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डीआईओएस ने बाबू को किया कार्यमुक्त,कार्यमुक्त होने पर बाबू ने लगाया डीआईओएस पर गंभीर आरोप

 



मधुसूदन सिंह

बलिया ।। जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ ब्रजेश कुमार मिश्र इधर लगातार किन्ही न किन्ही कारणों से चर्चा में बने हुए रह रहे है । पहली बार डीआईओएस कार्यालय से सम्बद्ध कनिष्ठ लिपिक की बीमारी से हुई मौत के बाद बलिया के एक विद्यालय के निलम्बित चल रहे बाबू गिरीश नारायण तिवारी ने आईजीआरएस के माध्यम से राकेश कुमार की मौत को अत्यधिक शारीरिक श्रम कराने, को कारण बताते हुए डॉ ब्रजेश कुमार मिश्र को दोषी ठहराते हुए एफआईआर दर्ज करने की मांग की । यही मांग राकेश कुमार की मां ने पहले एसपी बलिया व कोतवाल बलिया से करते हुए रजिस्टर्ड पत्र के माध्यम से, करते हुए एफआईआर दर्ज करने की गुहार लगाई । इसके बाद राकेश कुमार की माता माननीय उच्च न्यायालय भी गयी,जहां से शिकायत बलहीन पाने के कारण माननीय न्यायालय से इनको राहत नही मिली ।

दूसरी शिकायत जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय के ही निलम्बित बाबू शैलेन्द्र कुमार चौबे ने उच्चाधिकारियों को पत्र भेजकर अपने आपको प्रताड़ित होना बताया है । बता दे कि श्री चौबे पर डिस्पैच रजिस्टर में हेरफेर कर कई विद्यालयों को फर्जी आदेशो के जरिये लाभ पहुंचाने में सहयोग का आरोप है और तत्कालीन डीआईओएस के द्वारा थाना कोतवाली में दर्ज कराए गये एफआईआर में सह अभियुक्त है ।

अब तीसरी व नई शिकायत श्री राजन राम वरिष्ठ सहायक द्वारा की गई है । इनकी शिकायत है कि डीआईओएस बलिया द्वारा टीजीटी व पीजीटी में चयनित अध्यापको से पत्र जारी करने के लिये प्रति कैंडिडेट 1 लाख रुपये वसूलने का दबाव बनाना रहे थे  और जब मेरे द्वारा मना कर दिया गया तो 22 नवम्बर को राजकीय बालिका विद्यालय बलिया में एक अतिथि विषय विशेषज्ञ शिक्षक कु रेखा सिंह की नियुक्ति के आदेश पर मुझसे जबरदस्ती लघु हस्ताक्षर कराकर आदेश जारी कर दिया गया, जिसकी शिकायत 23 नवम्बर के पत्र द्वारा करने पर द्वेषवश डीआईओएस ने मुझे कार्यमुक्त करते हुए मेरा स्थानांतरण अपर शिक्षा निदेशक (बेसिक) प्रयागराज के लिये कर दिया, जो सरासर गलत है ।





डीआईओएस डॉ ब्रजेश कुमार मिश्र का बयान

 उपरोक्त शिकायतों के संबंध में जब जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ ब्रजेश कुमार मिश्र से बातचीत की गई तो डॉ मिश्र ने सभी आरोपो को सिरे से खारिज कर मनगढ़ंत बताया । डॉ मिश्र ने बताया कि मेरे कार्यालय से सम्बद्ध रहे कनिष्ठ लिपिक राकेश कुमार एक कर्तव्यनिष्ठ सरकारी सेवक थे,उनकी असामयिक मृत्यु से मुझे भी काफी धक्का लगा है लेकिन कुछ लोग जो मुझसे अपने गलत कार्यो को कराने के लिये, दबाव बनाने के लिये मिथ्या आरोप लगाकर राकेश कुमार की मौत के लिये मेरे द्वारा अत्यधिक श्रम को ठहराते हुए शिकायते कर रहे है,वह एक साजिश के सिवा कुछ नही है । सभी को पता है कि राकेश कुमार की मौत बीमारी के चलते इलाज के दौरान हुई है ।

दूसरी शिकायत जो निलम्बित बाबू शैलेन्द्र कुमार चौबे ने की है,के सम्बंध में डॉ मिश्र ने कहा कि मेरे पूर्व के समस्थानिक अधिकारी द्वारा डिस्पैच रजिस्टर में लगभग 100 जगह हेरफेर को पाये जाने और इस हेरफेर के चलते दर्जनों विद्यालयों के प्रबन्धको, शिक्षकों को अनुचित लाभ पहुंचाने में सहभागी पाये जाने पर शैलेन्द्र कुमार चौबे को सह अभियुक्त ठहराते हुए निलम्बित करने के साथ थाना कोतवाली बलिया में एफआईआर दर्ज कराई गई थी । श्री चौबे को फिर मेरे द्वारा कैसे प्रताड़ित किया गया है,यह बात मेरी समझ में नही आ रही है । 

