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मां :एक संपूर्ण सृष्टि, सृजक,पालक

 



मधुसूदन सिंह

बलिया ।। जो अपने बच्चे को 9 महीने कोख में रखकर हर मुसीबत का साथ निभाती है, वह सीमा होती है और रूखी सूखी खाकर अपने बच्चे का पालन करती है ,उसे मां कहते हैं और मां का अर्थ वही होता है जो अपनी जान से ज्यादा अपने बेटों को पालती है ।

लक्ष्मी का स्वरूप होती है मां

'मां' एक छोटा सा शब्द संपूर्ण सृष्टि को आत्मसात किए हुए है।यह धरती व आकाश एवं स्वयं में सारी कायनात लिए हुए है।संस्कृत व्याकरण के अनुसार मां शब्द से 'म' बना है। 'म' से 'मा' और तत्पश्चात यह 'मां' के रूप में परिवर्तित हो गया। पुराणों के अनुसार मां का अर्थ लक्ष्मी है। संभवत इसी मां, जिसका अर्थ लक्ष्मी से लिया गया है, मां शब्द बना। मां लक्ष्मी पालन करती है, उसी प्रकार मां भी शिशु का पालन करती है। इस प्रकार मां को लक्ष्मी का स्वरूप माना गया।

दूसरा मत यह है कि इस सृष्टि का आरंभ मनु और शतरूपा नामक स्त्री-पुरुष के समागम से हुआ। मनु के नाम पर ही उनकी संतान को मनुज या मानव कहा गया। मनु की संतान को जिसने जन्म दिया, उसे 'मां' कहा गया और इस प्रकार मां शब्द की उत्पत्ति हुई।

गोवंश से हुई मां शब्द की उत्पत्ति

भारतीय संस्कृति तथा कुछ ग्रंथों के अनुसार मां शब्द की उत्पत्ति गोवंश से हुई। गाय का बच्चा बछड़ा जब जन्म लेता है, तो वह सर्वप्रथम अपने रंभानें में जो स्वर निकालता है वह मां होता है। यानी कि बछड़ा अपनी जन्मदात्री को ही 'मां' के नाम से पुकारता है। इस प्रकार जन्म देने वाली को मां कहकर पुकारा जाने लगा। शास्त्रों के अनुसार, सर्वप्रथम बछड़े ने ही अपनी मां गाय को रंभाकर 'मां पुकारा और वहींं से इस शब्द की उत्पत्ति हुई।