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समाजवादी राजनीति से निकले एनडीए उम्मीदवार जगदीप धनखड़ होंगे देश के अगले उप राष्ट्रपति, मार्गरेट अल्वा को 346 मतों से हराया



नई दिल्ली।। देश को आज नया उपराष्ट्रपति मिल गया है। समाजवादी राजनीति से निकले एनडीए उम्मीदवार जगदीप धनखड़ ने भारी मतों से जीत दर्ज की है। उपराष्ट्रपति चुनाव में उन्होंने विपक्ष की संयुक्त उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को 346 मतों के अंतर से हराया है। धनखड़ को 528 वोट मिले, जबकि अल्वा को 182 वोट प्राप्त हुए। वहीं, 15 वोटों को रद्द कर दिया गया। एनडीए उम्मीदवार जगदीप धनकड़ को करीब 74.46 फीसदी वोट मिले। पिछली बार उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार वेंकैया नायडू को लगभग 67 प्रतिशत वोट मिले थे। इस बार पिछले बार से लगभग 7.5 फीसदी ज्यादा वोट मिले हैं।जगदीप धनखड़ मौजूदा उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू की जगह लेंगे, जिनका कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त हो रहा है और नए उपराष्ट्रपति 11 अगस्त को शपथ लेंगे। बता दें कि उपराष्ट्रपति चुनाव में 780 सांसदों में से 725 ने मतदान किया। बता दे कि श्री धनखड़ की बड़े नेता के रूप मे राजनीति की शुरुआत जनता दल के नेता के रूप मे हुई जो वीपी सिंह और चंद्रशेखर दोनों सरकारों मे मंत्री रहे है।

 दरअसल, संसद के दोनों सदनों को मिलाकर कुल सदस्यों की संख्या 788 होती है, जिनमें से उच्च सदन की आठ सीट फिलहाल खाली है। ऐसे में उपराष्ट्रपति चुनाव में 780 सांसद वोट डालने के लिए पात्र थे। वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, तृणमूल कांग्रेस के 36 सांसदों में केवल 2 सांसदों ने वोट डाले जबकि 34 सांसदों ने वोट नहीं डाले। दरअसल, तृणमूल कांग्रेस ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि वह मतदान से दूर रहेगी। उसके दोनों सदनों को मिलाकर कुल 39 सांसद हैं।





उपराष्ट्रपति चुनाव में 93 फीसदी पड़े वोट 

 उपराष्ट्रपति चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत लगभग 93 फीसदी सांसदों ने मतदान किया, जबकि 50 से अधिक सांसदों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल नहीं किया। शुभेंदु अधिकारी के पिता शिशिर अधिकारी और भाई दुब्येंदु अधिकारी ने पार्टी की उपराष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग बायकॉट की घोषणा के बावजूद भी वोटिंग की। वहीं, बीजेपी सांसद शनि देओल और संजय धोत्रे ने स्वास्थ्य कारणों से वोट नहीं डाला। उधर, समाजवादी पार्टी से मुलायम सिंह और बी एस पी से सफीकुर्र रहमान ने वोट नहीं डाला।


धनखड़ के जीतने से बना यह संयोग

धनखड़ के जीतने के बाद एक दुर्लभ संयोग बना है । बता दे कि लोकसभा के अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति एक ही राज्य से हैं। वर्तमान में ओम बिरला लोकसभा अध्यक्ष हैं और वह राजस्थान के कोटा संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति भी होते हैं। बता दें कि पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल जगदीप धनखड़ राजस्थान के प्रभावशाली जाट समुदाय से ताल्लुक रखते हैं।उनकी पृष्ठभूमि समाजवादी रही है।


वोटिंग से एक दिन पहले धनखड़ ने कही थी ये बात

वोटिंग से एक दिन पहले धनखड़ ने एक वीडियो संदेश में कहा था, ‘संसद के कामकाज को अगर प्रभावी बनाना है तो सांसदों को एक दूसरे के बीच विश्वास बहाली और टूट चुके संवाद को कायम करने के लिए रास्ते निकालने होंगे।अंतत: वह सांसद ही हैं, जो हमारी संसद का चरित्र निर्धारित करते हैं.’ उन्होंने कहा था, ‘समय आ चुका है कि एक दूसरे के बीच विश्वास बहाली और संसद की गरिमा को बहाल करने के लिए सभी दल साथ आएं "।


नाम की घोषणा करते समय नड्डा ने धनखड़ को कहा था ‘किसान पुत्र’

71 वर्षीय धनखड़ एक प्रसिद्ध वकील रहे हैं. उन्होंने ने राजस्थान उच्च न्यायालय और देश के उच्चतम न्यायालय दोनों में वकालत की है। धनखड़ राजस्थान में जाट समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का दर्जा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार के नाम की घोषणा करते हुए भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने कहा था कि धनखड़ लगभग तीन दशकों से सार्वजनिक जीवन में हैं. साथ ही, उन्होंने जाट नेता को ‘किसान पुत्र’ करार दिया था।


1989 में झुंझुनू से पहली बार बने थे सांसद 

धनखड़ 1989 के लोकसभा चुनाव में झुंझुनू से सांसद चुने जाने के बाद उन्होंने 1990 में संसदीय मामलों के राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया। श्री धनखड़ वीपी सिंह और चंद्रशेखर की सरकार में मंत्री भी रहे। 1991 में धनखड़ जनता दल छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए। वहीं, 1993 में वह अजमेर के किशनगढ़ से विधायक बने। इसके बाद 2003 में वह कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए. जुलाई 2019 में धनखड़ को पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया था और तब से राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आलोचना करने को लेकर वह अक्सर सुर्खियों में रहे हैं।