कहा कि तीसरी शिकायत वरिष्ठ सहायक राजन राम के द्वारा जो की गई है,वह भी साजिशन ही प्रतीत हो रही है । कहा कि टीजीटी व पीजीटी चयनित अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्रों के सत्यापन के लिये उप सचिव,उत्तर प्रदेश माध्यमिक सेवा चयन आयोग ने अपने पत्र संख्या 3615-3660 दिनांक 8.11.2021 के माध्यम से आदेश देते हुए कहा है कि प्रमाण पत्रों के सत्यापन के बाद ही प्रबन्धको को चयनित शिक्षकों को कार्यभार ग्रहण कराने के लिये निर्देश जारी किया जाय । आदेश में यह भी कहा गया है कि सत्यापन के लिये आयोग की वेबसाइट पर अपलोड प्रमाण पत्रों से मिलान कराया जाय ।

कहा कि श्री राजन राम इसी महत्वपूर्ण कार्य का पटल देख रहे थे । शासन की मंशा के अनुरूप भ्रष्टाचारमुक्त तरीके से जल्द से जल्द सत्यापन का कार्य मेरे द्वारा कराया जा रहा है । इसी का परिणाम है कि पीजीटी के 160 चयनित शिक्षकों का कार्यभार ग्रहण कराने हेतु प्रबन्धको को निर्देश जारी कर दिया गया है और बुधवार तक टीजीटी के भी सभी चयनित अध्यापको का सत्यापन पूर्ण करते हुए कार्यभार ग्रहण कराने का निर्देश जारी कर दिया जायेगा ।

डॉ मिश्र ने कहा कि भ्रष्टाचार रोकने और चयनित शिक्षकों को प्रबन्धको द्वारा आर्थिक दोहन न किया जाय,इसके लिये मेरे द्वारा ग्रुप के माध्यम से पहले ही एक ऑडियो संदेश दिया जा चुका है । श्री राजन द्वारा 1 लाख वसूली करने के लिये जो आरोप लगाया गया है, वह सरासर गलत है क्योंकि आयोग द्वारा चयनित शिक्षकों को नियुक्ति पत्र प्रबन्धको द्वारा जारी किया जाना है, न कि डीआईओएस द्वारा । आयोग और शासन को पहले से ही अंदेशा था कि चयनित शिक्षकों को प्रबन्धको द्वारा सत्यापन के नाम पर प्रताड़ित किया जा सकता है,बिलम्बित करके प्रताड़ित किया जा सकता है और इसके द्वारा चयनित शिक्षकों से धन उगाही के लिये दबाव भी बनाया जा सकता है ।इसी कारण प्रदेश भर में चयनित शिक्षकों के प्रमाण पत्रों का सत्यापन जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालयों में किया गया है ।

कहा कि श्री राम द्वारा जो दूसरी शिकायत राजकीय बालिका विद्यालय बलिया में अतिथि विषय विशेषज्ञ संविदा शिक्षक कु रेखा सिंह की नियुक्ति के सम्बंध में प्रश्नचिन्ह खड़ा किया गया है,वह भी ऐसा अति आवश्यक प्रकरण नही है जिसको देखने के लिये माननीय उच्च न्यायालय में लम्बित वादों,आयोग द्वारा चयनित शिक्षकों के प्रमाण पत्रों के सत्यापन पर वरीयता देते हुए तत्काल देखा जाय ।

डॉ मिश्र ने कहा कि कु रेखा सिंह के लिये प्रधानाचार्य द्वारा प्रस्ताव भेजा गया था, जिसको मेरे द्वारा अनुमोदित किया गया है । अगर कु रेखा सिंह की नियुक्ति में किसी भी प्रकार की अनियमितता पायी जाएगी तो इनका चयन तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया जाएगा । इसके लिये श्री राम कहां से अकेले दोषी है,यह मेरी समझ मे नही आ रहा है । यह आरोप निश्चित रूप से मेरे द्वारा दिये गये आदेशो को न मानते हुए लगातार 4 बजे के बाद घर चले जाने और आयोग द्वारा चयनित शिक्षकों के सत्यापन में सहयोग न करने के कारण,इनको अपने कार्यालय से कार्यमुक्त कर इनको अपर शिक्षा निदेशक (बेसिक) कार्यालय प्रयागराज के लिये भेजने के कारण,मेरे ऊपर दबाव डालने के लिये लगाया गया प्रतीत हो रहा है । मैं किन्ही भी आरोपो की उच्च स्तरीय जांच में सहयोग को तैयार हूं ।