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व्यापारियों, आमजन ने बलिया बन्द कर दिखाया पत्रकारों के प्रति अपना समर्थन

 


मधुसूदन सिंह

बलिया। संयुक्त पत्रकार संघर्ष मोर्चा बलिया के द्वारा जिला प्रशासन द्वारा 3 निर्दोष पत्रकारों की गिरफ्तारी से रिहाई और डीएम एसपी के निलंबन के साथ विदाई के लिये बलिया बन्द के आह्वान पर नगर से लेकर तहसील, कस्बा और चट्टी तक की सभी दुकानें निर्दोष पत्रकारों के रिहाई की मांग को लेकर शनिवार की सुबह से ही बंद रहीञ इस दौरान व्यापारियों ने अपनी-अपनी दुकानों को बंद कर तानाशाह डीएम व एसपी को पत्रकारों के साथ अपनी ताकत एहसास कराया। पूरे जनपद में एक साथ ऐतिहासिक बंदी से जिला प्रशासन हिल गया। इस दौरान एक-दो स्थानों पर शहर  कोतवाल से पत्रकारों व व्यापारियों के साथ हल्की नोकझोक भी हुई। वहीं पत्रकार व व्यापारी डीएम व एसपी के विरूद्घ डीएम-एसपी हाय-हाय, डीएम-एसपी वापस जाओ-वापस जाओ के नारे लगाते रहे।

डीएम बलिया इंद्र विक्रम सिंह की अकड़,धमंड को, आज जनपद के चाहे व्यापारी हो,छात्र हो, सामाजिक कार्यकर्ता हो,पत्रकार हो,राजनैतिक दलों के नेता हो,या आम जनता हो, सभी ने एक जुट होकर पूरे जनपद में जो अभूतपूर्व बंदी की है,चूर चूर करने का काम किये है । डीएम बलिया के धमंड पर यही लाइन सटीक बैठती है --

तेरी अकड़ दो दिन की कहानी है,

मेरा गुरूर तो खानदानी है।

यह बलिया है, यहां के एक एक वासी के रगों में बगावती खून दौड़ता है । डीएम साहब आपने तीन निर्दोष पत्रकारों को जेल भेजकर खुद अपनी बर्बादी की कब्र खोदी है ।

किस बात का बन्दे तुझे गुरूर है,

कि पैसा और शोहरत चारो ओर है,

एक दिन ये सब कुछ छूट जाएगा,

तब तू किस बात का घमंड दिखाएगा।

डीएम साहब आपका बलिया से बेआबरू होकर जाना तय है । यह भी तय है कि आपने जो 3 पत्रकारों को साजिश रचकर जेल भेजवाया है,उसी साजिश में आप को फंसना तय है । आपने विश्वास में लेकर अजित ओझा के साथ विश्वासघात किया है । यह आपके खून की पहचान बताती है । हमारे --

किरदार में मेरे भले अदाकारियाँ नहीं है,

खुद्दारी हैं गुरूर है पर मक्कारियाँ नहीं हैं।

इसी लिये कहां गया है कि पद शोहरत पाकर इंसान को ज्यादे उड़ना नही चाहिये क्योंकि -

ऊँचाई पर चढ़कर कभी गुरूर मत करना,

ढलान वही से शुरू होती है।

आज आप डीएम है तो इतना न इतराये क्योकि -

ना इतराओ इतना बुलंदियों को छूकर,

 वक्त के सिकन्दर पहले भी कई हुए हैं, 

जहाँ होते थे कभी शहंशाह के महल, 

देखे हैं वहीं अब उनके मकबरे बने हुए हैं !




