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चिराग तले अंधेरा : प्रशासनिक अधिकारी बनने के बाद भी नहीं जा रहा नाजिर पद का मोह,आवास आवंटन में नाजिर की दादागिरी

 



हालात डीएम कार्यालय का, दो साल से कुंडली मार बैठे हैं दोनों पद पर

बलियाः चिराग तले अंधेरा की कहावत जिलाधिकारी कार्यालय में चरितार्थ होती दिख रही है। यहां के एक बाबू  , जो पदोन्नति के जरिए वरिष्ठ लिपिक के बाद अब प्रशासनिक अधिकारी तो बन गए हैं, लेकिन नाजिर पद (बाबू स्तर का पद) का मोह नहीं छोड़ पा रहे है। दो वर्ष पहले प्रशासनिक अधिकारी, वह भी जिलाधिकारी कार्यालय के प्रशासनिक अधिकारी होने के बावजूद नाजिर का चार्ज भी लिए बैठे हैं। जबकि दोनों पदों पर कार्य का भार अपने आप में कम नहीं है। 


सरकारी सिस्टम में जाएं तो नाजिर पद का उनका यह मोह लाजमी भी है। वजह कि नाजिर पद कलेक्ट्रेट के सबसे मालदार पद में एक माना जाता है, जिसमें आवास आवंटन का कार्य सबसे मलाईदार है । कोई भी कर्मचारी हो या अधिकारी सरकारी आवास में ही रहना चाहता है । क्योंकि बाहर एक तो किराया ज्यादे देना पड़ता है,ऊपर से सरकारी कार्य मे देर सवेर आने जाने से मकान मालिक ताने तक मारने लगते है ।






आवास आवंटन का पटल नाजिर के ही होता है पास

आवास आवंटित कराने के लिए कर्मचारी अपना आवेदन तो सिटी मजिस्ट्रेट के यहां देते हैं, पर गुहार नाजिर के यहां ही लगाते हैं। वजह कि नाजिर ही प्रभारी अधिकारी के यहां फाइल प्रस्तुत करता है। आवास आवंटन में हालात यह है कि विधायक, मंत्री तक से आप जुगाड लगा लें, आवास नही मिल सकता है,पर नाजिर चाहे तो अपात्र को भी आवास दे दें। 

अधिकारी घूम रहे,चतुर्थ श्रेणी ले रहे अधिकारी आवास का आनंद

सूत्रों की माने तो इसी रसूख का परिणाम है कि आवास आवंटन में अंतिम निर्णय नाजिर के यहां से ही होता है। सूत्रों ने तो यहां तक कहां है कि आवास आवंटन के लिए चढ़ावे के लिये धनराशि बीस हजार से शुरू होती है जो 50 हजार तक जाती है। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि पीसीएस अधिकारी आवास के लिए चक्कर लगाते है और नाजिर की मेहरबानी से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी अधिकारियों के आवास में मौज से रह रहे है । राजस्व विभाग से ही सम्बंधित कर्मचारियों की ही बात करे तो कई कर्मचारियों का बलिया तहसील से तबादला हो चुका है लेकिन आवास पर आज भी जमे हुए है ।

हद तो तब हो गयी जब नाजिर साहब ने जिला सूचना अधिकारी बलिया को चतुर्थ श्रेणी का आवास आवंटित कर दिया,जिसको सूचना अधिकारी ने अपने स्तर का न होने के कारण लिखित रूप से अस्वीकार कर दिया । सूचना अधिकारी ने चतुर्थ श्रेणी के अपने एक कर्मचारी के लिये इसी आवास को आवंटित करने का लिखित अनुरोध भी भेजा है लेकिन उसको आवंटित नही हो रहा है ।

जिलाधिकारी ने शुरू करायी जांच, फिर भी नही हो पाये अपात्र साफ

आवास आवंटन में मिल रही गड़बड़ियों की शिकायत और अपात्र कर्मियों का आवास पर कब्जा की शिकायतों पर जिलाधिकारी बलिया अदिति सिंह ने जांच अभियान चलाया हुआ है जिससे अबतक कई आवास खाली भी हो चुके है और पात्रों को आवंटित हो रहे है । लेकिन इस अभियान में अधिकारियों के लिये बने आवासों पर से अपात्रों या बलिया में पोस्टिंग न होने के बावजूद कार्यस्थल व बलिया मुख्यालय दोनों जगह आवास पर निवास करने वाले अधिकारियों से खाली नही कराया जा सका है । जिसके कारण कई अधिकारियों को मजबूरन बाहर रहना पड़ रहा है ।


नाजिर की पहुंच जिलाधिकारी कार्यालय के सभी मजिस्ट्रेट और महत्वपूर्ण अधिकारियों तक होती है। ऐसे में कई बार तो वह अपने अफसर प्रभारी अधिकारी नजारत पर भी भारी पड़ जाते हैं। काफी दिनों बाद तेजतर्रार सिटी मजिस्ट्रेट प्रदीप कुमार आए हैं। नजारत में अपना सिक्का जमाकर बैठे नाजिर व उनके सरकारी साथियों का फिलहाल तो वहां सिक्का नहीं जम पा रहा है, लेकिन यह देखना होगा कि कब तक यह सख्ती चल पाती है।