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एनपीएस कर्मी के लिये मजदूर दिवस बना मजबूर दिवस,अटेवा हर साल अब मनाएगी 1 मई को मजबूर दिवस



मधुसूदन सिंह

बलिया ।। वर्ष 2004 की रिक्तियों के सापेक्ष भर्ती लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से देर से 2006 में करायी गयी ट्रेनिंग के चलते नई पेंशन स्कीम से आच्छादित 31 मार्च को सेवानिवृत्त हुए प्राथमिक शिक्षक के लिये 1 मई को मनाये जाने वाला मजदूर दिवस अब मजबूर दिवस बन गया है । बता दे कि 2004 की रिक्तियों के सापेक्ष लगभग 32 हजार प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी । चूंकि इन लोगो की नियुक्ति 2004 में हो जानी थी लेकिन राज्य सरकार की लेटलतीफी के चलते इन लोगो को 2006 में ट्रेनिंग कराने के बाद नियुक्त किया गया था,जिसके कारण इन लोगो पर नई पेंशन स्कीम लागू हो गयी । ये लोग माननीय उच्च न्यायालय तक गये,माननीय न्यायालय ने माना भी कि पेंशन एक कर्मचारी का अधिकार है । बावजूद अपने फैसले में पुरानी पेंशन देने या न देने के लिए राज्य सरकार पर छोड़ दिया था ।





16 वर्ष 3 माह तक शिक्षक का दायित्व निभाने के बाद 31 मार्च को जब हरे कृष्ण वर्मा सेवानिवृत्त हुए तो इनको फंड के नाम पर एक रुपये नही मिले । 78 हजार मासिक सेलरी पाने वाले श्री वर्मा 1 मई से पाई पाई के लिये परिजनों पर आश्रित हो गये है । न एक रुपये पेंशन मिलेगी,न इनको कोई सुविधा । अब इनका जीवन मजबूरी में बच्चो के आगे हाथ फैलाकर ही कटेगा । पेंशन भोगी को तो लोग बीमार होने पर टांग कर भी  जीवित रखने के लिये ले जाना पड़े तो अस्पताल ले जाते है । लेकिन जिसको पेंशन का 1 रुपये न मिले उसको बच्चे कैसे रखेंगे, यह ऊपर वाला ही बता सकता है ।






अटेवा ने किया निर्णय हर साल मनाएंगे मजबूर दिवस

सेवानिवृत्त शिक्षक हरेकृष्ण वर्मा की परेशानियों को देखते हुए स्थानीय अटेवा के पदाधिकारियों ने बलिया एक्सप्रेस से एक औपचारिक भेंट मे बताया कि एनपीएस एक छलावा है । कहा कि इसको हम लोग पेंशन स्कीम नही बल्कि नॉन पेंशन स्कीम कहते है । क्योंकि पेंशन में एक सुरक्षा होती है, समय के साथ बृद्धि होती है ,परिजनों से प्यार मिलता है । लेकिन एनपीएस में न सुरक्षा है, न बृद्धि की संभावना है और न ही इसके सहारे परिजनों से आशक्त होने पर वह उम्मीद की जा सकती है, जो पुरानी पेंशन भोगी की होती है । यह शुद्ध रूप से यह एक सरकारी सेवक को मजबूर बनाने की स्कीम है,इसी लिये अटेवा इसका विरोध करता है ।




कहा कि जब तक यूपी में पुरानी पेंशन लागू नही हो जाती है तबतक अब हम लोग 1 मई को मजदूर दिवस की जगह मजबूर दिवस मनाएंगे । केंद्र व राज्य सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि अगर एनपीएस बहुत अच्छी है तो आप लोग भी अपनी पेंशन को एनपीएस के अधीन क्यो नही कर ले,पुरानी पेंशन क्यो ले रहे है । नेताजी ने कहा कि हम लोग 60 साल की उम्र तक सेवा करने के बाद एक बार मिलने वाली पेंशन के बिना  घर जाय और आप लोग जितनी बार विधायक सांसद बने उतनी बार पुरानी पेंशन ले, यह नही चलने वाला है । एक देश मे एक ही कानून चलना चाहिये ।