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विकास के परिजनों का आरोप : लाल बालू और शराब की अवैध तस्करी से वसूली के बंटवारे की जांच को प्रभावित करने के लिये मोहरा बना दिये गये विकास,सीएम योगी से की एसपी के तबादले व न्यायिक जांच की मांग



मधुसूदन सिंह

बलिया ।। नौकरी लगाने के नाम पर कथित रूप से धोखाधड़ी करके डेढ़ लाख रुपये लेने के आरोप में गिरफ्तार बैरिया थाना के चकिया निवासी विकास सिंह के परिजनों ने अब बलिया पुलिस और पुलिस अधीक्षक के खिलाफ सीधा मोर्चा खोल दिया है । विकास सिंह के चचेरे भाई रविंद्र उर्फ गणेश सिंह ने पुलिस अधीक्षक पर भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप लगाते हुए सीएम योगी से एसपी बलिया को हटाकर न्यायिक जांच कराने की मांग की है । श्री सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा कि डेढ़ लाख रुपये लेकर नौकरी लगाने का कथित आरोप इतना बड़ा नही था कि एक माह तक बलिया पुलिस की एसओजी और पुलिस टीम विकास सिंह  के पीछे वाराणसी व लखनऊ में जांच करती रहे । कहा कि दो बड़े अधिकारियों की आपसी रार में विकास सिंह को मोहरा बनाकर अपराधी बनाया जा रहा है ।




चिट्ठी पोस्ट करवाना बन गया गुनाह

गणेश सिंह ने कहा कि विकास सिंह द्वारा एडिशनल एसपी के द्वारा दी गयी चिट्ठी को अपने आदमी के द्वारा डाक में जमा कराना जी का जंजाल बन गया है। आरोप लगाया कि 8 अप्रैल व 10 अप्रैल के बाद 30 अप्रैल तक बैरिया क्षेत्र में हजारो ट्रक/ट्रैक्टर लाल बालू आखिर कैसे जब्त हुए ? क्या इसके पहले ये वाहन बालू नही लाते थे ?

कहा कि यह सब माननीय मुख्यमंत्री जी के पास एडिशनल एसपी द्वारा दी गयी चिट्ठियों को विकास सिंह द्वारा रजिस्ट्री कराने के बाद ही खनन विभाग की कार्यवाही में हुआ है । करोड़ों की मासिक आय रुकने के खुन्नस में विकास सिंह को जेल भेजा गया है ।

गणेश को भी अपनी गिरफ्तारी का डर

मीडिया से बातचीत में रविंद्र उर्फ गणेश सिंह ने कहा कि मुझे भी पुलिस किसी केस में फंसा कर जेल भेज सकती है, ऐसा मुझे शुभचिंतकों से खबर मिल रही है ।श्री गणेश ने मुख्यमंत्री योगी जी से हाथ जोड़कर अपील किया कि बलिया के एसपी को तत्काल हटाकर इस पूरे प्रकरण की न्यायिक जांच कराकर दोषियों को सख्त से सख्त सजा दिलवाइये । कहा है कि वर्तमान पुलिस अधीक्षक के रहते निष्पक्ष जांच संभव नही है ।





गोपनीय जांच के बाद हुए एएसपी सस्पेंड ,असली कहानी अवैध वसूली की तो नही ?

 जिले में तैनात अपर पुलिस अधीक्षक को उत्तर प्रदेश शासन ने एक जालसाज को इंटीलिजेंस का बड़ा अफसर बताने के चलते सस्पेंड कर दिया, लेकिन यह कहानी इतनी सीधी और सपाट नहीं है जितनी बताई जा रही है। पीपीएस अफसर के इस सस्पेंशन के पीछे वसूली का खेल और इस वसूली के खेल की शिकायत बड़ी वजह बताई जा रही है।

 बताया जा रहा है कि  एडिशनल एसपी विजय त्रिपाठी वाराणसी के दवा व्यापारी विकास कुमार सिंह को इंटीलिजेंस अफसर बताकर लोगों से मिलाते थे और गोपनीय जांच के अनुसार, विकास जिले में कई लोगों से काम करवाने के नाम पर पैसे वसूल रहा था। यह अलग बात है कि किसने किसने और क्यो विकास को दिये पैसे ? अगर विकास इतना बड़ा शातिर अपराधी था तो पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी से लेकर जेल भेजे जाने तक मीडिया द्वारा साये की तरह पीछा करने के बाद भी पुलिस अधीक्षक ने पीसी क्यो नही की ? न ही मीडिया सेल के माध्यम से ही गिरफ्तारी की खबर दी गयी जबकि 151 में चालान तक की खबर मीडिया सेल के माध्यम से प्रेस तक पहुंचती है ।

वसूली का आरोप कई लोगो से,सामने आया एक भी नही

विकास सिंह के चचेरे भाई गणेश सिंह के अनुसार विकास महीने ने 1 से 2 दिन या कभी कभी दो दिन माह में एक बार बलिया आते थे । ऐसे में वसूली के लिये विकास सिंह किस किस से मिले,जिन लोगो से वसूली की, वो लोग किस गलत धंधे में संलिप्त है,पुलिस के अधिकारियों से वसूली की ,तो इन लोगो ने क्यो दिये और दिये तो उसी समय पुलिस अधीक्षक से इसकी शिकायत क्यो नही किये कि विकास सिंह हम लोगो से अवैध वसूली कर रहे है , ये सारे सवाल आज अनुत्तरित है । बिना इन सवालों का जबाब तलाशे किसी भी कहानी पर विश्वास करना मुश्किल है । क्योंकि यही बलिया पुलिस है जिसने बिना किसी कसूर के 3 पत्रकारों को पेपर लीक मामले में 28 दिनों तक जेल ने रखने का काम किया है ।