संयुक्त पत्रकार संघर्ष मोर्चा द्वारा 16 अप्रैल दिन शनिवार को बलिया बंद का पूर्ण रूप से बंदी को सफल बनाने के लिए शहर से लेकर तहसील, कस्बा व ग्रामीण क्षेत्र के चट्टी चौराहों पर व्यापारियों ने अपने-अपने प्रतिष्ठानों को बंद कर निर्दोष पत्रकारों की रिहाई के समर्थन में अपनी-अपनी प्रतिष्ठानों को बंद कर पत्रकार भाइयों के न्याय दिलाने में पूरा सहयोग प्रदान कर प्रदेश नहीं पूरे देश में इतिहास रच दिया। नगर में शनिवार की सुबह सात बजे से ही नगर, तहसील, कस्बा के विभिन्न व्यापारिक संगठनों, राजनैतिक, सामाजिक संगठनों, पटरी दुकानदारों व शिक्षक संगठन के लोगों ने पूरे नगर का भ्रमण कर व्यापारियों से दुकान बंद करने की अपील करते रहे। जिसका समर्थन स्वयं दुकानदारों ने अपने प्रतिष्ठानों को बंद कर किया। जिससे बलिया बंदी पूर्ण रूप से सफल रही।

जिसने किया घमंड,बलिया ने दिया है दंड

 बता दे कि जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक के हिटलरशाही रवैया के  विरोध में पत्रकारों, व्यापारियों, राजनैतिक, शैक्षणिक, छात्रनेताओं को बलिया बंद को सफल बनाने के लिए अपनी ताकत को झोकना पड़ा।  भगवान विष्णु की छाती पर चरण प्रहार करने वाले महर्षि भृगु की यह बलिया है। अंग्रेजों के खिलाफ पूरे देश मे 1857 की क्रांति का बिगुल फूंकने वाले और बलिदान की शुरुआत करने वाले अमर सेनानी शहीद मंगल पांडेय की बलिया है। आजादी की लड़ाई में आजादी से 5 साल पहले ही 14 दिन आजाद रहने वाला जिला ब‌लिया है। ब्रि‌टिश हुकुमत के डीएम को कालर पकड़ हटाकर डीएम की कुर्सी पर बैठने वाले चित्तू पांडेय का यह क्रांतिकारी बलिया है। गलत को गलत कहने का हौसला रखने वाले पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर का यह बागी बलिया है। इस बागी बलिया पर जो डीएम व एसपी व्यापारी, छात्रनेता, पत्रकारों से टकराया है, उसे यहां से बेइज्जत होकर जाना पड़ा है। 

इनकी रही सक्रियता

इस मौके पर उप्र प्राशिसं के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह, टैक्स बार एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रदीप गुप्ता एडवोकेट, व्यापारी नेता रजनीकांत सिंह, व्यापारी नेता मंजय सिंह, पूर्व चेयरमैन लक्ष्मण गुप्ता, मनोज कुमार राय हंस एडवोकेट, जेनेंद्र पांडेय उर्फ मिंटू, रूपेश चौबे, व्यापारी नेता रामकुमार मुन्ना, सागर सिंह राहुल, अरविंंद गोंडवाना, बाल कृष्णमूर्ति, अभिषेक सिंह हैप्पी, सुधीर ओझा, राजेश ओझा, करूणा सिंधु सिंह, रणजीत मिश्रा, अखिलानंद तिवारी, मधुसूदन सिंह, दिनेश गुप्ता, रवि सिन्हा, जमाल आलम, आरएस पाठक, आसिफ जैदी,राणा प्रताप सिंह, मुशीर जैदी, भोला, संजय तिवारी, अखिलेश यादव, मुकेश मिश्रा, राजू दुबे, अखिलेश सैनी, ओमकार सिंह, सतीश मेहता, प्रदीप शुक्ला, सन्नी, सनंदन उपाध्याय, विक्की गुप्ता, राजू गुप्ता, जितेंद्र उपाध्याय, एजाज अहमद, रोशन जायसवाल, धनंजय तिवारी, कृष्णकांत पांडेय, हसन खां, कंचन सिंह, विवेक जायसवाल, राजकुमार यादव, रत्नेश सिंह, अमित कुमार, रत्नेश सिंह, अनिल अकेला, पशुपति, धनंजय सिंह, मनोज चतुर्वेदी, विवेक पटेल, सुनील दादा, रोहित सिंह, आलोक कुमार, चंदन ओझा, श्रवण कुमार पांडेय, संदीप सौरभ सिंह, एनडी राय, अंकित सिंह, पवन सिंह, उमेश मिश्रा, आशीष राय समेत सैकड़ों पत्रकार, अधिवक्ता, व्यापारी, छात्रनेता आदि मौजूद रहे ।