पहुंचाई गयी है।


10- जिला विद्यालय निरीक्षक, बलिया श्री रमेश सिंह द्वारा फर्जी शिक्षकों को अवैध रूप से अवशेष वेतन देने का प्रयास किया जा रहा है।

 11- माननीय सर्वोच्च न्यायालय, नई दिल्ली के निर्णय दिनांक 19.01.2018 के परिपेक्ष्य में फर्जी शिक्षकों का सम्बन्धित विद्यालय में कार्य करना पूर्ण रूप से अवैध है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के उपरान्त फर्जी शिक्षकों से न तो कार्य लिया जा सकता है, और न ही विद्यालय के प्रबन्धक / प्रधानाचार्य द्वारा उनका वेतन बिल अग्रसारित की जा सकती है।


अतः श्रीमान् जी से विनम्र अनुरोध है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विशेष अनुज्ञा याचिका संख्या 30237/2017 में पारित आदेश दिनांक 19.01.2018 की अवहेलना कर जनपद बलिया के संस्कृत विद्यालयों में अवैध रूप से कार्यरत फर्जी शिक्षकों का वेतन भुगतान करने एवं राजकीय कोष को गम्भीर आर्थिक क्षति पहुंचाने के मामले का संदर्भ ग्रहण करते हुए प्रकरण में प्रथमदृष्टया जिला विद्यालय निरीक्षक, बलिया श्री रमेश सिंह समेत प्रकरण में संलिप्त सम्बन्धित अधिकारियों / कर्मचारियों के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई करने तथा इनके विरूद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट पंजीकृत कराने की कृपा करें।

जिला विद्यालय निरीक्षक द्वारा जारी विवादित आदेश




जाने सहायक अध्यापकों ने क्या कहा

खबर के प्रकाशन के बाद प्रयागराज उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ मे याचिका संख्या 5028/2012 आंजनेय त्रिपाठी व अन्य 11 के कुछ पक्षकारों प्रशान्त कुमार सिंह एवं समरजीत मणि यादव( श्री सत्य नारायण स0मा०वि० मनियर, जनपद-बलिया )द्वारा बलिया एक्सप्रेस से संपर्क करके बताया गया कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा जो आदेश पारित हुआ है, वह प्रधानाध्यापको की नियुक्ति के संबंध मे है। यह आदेश सहायक अध्यापकों की नियुक्ति पर लागू नही होता है, क्योंकि उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ मे दायर याचिका के अलावा हम लोगों द्वारा कोई याचिका ही दायर नही की गयी है। हमारे द्वारा दायर याचिका संख्या 5028/2012 आज भी लंबित है और इसमें आदेश आना बाकी है। ऐसे मे हमारी नियुक्तियों को बिना माननीय न्यायालय के आदेश जारी होने के फर्जी कहना न्यायोचित नही है। यह भी कहा कि शिकायत कर्ता पंकज यादव साजिशन हम लोगों के खिलाफ माननीय मुख्यमंत्री और अन्य शासन के उच्चाधिकारियों को शिकायती पत्र भेजें है, इसमें कोई सच्चाई नही है। लखनऊ खंडपीठ मे याचिका दायर करने वाले सभी बलिया के 11 सहायक अध्यापकों के अवैधानिक तरीके से रोके गये वेतन को जिला विद्यालय निरीक्षक द्वारा दिया जाना कही से भी गलत नही है।