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पोषण पाठशाला गुरुवार को, मिलेगी पोषण पर शिक्षा

 


पोषण पाठशाला में विषय विशेषज्ञ शीघ्र स्तनपान, केवल स्तनपान की आवश्यकता, महत्व व उपयोगिता पर विस्तार से करेंगे चर्चा

बलिया ।। बाल विकास विभाग की ओर से गुरुवार को जनपद के सभी आंगनबाड़ी केद्रों पर वीडियो कांफ्रेंसिंग कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। आयोजन के दौरान जन समुदाय एवं लाभार्थियों को विभागीय स्तर से दी जाने वाली सेवाओं जैसे पोषण प्रबंधन एवं कुपोषण से बचने के उपायों के बारे में जागरूक किया जाएगा। इसका थीम शीघ्र स्तनपान, केवल स्तनपान रखा गया है। यह जानकारी जिला कार्यक्रम अधिकारी के एम पाण्डेय ने दी।





उन्होंने बताया की पोषण पाठशाला एनआईसी के माध्यम से वीडियो कांफ्रेंसिंग से होगी। इस कार्यक्रम की मुख्य थीम "शीघ्र स्तनपान केवल स्तनपान है।" पोषण पाठशाला में अधिकारियों के अतिरिक्त विषय विशेषज्ञ शीघ्र स्तनपान केवल स्तनपान की आवश्यकता, महत्व, उपयोगिता आदि पर चर्चा करेंगे। कॉन्फ्रेसिंग के जरिए लाभार्थियों व अन्य के प्रश्नों का उत्तर भी मिलेगा। यह कार्यक्रम वेब लिंक https://webcast.gov.in/up/icds पर लाइव वेब-कॉस्ट भी होगा। इस लिंक से कोई भी कार्यक्रम से सीधे जुड़ सकता है।

जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया की शिशुओं में शीघ्र स्तनपान व केवल स्तनपान उनके जीवन की रक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है, परंतु ज्ञान के अभाव और समाज में प्रचलित विभिन्न मान्यताओं व मिथकों के कारण यह संभव नहीं हो पाता है। उन्होंने कहा यह व्यवहार शिशु स्वास्थ्य के लिए घातक सिद्ध होता है। इसके लिए मई व जून माह में प्रदेश में पानी नहीं, केवल स्तनपान अभियान चलाया जा रहा है।

जन्म के एक घंटे के अंदर शिशु को स्तनपान जरूरी

जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया की माँ का दूध शिशु के लिए अमृत के समान है। शिशु एवं बाल मृत्युदर में कमी लाने के लिए यह आवश्यक है कि जन्म के एक घंटे के अंदर शिशु को स्तनपान प्रारम्भ करा देना चाहिए व छ: माह की आयु तक उसे केवल स्तनपान ही कराना चाहिए। 

लेकिन समाज में प्रचलित विभिन्न मान्यताओं व मिथकों के कारण केवल स्तनपान सुनिश्चित नहीं हो पाता है। मॉ एवं परिवार को लगता है कि स्तनपान शिशु के लिए पर्याप्त नहीं है और वह शिशु को अन्य चीजें जैसे- घुट्टी, शर्बत, शहद, पानी पिला देती हैं। जो नहीं करना चाहिये। स्तनपान से ही शिशु के पानी की भी आवश्यकता पूरी हो जाती है। इसलिए शीघ्र स्तनपान केवल स्तनपान की अवधारणा को जन-जन तक पहुंचाना है।