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पत्रकारिता दिवस : आत्मचिंतन का महापर्व,खुद निर्णय करे समाजहित,राष्ट्रहित में आपकी लेखनी का क्या रहा योगदान : डॉ० भगवान प्रसाद उपाध्याय



मधुसूदन सिंह

प्रयागराज ।। हिंदी पत्रकारिता दिवस की 176 वी जयंती पर सभी हिंदी प्रेमियों,हिंदी पत्रकारिता को शिखर पर ले जाने के लिये प्रयासरत सभी पत्रकार भाइयों को इस पवित्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं । इस पावन पर्व पर भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ के राष्ट्रीय संयोजक,वरिष्ठ साहित्यकार,पत्रकार,देश भर के प्रतिष्ठित संस्थानों से 50 से ऊपर पुरस्कारों से पुरष्कृत डॉ भगवान प्रसाद उपाध्याय से बलिया एक्सप्रेस की हिंदी पत्रकारिता दिवस पर एक भेंटवार्ता हुई । इस भेंट वार्ता में डॉ उपाध्याय ने खुलकर बेबाकी से अपनी बात रखी ।

 डॉ उपाध्याय ने कहा कि पत्रकारिता दिवस आ गया। इस दिन हम सभी मीडिया जगत से जुड़े पत्रकार बंधु समारोह ,चिंतन और विभिन्न प्रकार के आयोजन करेंगे,  पत्रकारिता दिवस धूमधाम से मनाएंगे और मनाएंगे क्यों नहीं ? यह  हम सबका दिवस जो ठहरा !

   डॉ उपाध्याय का  मत है कि इस दिन हम सब आत्मावलोकन करें ,क्योंकि यह आत्म चिंतन का महापर्व है । केवल औपचारिकता न करके, अपनी अंतरात्मा की ओर झांकने का प्रयास करें ,कि हम कहां हैं ,क्या कर रहे हैं और क्या करना चाहिए । पत्रकारिता दिवस जिन पवित्र उद्देश्यों को लेकर शुरू किया गया, उसमें कदाचित कहीं कोई भटकाव  तो नहीं आ गया , इस पर भी विचार करें । पत्रकारिता के क्षेत्र में हमने अपनी ओर से कितने कल्याणकारी कार्य किए,जन सामान्य का कितना हित चिंतन किया, इस पर भी गहराई से मंथन करें । आज हम सबको आत्म चिंतन पर विशेष ध्यान देना है ।हम जिस  संस्थान अथवा मीडिया जगत से जुड़े हैं ,वहां के प्रति हमारा क्या दायित्व है ,क्या उसका पूरी निष्ठा से निर्वहन कर रहे हैं ,क्या हम पत्रकारिता जगत के आदर्श मानदंडों को स्थापित करने में सफल हो पाये हैं, हमें इन सब बातों पर बहुत गंभीर होकर आत्म चिंतन करने की आवश्यकता है । यद्यपि इस मार्ग में कठिनाइयों का कोई अंत नहीं है, शोषण और दमन का भी कोई अंत नहीं है किंतु हम यदि किसी संकट अथवा किसी कठिनाई के भय से मार्ग से  च्युत  हो जाए ,वह भी उचित नहीं है । 

आत्मचिंतन करें -समाज को लेखनी से क्या दिया

डॉ उपाध्याय ने सभी पत्रकारों का आह्वान करते हुए कहा कि  आइए हम सभी मिलकर एक विचार प्रवाह की  ऐसी  अटूट  श्रृंखला शुरू करें जिससे हमारा यह आत्म चिंतन का महापर्व साकार हो , कल्याणकारी हो और इस क्षेत्र में आने वाले प्रत्येक संकटों और समस्याओं का सार्थक समाधान हो सके । इस क्षेत्र में कदम बढ़ाने से पूर्व हमें यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि हम निजी स्वार्थों के लिए इसका उपयोग नहीं करेंगे ,अंश मात्र यदि कहीं किया भी तो उसकी शुचिता बनाए रखेंगे । बहुधा यह देखा जा रहा है कि वर्तमान पत्रकारिता प्रदूषण का शिकार हुई है । इसी कारण उत्पीड़न की घटनाओं में भी वृद्धि हुई है । हम जब कही स्वयं किसी प्रतिबद्धता से ग्रसित हो जाते हैं तो स्वाभाविक है हमारी लेखनी विचलित हो जाती है, फिर हम समाज और कुछ असामाजिक तत्वों का विरोध झेलने के लिए विवश हो जाते हैं । यहीं से शुरू होता है उत्पीड़न का एक नया अध्याय ,क्यों ना हम ऐसा करें कि इसकी स्थित ही ना उत्पन्न हो ।





