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बलिया मे तैनात स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियो के लिए चेतावनी




गलत काम करने से मातहतों को रोका, तो हो जायेगी आपके खिलाफ जमकर नेतागिरी

मधुसूदन सिंह

बलिया।। बलिया जिला नही राष्ट्र है, अगर यह आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने 70 के दशक मे कहा था तो गलत नही कहा था, यह आज खुली आँखों से ही दिख रहा है। चोर मचाये शोर, की कहावत को अगर आपको प्रत्यक्ष रूप से देखना है तो बलिया आइये और देखिये।

आपको बता दे कि मुख्यचिकित्साधिकारी बलिया के अधीन जिला चिकित्सालय परिसर मे एक टीबी क्लिनिक चलता है। इस क्लिनिक के द्वारा ही टीबी से ग्रसित रोगियों का इलाज किया जाता है। इस टीबी क्लिनिक का प्रभारी डॉ साकेत बिहारी को अभी 3 माह पहले ही बनाया गया है। डॉ साकेत बिहारी सवा आठ से साढ़े आठ बजे तक क्लिनिक पहुंच जाते है। डॉ बिहारी शांत व धीरे बोलने वाले चिकित्सक है। डॉ बिहारी ने यहां आकर एक बहुत बड़ी गलती कर दी। इन्होने यहां फैले भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए सबसे बड़े फोड़े पर ही नस्तर चला दिया। नस्तर जिसके घांव पर चलेगा उसको दर्द होना लाजमी है।



एक बाबू ने रची आंदोलन की गाथा 

डॉ साकेत बिहारी ने पिछले तीन सालों से लखनऊ रहकर टीबी क्लिनिक बलिया से वेतन लेने वाले दबंग बाबू विनोद कुमार सैनी के खिलाफ कार्यवाही करते हुए अनुपस्थिति को कारण बनाते हुए वेतन को रुकवा दिया। सूच्य हो कि विनोद कुमार सैनी के कालम मे जहां हस्ताक्षर बनता है LKO अधिकतर लिखा हुआ है। बलिया एक्सप्रेस ने भी इस बात की पुष्टि के लिए विनोद कुमार सैनी के नंबर पर फोन किया गया तो बताये कि लखनऊ हूं। जब उपस्थिति पंजिका पर LKO लिखा होने की बात की गयी तो बोले सरकारी काम से लखनऊ हूं। अब सवाल यह है आखिर मुख्यचिकित्साधिकारी बलिया को कौन सा काम पड़ा रहता है कि एक बाबू को लखनऊ ही छोड़े हुए है। डॉ साकेत बिहारी ने जब तहकीकात की तो दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का नाम सामने आया जो विनोद कुमार सैनी की हाजिरी के सामने LKO या हस्ताक्षर बना देते थे। डॉ बिहारी ने जहां उपस्थिति पंजिका रखी जाती है उस कमरे का ताला बदलवा कर दूसरा ताला लगवा दिया। अगले दिन जब ताला खोलकर रजिस्टर निकाला गया तो तीन लोग पहले से ही हस्ताक्षर कर चुके थे।

पता करने पर पता चला कि ताले की डुप्लीकेट चाभी बनाकर वही दो लोगो ने हस्ताक्षर बनाये है जिनका नाम विनोद कुमार सैनी का हस्ताक्षर बनाने मे सामने आया है। डॉ बिहारी ने इसकी पूंछताछ की और भविष्य मे ऐसा नही करने की चेतावनी दी। इसके 30 मिनट बाद एक चतुर्थ श्रेणी कर्मी बीरेंद्र गिरकर बेहोश हो जाता है और आरोप लगाया जाता है कि ऐसा डॉ बिहारी के द्वारा मानसिक व शारीरिक उत्पीड़न के कारण हुआ है। अब चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी संगठन मुख्यचिकित्साधिकारी को पत्र लिखकर डॉ बिहारी को हटाने और इनके खिलाफ कार्यवाही करने का पत्रक दिया है।




बता दे कि 1 सितंबर से अपने खिलाफ चलाये जा रहे मुहीम से आहत होकर डॉ साकेत बिहारी ने जिलाधिकारी को सूचित करते हुए कहा है कि बिना कार्य किये सालों से विनोद सैनी बाबू का वेतन आहरित दबाव बनाकर करवाया जा रहा था पिछले 3 महीनों से मेरी तैनाती है डी टी सी बलिया में ।

