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अंग्रेजो के जमाने से चलने वाली बजट पेश करने की परंपरा को तोड़ने वाले यशवंत सिन्हा क्या तोड़ पाएंगे एनडीए की घेराबंदी,बन पाएंगे राष्ट्रपति ?

 


नईदिल्ली ।। देश में 18 जुलाई को नए राष्ट्रपति के लिए चुनाव  होगा. इस बीच, विपक्ष ने यशवंत सिन्हा को अपना राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया है । अपने राजनैतिक सफर में कई मिल के पत्थर स्थापित करने वाले ,5 दशक से अधिक समय से अंग्रेजो के समय से शाम 5 बजे बजट पेश करने की परंपरा को तोड़कर नई परंपरा स्थापित करने वाले यशवंत सिन्हा क्या पीएम मोदी व शाह के अभेद्य दुर्ग में सेंधमारी करके चुनाव जीत पाएंगे यह बड़ा सवाल है ।

अफसरी छोड़कर राजनीति में आए यशवंत सिन्हा जनता दल की विश्वनाथ प्रताप सिंह मंत्रिमंडल में मंत्री बनते-बनते रह गए थे ,पर चंद्रशेखर मंत्रमंडल में जगह मिलने के बाद राजनीति में इनका कद ऊंचा हो गया ।

मंगलवार को राष्ट्रपति पद के लिए कैंडिडेट बनने की चर्चा यशवंत सिन्हा  के ही एक ट्वीट से शुरू हुई थी, जिसमें उन्होंने लिखा, एक बड़े राष्ट्रीय उद्देश्य के लिए अब मुझे पार्टी से हटकर विपक्षी एकता के लिए काम करना चाहिए । इस ट्वीट के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि वह विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हो सकते हैं और इसके कुछ देर बाद ही उनके नाम का ऐलान भी हो गया ।





प्रशासनिक सेवा से कॅरियर शुरू करने वाले यशवंत सिन्हा का देश की राजनीति में कैसा रहा है अब तक का सफर, जानिए उनका सफरनामा…

प्रशासनिक सेवा में कई अहम पदों पर हुए काबिज 

पटना में 6 नवंबर 1937 को जन्में यशवंत सिन्हा की पढ़ाई राजधानी में ही हुई । 1958 में राजनीति शास्त्र में मास्टर डिग्री लेने के बाद पटना विश्वविद्यालय से 1960 तक बतौर शिक्षक काम किया । इस दौरान उनकी प्रशासनिक सेवा की तैयारी जारी रही । 1960 में उनका चयन भारतीय प्रशासनिक सेवा में हुआ और 24 साल तक उन्होंने प्रशासनिक सेवा में अपना योगदान दिया । इस दौरान वह कई अहम पदों पर काबिज हुए ।

श्री सिन्हा ने बिहार सरकार के वित्त मंत्रालय में दो साल तक सचिव और उप-सचिव के तौर पर काम किया । इसके बाद भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय के उप-सचिव पद के लिए नियुक्ति की गई । इतना ही नही श्री सिन्हा ने भारतीय दूतावास में अहम जिम्मेदारी संभाली । 1971 से 1974 तक यशवंत सिन्हा बोन, जर्मनी में भारतीय दूतावास के पहले सचिव नियुक्त किए गए ।


ढाई दशक बाद इस्तीफा देकर राजनीति में ली एंट्री 

करीब ढाई दशक बाद 1984 में यशवंत सिन्हा ने भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दिया और राजनीति में एंट्री ली । राजनीतिक पारी की शुरुआत करते समय उन्होंने 1986 में जनता पार्टी जॉइन की और उन्हें पार्टी का आखिल भारतीय महासचिव बनाया गया । 1988 में राज्यसभा सदस्य के लिए चुने गए ।

जनता दल का गठन होने के बाद 1989 में उन्हें पार्टी का महासचिव बनाया गया । 1990 से 1991 तक एक साल के लिए चंद्रशेखर सरकार में वित्त मंत्री का पद संभाला । इसके बाद सिन्हा अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मार्च 1998 से मई 2002 तक वित्त मंत्री रहे । जून 1996 में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता बने । 1998, 1999 और 2009 में झारखंड की हजारी बाग सीट से लोकसभा सदस्य चुने गए । इसके अलावा 1 जुलाई, 2002 को विदेश मंत्रालय संभालने को मौका मिला । 2004 के लोकसभा चुनावों में हजारीबाग सीट से हार मिली । श्री सिन्हा ने 13 जून 2009 को भाजपा के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया । 2018 में भाजपा को छोड़ने के बाद 2021 में TMC जॉइन की । यहां उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया ।


राजनीतिक सफर में कई कदम उठाए

यशवंत सिन्हा ने वित्त मंत्री रहते हुए कई कदम उठाए. जैसे- ब्याज दरों में कटौती की, दूरसंचार क्षेत्र को मुक्त किया, पेट्रोलियम व्यवसाय को नियंत्रण से बाहर किया । इसके अलावा राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण का निधिकरण समेत कई अहम फैसले लिए.


5 दशक पुरानी पुरानी परंपरा को तोड़ा

अंग्रेजों के दौर में शाम 5 बजे बजट पेश किया जाता था, यही परंपरा भारतीय बजट को पेश करने में भी जारी रही, लेकिन वित्त मंत्री रहते हुए यशवंत सिन्हा ने 5 दशक से भी ज्यादा पुरानी परंपरा को तोड़ा. उन्होंने अपने राजनीति कॅरियर में कुल 7 बार बजट पेश किया है ।