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स्वच्छता और जागरूकता से ही हारेगा दिमागी बुखार :डॉ सिद्धार्थ



15 वर्ष तक के कुपोषित बच्चों को करता है ज्यादा प्रभावित

बलिया।। दिमागी बुखार को चमकी बुखार, नवकी बीमारी, एन्सेफेलाइटिस आदि कई नामों से जाना जाता है। इस बीमारी से बचाव के लिए इसके लक्षणों को जानना,उनसे बचाव करना और अपने आसपास स्वच्छता बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। उक्त जानकारी जिला महिला चिकित्सालय (पी पी सेंटर) पर तैनात वरिष्ठ नवजात शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ सिद्धार्थ मणि दुबे ने दी। डॉ दुबे ने जनमानस से अपील की कि दिमागी बुखार के प्रति सावधानी रखें एवं अपने आसपास स्वच्छता बनाए रखें ताकि बच्चों को इस खतरनाक बीमारी से बचाया जा सके।


कैसे होता है दिमागी बुखार ?

दिमागी बुखार या इंसेफलाइटिस वास्तव में मानव मस्तिष्क से जुड़ी बीमारी है। मानव मस्तिष्क में लाखों कोशिकाएं और तंत्रिकाएं  होती हैं। इन्हीं कोशिकाओं के संक्रमण और सूजन से मस्तिष्क में जो बीमारी होती है उसे एक्यूट एन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम कहते हैं। यह एक संक्रामक बीमारी है। दिमागी बुखार के रोगकारक जब शरीर में पहुंचते हैं तो खून में जाकर उनका प्रजनन शुरू हो जाता है और इनकी संख्या बहुत तेजी से बढ़ने लगती है। संक्रमित रक्त मस्तिष्क की कोशिकाओं में पहुंचता है और वहां संक्रमण कर देता है, जिससे दिमागी बुखार के लक्षण उत्पन्न होने लगते हैं।





दिमागी बुखार के लक्षण ?

डॉ दुबे बताते हैं कि इस बीमारी की शुरुआत में बच्चों को तेज बुखार आता है। इसके बाद बच्चों के शरीर में ऐंठन शुरू हो जाती है। शरीर का चमकना (झटके आना),पूरे शरीर/सिर में दर्द होना, मितली/ उल्टी आना, मांसपेशियों में कमजोरी महसूस होना, चलने में परेशानी होना/लकवा जैसे लक्षणों का प्रकट होना, बच्चों का लगातार बड़बड़ाना और बेहोश हो जाना आदि इसके कुछ अन्य प्रमुख लक्षण हैं। कुछ बच्चों में प्रकाश से डर (फोटोफोबिया) जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं।


लक्षण दिखने पर तुरंत ले जाये नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र 

यदि बच्चे में उपरोक्त में से कोई भी लक्षण दिखाई दे तो उसे शीघ्रताशीघ्र नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाएं और चिकित्सकीय परामर्श में ही रखें। बच्चे को एक शांत कमरे में रोशनी से दूर आराम करने दें। यदि बच्चे को झटका आ रहा है तो उसे दाएं या बाएं करवट लेटा कर ही अस्पताल ले जाएं और उसकी गर्दन को सीधा रखें। अगर मुंह से झाग/लार निकल रहा है तो उसे समय-समय पर साफ करते रहें ताकि बच्चे को सांस लेने में कोई दिक्कत ना हो।


कैसे करें बचाव ?

दिमागी बुखार से बचाव के लिए अपने बच्चों को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जाकर दिमागी बुखार का टीका निर्धारित समय पर अवश्य लगवाएं। इस बीमारी के रोग निरोध में इस टीके का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है। बच्चों को अत्यधिक गर्मी धूप से दूर रखें एवं शरीर में पानी की कमी ना होने दें। उन्हें ताजा पका हुआ पौष्टिक एवं सुपाच्य भोजन खिलाएं। बच्चों को पूरा शरीर ढकने वाले कपड़े पहनाएं,मच्छरदानी का उपयोग करें एवं आसपास के वातावरण को हमेशा स्वच्छ बनाए रखें।