सेवानिवृत्त कर्नल व बेटी ने लखनऊ से अयोध्या तक की शुरू की पदयात्रा, अग्निपथ के प्रति लोगो को कर रहे है जागरूक
मधुसूदन सिंह
बलिया/लखनऊ ।। बागी बलिया के नगरा के पास के सुल्तानपुर गांव के रहने वाले और सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल रह चुके गोरख सिंह सेंगर ने लखनऊ से एक पदयात्रा शुरू की है, वे अयोध्या में बन रहे राम मंदिर तक पैदल जाएंगे । श्री सेंगर ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा अयोध्या का सर्वांगीण विकास किया जा रहा है ।इसी क्रम में उनकी यह जानने की प्रबल इच्छा हुई कि तमाम लोग सुविधा सम्पन्न नहीं हैं, ऐसे साधनहीन लोग यदि अपनी आस्था के चलते पैदल यात्रा करना चाहते हैं, तो उन्हें रामलला के मंदिर तक पहुंचने में कितना समय लगेगा । इसके साथ ही रास्ते के अनुभव क्या होंगे? पैदल यात्रियों को क्या क्या परेशानियां हो सकती है, इसको कैसे दूर किया जा सकता है ? का आंकलन करेंगे और अपने यात्रा अनुभव को सांझा करेंगे । श्री सेंगर इस रूट को झारखंड के वैद्यनाथ धाम की कांवर यात्रा की तर्ज पर विकास चाहते है ।
बेटी भी दे रही है कदम कदम पर साथ
इस पदयात्रा में श्री सेंगर की एकमात्र संतान 15 वर्षीय बेटी भी साथ है । सेवानिवृत्त कर्नल और उनकी बेटी की इस पदयात्रा का मकसद अयोध्या में बन रहे राम मंदिर तक पैदल चलकर रास्ते के अनुभवों और लोगों के विचार जानना है । इसके अलावा पिता और बेटी की जोड़ी अपनी इस पदयात्रा के दौरान केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना को लेकर भी लोगो मे सन्देश देगी ।
अग्निपथ योजना के प्रति लोगो को कर रहे है जागरूक
सेंगर ने कहा कि अग्निपथ और अग्निवीर मुद्दे पर युवा गुमराह हो गए है । इस पदयात्रा के माध्यम से श्री सेंगर उन्हें संदेश भी देना चाहते हैं । उन्होंने कहा कि अग्निपथ और अग्निवीर जैसे फैसले एक रात में नहीं लिए जाते । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोई फैसला तुरंत नहीं लेते है । श्री सेंगर ने बताया कि जब 10 साल पहले वह गुलमर्ग में पोस्टेड थे, तब जनरल बिपिन रावत ने इस योजना की चर्चा की थी । एक दशक से इस योजना पर विचार किया जा रहा था,अब जाकर इसको अमली जामा पहनाया गया है ।
सेना ,नौकरी का जरिया नहीं बल्कि राष्ट्रभावना
सेंगर ने बताया कि सेना नौकरी का जरिया नहीं हो सकती बल्कि यह राष्ट्रभावना है । उन्होंने कहा कि भारतीय सेना को मजबूत करने के लिए युवाओं की आवश्यकता है ।वह गुमराह न हों बल्कि इस सेवा से मिलने वाले लाभ पर विचार करते हुए भारतीय सेना को मजबूती देने का विचार करें ।
पलाशिका बनी पिता की हमराह
सेंगर की एक मात्र संतान 15 वर्षीय पुत्री पलाशिका उनकी पदयात्रा में साथ है । वह देहरादून के एक स्कूल में पढ़ रही है ।पलाशिका ने बताया कि उसके पिता की इस यात्रा में वह स्वयं से तैयार हुई और पिता के कदम से कदम मिलाकर यात्रा करना चाहती है । अग्निपथ योजना का पलाशिका भी समर्थन करती है ।