बाबू बिनोद सैनी 3 साल से पोस्टेड हैं आज तक कोई कार्य नही किया। लखनऊ रहते मैंने उन्हें अनुपस्थित करने का गुनाह किया है और उनका फ़र्ज़ी सिग्नेचर अब तक बिरेन्द्र कुमार और राकेश सिंह TB HV द्वारा किया जाता रहा है। इसलिए मैंने रूम का ताला बदलवाया फिर भी डुप्लीकेट चाभी इन लोगों द्वारा बनाकर 1.9.2022 को हस्ताक्षर किया गया। इसलिए मैने बिरेन्द्र को केवल ये बोला कि अब हद हो गयी है मैं लिखित रूप से संबंधित अधिकारी को सूचित करूँगा उसी के 30 मि बाद ये संगठित तरीके से अभियान चलाया गया है। डॉ साकेत बिहारी ने साफ कहा है कि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की कोशिश का ही यह परिणाम है और इसका साजिशकर्ता  बाबू विनोद कुमार सैनी ही है।



दूसरी घटना सोनवानी सीएचसी की है। यहां पर तैनात एएनएम चंद्रबाला सिंह पर बेलहरी के प्रधान के नेतृत्व मे ग्राम वासियो ने अधीक्षक से इनकी शिकायत की, जिसको अधीक्षक ने जांच ने सही पाया। अधीक्षर डॉ मुकरर्म की संस्तुति पर मुख्यचिकित्साधिकारी ने चन्द्रबाला सिंह का तबादला बेलहरी से उप स्वास्थ्य केंद्र दिघार  और यहां पर तैनात आभा मिश्रा को बेलहरी उप केंद्र पर तैनाती का आदेश जारी कर दिया। आभा मिश्र ने शनिवार को कार्यभार ग्रहण कर क्षेत्र मे आशाओं के साथ काम भी किया। लेकिन जब रविवार को आभा मिश्रा और आशाये गांवो मे टीकाकरण करने के लिए उप केंद्र पहुंची तो वहां ताला बंद मिला। ताला खोलने के संबंध मे जब चन्द्राबाला सिंह से इन लोगो ने बात किया तो बोली 10 दिन बाद दे दूंगी । अब आप खुद ही सोचिये कि स्वास्थ्य विभाग के मुखिया की एक संविदा की एएनएम के सामने कितनी हैसियत है।




चन्द्राबाला सिंह के खिलाफ जांच रिपोर्ट



ग्रामीणों की शिकायतें


बलिया मे लगभग दो दर्जन बाबुओ के पास नही है कोई प्रभार

मुख्यचिकित्साधिकारी बलिया के अधीन लगभग दो दर्जन के करीब बाबुओ के पास कोई भी प्रभार न होने के कारण वे अपने अपने घरों पर रहकर वेतन आहरित कर रहे है। या यूं कहे कि मुख्यचिकित्साधिकारी बिना काम लिये बैठाकर इन बाबुओ को वेतन दे रहे है। ये ऐसा डर से या किसी और वजह से कर रहे है यह मुख्यचिकित्साधिकारी साहब ही बता सकते है।

उपरोक्त ये घटनाएं  बलिया मे तैनात अधिकारियों के लिए चेतावनी है। न काम करने वाले कर्मचारियों का एक ऐसा काकश बन गया है जिसको छेड़ने वाले अधिकारी को ही दण्डित होने की प्रबल संभावनाएं बन जाती है क्योंकि ऐसे लोगों की राजनैतिक रसूख भी अधिकारियों से ज्यादे होते है। इसी लिये बलिया एक्सप्रेस अधिकारियों को सलाह देता है कि भ्रष्टाचार मे लिप्त कर्मियों को आपके द्वारा बख्शा जाना सांप को दूध पिलाने के बराबर होगा।

बलिया मे कई कर्मचारी नेता है जो पहले अपनी ड्यूटी करते है फिर संगठन का कार्य। ये कभी भी अपने पद का दुरूपयोग करके ड्यूटी से कन्नी नही काटते है। स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी नेताओं मे चाहे सत्या सिंह हो, योगेंद्र पांडेय हो, अरुण सिंह (एक्सरे ) हो, हेमवंत सिंह हो, अरुण सिंह हो, इनको आप कभी भी सरकारी काम छोड़कर नेतागिरी करते हुए नही देखेंगे, जबकि इनकी जनपद मे कर्मचारी नेता के रूप मे अलग पहचान है।