Breaking News

किसानों के पक्ष में फिर खड़े हुए रामइकबाल, बोले पीएम मोदी को मान लेनी चाहिये किसानों की सभी मांगे



संतोष कुमार द्विवेदी

नगरा, बलिया।भाजपा के पूर्व विधायक राम इकबाल सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा  कि किसान आंदोलन शुरू होने के 30 दिन के भीतर यदि किसान बिल वापस ले लिया गया होता तो 700 किसानों की जान नहीं जाती।700 लोगो की जिंदगी और सात सौ परिवार उजड़ने के बाद यह फैसला एक तरफ खुशी तो दूसरी तरफ लेट लतीफी का सूचक है।सरकार को किसानों की सभी मांगे एम एस पी, मुकदमा वापसी, बिजली आदि से सम्बंधित है,को मान लेनी चाहिए । प्रधानमंत्री को डैमेज कंट्रोल करते हुए मृत किसानों के परिजनों को कम से कम 50 लाख रुपए मुआवजा और घर के एक सदस्य को नौकरी देना चाहिए। यदि आश्रित शिक्षित न हो तो उसे प्रतिमाह 20 हजार मानदेय, नाबालिग हो तो उसके पढ़ाई का खर्च, यदि विधवा हो तो 25 हजार रु प्रति माह पेंशन देना चाहिए।




           पूर्व विधायक श्री सिंह सोमवार को सायंकाल नगरा में प्रेस वार्ता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यह किसान आंदोलन दुनिया का सबसे बड़ा आंदोलन है। जो एक जगह पर बैठकर, अहिंसा के बल पर सत्याग्रह हो रहा है। इसको समझने में सरकार से चुक हुई है। इसमें सुधार होना चाहिए। आज पूर्वी यूपी और बिहार में जो किसान की माली हालत है, लड़के समझ नहीं पा रहे है। एक तो यहां जमीनों की कमी है, दूसरे यहां के आबादी का घनत्व सबसे ज्यादा है और कृषि के उपज के समय ही सारी नदियां इसी रास्ते से गंगा सागर में जाकर गिरती है।  कहे कि सरकार को पूर्वी यूपी को विशेष पैकेज देना चाहिए।  सरकार यदि किसानों को 25 हजार रूपए प्रति बीघा मुआवजा देती तो जो वातावरण बना हुआ है, उसमे बदलाव दिखाई देता। साथ ही महंगाई से भी राहत मिलती। 

आम आदमी महंगाई से त्रस्त हो चुका है। ये कल्पना भी नहीं किया जा सकता था कि पेट्रोल सौ रुपए लीटर बिकेगा। सरकार बढ़ते हुए महंगाई पर पहले ध्यान नहीं दी, जबकि उत्पादन शुक्ल कई बार बढ़ाया जा चुका था। छड़, सीमेंट, सरिया, मोरम, कपड़ा, तेल हर चीज का दाम आसमान छू रहा है। फरवरी से लेकर जुलाई तक 36% भाव केवल कपड़ा का बढ़ा है। उन्होंने कहा कि व्यापारियों के लिए कोई रुल नहीं बना है और किसान के उपज पर 50 रूपए एमएसपी बढ़ाकर कोरम पूरा कर लिया जा रहा है।