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भाषा चिंतन की भारतीय परंपरा विषयक एकल व्याख्यानमाला आयोजित




प्रयागराज।।हिन्दुस्तानी एकेडेमी के तत्वावधान में  आज  एकेडेमी स्थित गाँधी सभागार में डॉ उदयनारायण तिवारी स्मृति व्याख्यानमाला के अन्तर्गत ‘भाषा चिंतन की भारतीय परंपरा’ विषयक एकल व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ सरस्वती जी की प्रतिमा एवं डॉ उदयनारायण तिवारी के चित्र पर  माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ।      

      कार्यक्रम के प्रारम्भ में एकेडेमी के सचिव देवेन्द्र प्रताप सिंह ने आमंत्रित अतिथियों का स्वागत  पुष्पगुच्छ, स्मृति चिह्न और शॉल देकर किया। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी से आये प्रो. प्रभाकर  सिंह ने  डॉ उदयनारायण तिवारी के भाषा अध्यापन के क्षेत्र में योगदान पर प्रकाश पर डालते हुए कहा ‘ भारतीय भाषा चिंतन की परंपरा बेहद समृद्ध और समावेशी है। ‘पाणिनी’ को भारतीय भाषा चिंतन की परंपरा का पितामह कहा जा सकता है। हिन्दी भाषा चिंतन पर संस्कृत भाषा चिंतन का गहरा असर है। औपनिवेशिक युग में भारतीय भाषा चिंतन की समावेशी परंपरा को छिन्न-भिन्न कर प्रस्तुत किया गया।






 नागरी प्रचारिणी सभा काशी, भारतीय भाषा परिषद, प्रयाग और हिन्दुस्तानी एकेडेमी से जुडे़ भारतीय भाषा चिंतकों ने भारतीय भाषा चिंतन की परंपरा का पुनर्नवीकरण किया। भारतीय भाषा चिंतन को वैज्ञानिक दृष्टिकोण प्रदान करने वाले चिंतकों में कामता प्रसाद गुप्त, किशोरी दास बाजपेई, रामविलास शर्मा, धीरेन्द्र वर्मा, बाबूराम सक्सेना और उदय नारायण तिवारी का नाम प्रमुख है। अद्यतन यह परंपरा हरदेव बाहरी से होते हुए रामकिशोर शर्मा तक आती है। ’। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो. राम किशोर शर्मा (पूर्व विभागाध्यक्ष - हिन्दी, इलाहाबाद विश्वविद्यालय) ने कहा कि ‘भारतीय भाषा चिंतन में काशी और प्रयाग के विद्वानों का महती योगदान रहा है।

काशी से श्याम सुंदर दास और प्रयाग से धीरेंद्र वर्मा इसके वाहक रहे हैं’। कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों का स्वागत करते हुए एकेडेमी के सचिव देवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि डॉ उदयनारायण तिवारी का भाषा-विज्ञान के क्षेत्र मे विशेष योगदान था उनकी स्मृति में हिन्दुस्तानी एकेडेमी प्रत्येक वर्ष 28 जुलाई को ‘डॉ उदयनारायण तिवारी स्मृति व्याख्यानमाला का आयोजन करती है इसी क्रम में आज व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया है। हिन्दुस्तानी एकेडेमी का हमेशा से यह प्रयास रहता है कि साहित्य के प्रत्येक क्षेत्र के  विद्वानों के कृतित्व एवं व्यक्तित्व को आम जनमानस तक पहुँचाया जाय।

व्याख्यानमाला का संचालन एकेडेमी की प्रकाशन अधिकारी  ज्योतिर्मयी ने  किया। कार्यक्रम के अन्त में धन्यवाद ज्ञापन एकेडेमी के सचिव देवेन्द्र प्रताप सिंह ने किया। कार्यक्रम में उपस्थित विद्धानों में राम नरेश तिवारी ‘पिण्डीवासा’, डॉ. सभापति मिश्रा, डॉ. श्लेष गौतम, डॉ. विनम्रसेन सिंह, डॉ. शन्ति चौधरी, एम.एस. खान, विवके सत्याशु, डॉ. पुर्णिमा मालवीय सहित शोधार्थी एवं शहर के गणमान्य  आदि उपस्थित रहे।