खबरों से सम्बंधित साक्ष्यों को रखे संरक्षित

 खबर लिखने में क्या क्या सतर्कता बरतनी चाहिये उस पर डॉ उपाध्याय ने अपनी राय व्यक्त करते हुए कहा कि हमें पूरी तरह पारदर्शी होकर किसी भी नितांत व्यक्तिगत प्रतिबद्धता से परे होकर केवल सत्यता और समाज हित के लिए कलम का सदुपयोग करना चाहिए क्योंकि हम सरस्वती के पूजक माने जाते हैं और सरस्वती शुचिता का पर्याय है । ऐसी स्थिति में हम इसे कहीं से भी कलंकित ना होने दे, यह हमारा प्रयास होना चाहिए । आप कहेंगे कि यह तो  उपदेश का झरना बहुत तीव्र गति से प्रवाहित हो रहा है ,इससे क्या जीविकोपार्जन संभव है । मेरा मानना है कि जिस भी क्षेत्र में आप पूरी निष्ठा और ईमानदारी से कार्य करेंगे और उसमें जो भी आप की उपलब्धता है ,उसमें आत्म संतोष का अनुभव करेंगे तो निश्चित रूप से आप कहीं से भी  असंतुष्ट अथवा अप्रसन्न नहीं होंगे । इस क्षेत्र में जब हम वादी की भूमिका निभाते हैं तो सामने प्रतिवादी का आना भी स्वाभाविक है ,ऐसी दशा में हम  अपने पास वह सभी आवश्यक प्रमाण अपने पास अवश्य सुरक्षित रखें, वे सभी संसाधन अपने संरक्षा और सुरक्षा के लिए तैयार रखें जिससे हमारी सत्य निष्ठा पर कोई आंच न आए । 

अति उत्साह में खबरों का न करें सम्प्रेषण

आज के नौजवान पत्रकारों की बहुसंख्यक पीढ़ी की समाचार भेजने की योग्यता को देखने के बाद डॉ उपाध्याय ने कहा कि प्रायः देखा जाता है कि बिना तथ्यों को पूरी तरह समझे हम समाचार संप्रेषण के लिए उतावले हो जाते हैं और इस गलती का परिणाम यह होता है कि हमें उत्पीड़न का शिकार होना पड़ता है ।  हमें  अपनी कलम को सुरक्षित और संरक्षित रखने के लिए भी पूरा प्रयास करते रहना चाहिए । समाज में एक वर्ग ऐसा भी है जो आपको कहीं न कहीं से कुंठित करने का प्रयास करेगा ,आपको आगे बढ़ने से रोकने के लिए वह अवरोध उत्पन्न करेगा ,ऐसी दशा में हमें अपने बचाव के सभी सुरक्षात्मक उपाय रखने चाहिए । हम पत्रकारिता का सदुपयोग करते हैं तो कहीं से भी हमारे ऊपर आंच नहीं आ पाएगी लेकिन जब हम इसके दुरुपयोग के लिए विचार भी रखते हैं तो  स्वयं  मन शंकाओं से  घिर जाता है और हम कहीं न कहीं अप्रत्याशित गलती कर बैठते हैं ,जिसका परिणाम बहुत अच्छा नहीं होता । ऐसी दशा में हमें बहुत ही सोच विचार करके अपनी लेखनी का प्रयोग करना चाहिए । हम जिस भी संस्थान अथवा संगठन  से जुड़े हैं उसके प्रति निष्ठावान रहें । कहीं कोई छोटी मोटी असुविधा यदि महसूस कर रहे हैं तो उसके समाधान के लिए दोनों ओर से सार्थक पहल होनी चाहिए । जब हम कही अपना अहम लेकर अनावश्यक जिद कर जाएंगे और केवल मैं ही सत्य हूं ऐसा भाव मन में रखेंगे तो स्वाभाविक है कटुता बढ़ेगी और समाधान निकल पाना संभव नहीं होगा । ऐसी दशा में  परस्पर सामंजस्य के साथ वार्ता आवश्यक हो जाती है ।

गहराई से सोचे आपका क्यो हो रहा विरोध

डॉ उपाध्याय ने छड़े रुष्टा छड़े तुष्टा की मनोदशा वालो को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि बहुधा  यह देखने को मिलता है कि हम जिस भी संगठन अथवा संस्थान में हैं वहां अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति न होने के कारण या अपने झूठे अहंकार को पोषित करने की भावना के कारण हम विद्रोही बन जाते हैं और फिर शुरू होता है अलग एक नया रास्ता जिससे ना केवल हम  समष्टि  रूप से कमजोर होते हैं बल्कि कहीं न कहीं मान सम्मान पर भी आघात  पहुंचता है । यदि वह सब कुछ जिसकी हमें अपेक्षा है उसी संस्थान अथवा संगठन में देर सवेर प्राप्त हो जाए तो उससे सामंजस्य बैठाने में कोई हानि नहीं है ,बस केवल अपनी भावना पवित्र होनी चाहिए । इस क्षेत्र में इस समय कुछ ऐसे तत्वों का भी पदार्पण हुआ है जो केवल एन केन प्रकारेण या तो धन उपार्जन के लिए या फिर केवल इसका दुरुपयोग करने के लिए ही आए है । लेकिन प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष उनके साथ समाज  खड़ा नहीं हो पाता ऐसे में वे अपनी निरंकुशता के कारण प्रताड़ित होते हैं और फिर दोषारोपण समाज पर लगाते हैं । हमें इन सब बिंदुओं पर भी चिंतन करने की आवश्यकता है और पत्रकारिता जगत की पवित्रता के लिए आज हम संकल्प लें कि हम आत्म चिंतन के इस महापर्व पर इसे किसी भी प्रकार से कलुषित नहीं होने देंगे और इसकी मर्यादा  को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए सदैव प्रयासरत रहेंगे । इस जगत से जुड़े सभी सम्मानित बंधुओं का कल्याण हो इसी भावना के साथ सभी को हिंदी पत्रकारिता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ।