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उत्कृष्ट शिक्षकों को सम्मानित करते हुए सांसद मस्त ने बताया संयुक्त परिवार को समृद्धि का आधार



बलिया।। आजादी के अमृत महोत्सव की श्रृंखला में हर घर तिरंगा अभियान में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले शिक्षकों का सम्मान बतौर मुख्य अतिथि सांसद वीरेन्द्र सिंह मस्त ने किया। बीएसए कार्यालय परिसर में स्थित बहुउद्देशीय हॉल में आयोजित सम्मान समारोह राष्द्र भक्ति से ओत-प्रोत रहा।



स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर आजादी का अमृत महोत्सव देश भर में गरिमामय रूप से मनाये जाने सम्बन्धी कार्यक्रम के अन्तर्गत भारत सरकार की अपेक्षानुसार मुख्य सचिव, उप्र शासन द्वारा 11 से 17 अगस्त 2022 के मध्य हर घर तिरंगा कार्यक्रम के सन्दर्भ में विस्तृत दिशा-निर्देश दिये गये थे। इस क्रम में जनपद के उत्कृष्ट 75 अध्यापकों एवं 75 विद्यालयों को सम्मानित करने के लिए चयनित किया गया था।




इन शिक्षकों तथा विद्यालयों को सम्मानित करते हुए सांसद ने देश की तरक्की में शिक्षा को अहम बताया। नई शिक्षा नीति की चर्चा करते सांसद ने कहा कि यह नीति संस्कार के साथ ही बेहतर शिक्षा व राष्द्र के प्रति प्रेम की भावना जागृत करेगी। सांसद ने कहा कि जब तक गांव समृद्ध नहीं होंगे, देश समृद्ध नहीं होगा। गांव तभी समृद्ध होगा, जब परिवार समृद्ध होगा और परिवार की समृद्धि बिना संयुक्त परिवार के नहीं है। इसलिए परिवार को विघटन से बचाने के लिए हम सब को आगे आना होगा।

 इससे पहले सांसद का स्वागत बीएसए मनिराम सिंह, शिक्षक नेता जितेन्द्र सिंह, राजेश सिंह, खंड शिक्षा अधिकारी दुर्गा प्रसाद सिंह, हिमांशु मिश्रा, सुनील कुमार चौबे, रत्न शंकर पांडेय, मनोज सिंह, जिला समन्वयक नूरुल हुदा व ओम प्रकाश सिंह ने किया। इस मौके पर मुरलीछपरा ब्लाक प्रमुख कन्हैया सिंह, श्याम सुंदर उपाध्याय, एसआरजी आशुतोष सिंह तोमर, एआरपी मुमताज अहमद, अजयकान्त, रामप्रकाश सिंह, अल्ताफ अहमद, शशिभूषण मिश्र इत्यादि मौजूद रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष जितेंद्र सिंह ने और संचालन अब्दुल अव्वल व आभार व्यक्त बेसिक शिक्षा अधिकारी मनीराम सिंह ने किया।

काश शिक्षा मित्रो को भी किया गया होता सम्मानित

इस आयोजन मे अपने साथी शिक्षकों को सम्मानित होते देख सहकर्मी शिक्षा मित्रो को जहां अपार ख़ुशी हो रही थी, तो वही उनके दिलो से एक हुंक निकल रही थी और सम्मानित करने वालों से पूंछ रही थी कि क्या हम लोग शिक्षक नही है? एक शिक्षा मित्र ने तो कहा कि पढ़ाते वही हम भी है जो स्थायी शिक्षक पढ़ाते है लेकिन जब सम्मान देने की बारी आती है तो हमें उपेक्षित कर दिया जाता है। कहा कि मै  प्रदेश सरकार से पूंछना चाहता हूं कि क्या हम लोग शिक्षक नही है? क्या हम लोगो को सम्मानित होने का अधिकार नही है? फिलहाल इन सवालों का कोई भी जबाब देने वाला नही है।