धोखाधड़ी किससे हुई, कब और कहां हुई ,का सवाल भी अनुत्तरित

विकास सिंह को गाजीपुर के जिस हरिप्रकाश सिंह के आवेदन पर धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार किया गया है,वो अबतक सामने नही आये है । यह भी पता नही चल पाया है कि आरोप लगाने वाले की उम्र क्या है ? उनके कितने बच्चे है ? किस बच्चे की नौकरी के लिये पैसा दिये है । यह भी खुलासा नही हुआ है कि वह पहला स्थान कहां है, जहां हरिप्रकाश सिंह को विकास सिंह पहली बार मिले थे । अगर स्थान का पता चल जाता तो विकास सिंह के मोबाइल से लोकेशन ट्रेस हो जाती । 

कोरोना काल मे जान बचानी मुश्किल थी ,फिर नौकरी कहां मिल रही थी

सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि हरिप्रकाश सिंह जिस वर्ष (2020) में विकास सिंह से मिलकर नौकरी के लिये पैसा देने का आरोप लगाये है, वह वर्ष कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित साल रहा है । इस वर्ष लोगो को नई नौकरी लगनी तो छोड़िये पुरानी नही बची थी । ऐसे में आरोप लगाने वाले को निश्चित तिथि और समय बताना चाहिये, जब विकास सिंह से मिलकर पैसे दिये थे । यह भी खुलासा करना चाहिये कि नगद दिये थे या चेक से । किसी भी व्यक्ति पर आरोप लगाना आसान है लेकिन साबित करना मुश्किल । जिस तरह से विकास सिंह के परिजन मीडिया के सामने आकर विकास सिंह को बेकसूर साबित करने का प्रयास कर रहे है । ठीक इसी तरह हरिप्रकाश सिंह को भी अपने आरोप की पुष्टि के लिये मीडिया के समक्ष आकर वो तथ्य पेश करने चाहिये जिससे विकास सिंह दोषी साबित हो ।


तीन पेज के शिकायती पत्र से शुरू हुआ बवाल


अब बात उस गोपनीय पत्र की जिसमें  जिले में हो रही पुलिस की अवैध वसूली की शिकायत मुख्यमंत्री से की गई। दरअसल अप्रैल महीने की 8 और 18 तारीख को दो पत्र मुख्यमंत्री से लेकर डीजीपी, चीफ सेक्रेटरी, एडीजी लॉ एंड ऑर्डर और वाराणसी जोन के एडीजी को भेजे गए। शिकायती पत्र को  बलिया की पुलिस कर्मियों का तरफ से भेजा गया बताया जा रहा है, जिसमें आरोप लगाया गया कि बिहार के बक्सर और छपरा बॉर्डर पर अवैध शराब और अवैध खनन से वसूली हो रही है।

तीन पेज के शिकायती पत्र में एसएचओ बैरिया पर वसूली के गंभीर आरोप लगे। रजिस्टर्ड डाक से भेजे गए पत्र के बारे में पता लगाया गया तो पता चला कि पत्र वाराणसी के आरएमएस पोस्ट ऑफिस से भेजा गया था। सिगरा थाने के पुलिसकर्मियों की मदद से आरएमएस में लगे सीसीटीवी को खंगाला गया तो विकास सिंह की दुकान पर पेंटर का काम करने वाला संतोष सिंह नजर आया।

सिगरा पुलिस ने संतोष सिंह से पूछताछ की तो पता चला पत्र को रजिस्ट्री करने के लिए विकास सिंह ने कहा था और उसी ने वह लिफाफा बंद करके दिया था। मुख्यमंत्री से  जिले में पुलिस के अवैध खनन की शिकायत करने वाला यह वही विकास सिंह है जिसको एडिशनल एसपी विजय त्रिपाठी का करीबी बताया गया और विजय त्रिपाठी उसे इंटीलिजेंस का अफसर बताकर लोगों से मिलवाते थे। यानी अवैध वसूली करने वाले ने ही अवैध वसूली की शिकायत मुख्यमंत्री से की है ।

वसूली की कमाई को लेकर अफसरों के बीच तलवारे खींची ?

मिली जानकारी के अनुसार लंबे समय से खनन के कारोबार में होने वाली वसूली की कमाई को लेकर अफसरों के बीच तलवारे खींची थी। जिस एसओ बैरिया ने विकास सिंह को एडिशनल एसपी विजय त्रिपाठी का करीबी बताकर इंटेलिजेंस अफसर होने की पुष्टि की थी उसी एचएसओ बैरिया को मुख्यमंत्री से की गई शिकायत में अवैध खनन का सबसे बड़ा सरगना बताया गया है।

इस संबंध में एसपी राजकरण नैयर से पूछा गया तो उन्होंने साफ कहा कि सोशल मीडिया के जरिए शिकायती पत्र मिला है लेकिन यह किसकी तरफ से भेजा गया है यह कहा नहीं जा सकता । विकास सिंह को नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी के आरोप में जेल भेजा गया है, उसके पास से कंप्यूटर से तैयार की गई फोटो मिली है, शातिर दिमाग के विकास सिंह ने अपने मोबाइल से भी डाटा को डिलीट किया है जिसको रिकवर करने के लिए मोबाइल फॉरेंसिक लैब भेजा जाएगा।