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बलिया के मिलर्स ने डिप्टी आरएमओ को सौंपी अपने अपने मिलो की चाभियां

 




मधुसूदन सिंह

बलिया ।। अपनी विभिन्न मांगों के समर्थन में आज बलिया के राइस मिलर्स ने आज बलिया मुख्यालय स्थित डिप्टी आरएमओ कार्यालय पहुंच कर अपनी अपनी मिलो की चाभियों को डिप्टी आरएमओ को सौप दिया है । इनका कहना है कि डीजल की दर में बेतहाशा वृद्धि ने न सिर्फ किसानों की धान उत्पादन में कमर तोड़ दी है बल्कि धान को परिवहन,कुटाई आदि के खर्च में भी भारी इजाफा हुआ है । 




जबकि सरकार आज भी 20 साल पहले की ही दर पर मिलर्स को प्रोत्साहन राशि,कुटाई चार्ज दे रही है । ऐसे में पुरानी दर पर धान की कुटाई करके सरकार को चावल देना संभव नही है । इसी कारण आज सभी मिलर्स ने अपनी अपनी मिलो पर ताला लटका कर चाभियां डिप्टी आरएमओ साहब को सौप दिये है । अब सरकार चाहे तो खुद हमारी मिलो को चलाये, समझ मे आ जायेगा कि खर्च कितना पड़ता है ? मिलर्स की सरकार से निम्नलिखित मांगे है --

रिकवरी प्रतिशत की समस्या को किया जाय दूर

रिकवरी प्रतिशत की समस्या पर मिलर्स ने सरकार का ध्यान दिलाया है । इनका कहना है कि मिलर्स को जो धान मिलता है उसमें 58 से 60% तक ही चावल निकल पाता है जबकि मिलर्स को 67 प्रतिशत चावल सरकार को देना होता है, जिससे हम लोगों को भारी नुकसान हो रहा है ।

धान कुटाई में प्रोत्साहन राशि को बढ़ाया जाए 

मिलर्स की मांग है कि विगत 20 वर्षों से मिलर्स को कुटाई के लिए ₹10 प्रति कुंटल चार्ज तथा विगत 2 वर्षों से ₹20 प्रति कुंटल प्रोत्साहन राशि दी जा रही है जो बहुत ही कम है ।जबकि 20 वर्षों में लेबर चार्ज, बिजली, डीजल, मिस्त्री ,मिल के कलपुर्जे के दामों में कई गुना बढ़ोतरी हुई है । मिलर्स की मांग है कि प्रोत्साहन राशि ₹250 प्रति कुंटल किया जाए ।

होल्डिंग चार्ज अवधि बढ़ाने की मांग

मिलो की एक मांग यह भी है कि होल्डिंग चार्ज की अवधि जो 45 दिन है उसको 75 दिन किया जाए । इनका कहना है कि नमी, पीडीएस उठान,एवं रैक की वजह से चावल अनलोड नही हो पाता है और इसकी की वजह से 45 दिन के ज्यादा समय लग जाता है जिससे इनके ऊपर होल्डिंग चार्ज लगने लगता है ।ऐसी परिस्थिति में 45 दिन की अवधि को बढ़ाकर 75 दिन करने से चावल उद्योग को प्रोत्साहन मिलेगा ।

विगत कई वर्षों से मिलर्स का पीसीएफ, एग्रो आदि एजेंसियों द्वारा आढ़त पर ब्याज, यूजेज चार्ज का भुगतान नहीं किया गया है, इसका भुगतान तत्काल किया जाए । साथ ही इनकी मांग है कि  धान एवं चावल का परिवहन मिलर्स के द्वारा कराया जाए ।

अधोमानक वाले धान को रिजेक्ट करने का मिले अधिकार

अभी मिलर्स को चावल बनाने के लिये जो धान मिलता है उसकी जांच करने और अधोमानक होने पर रिजेक्ट करने का अधिकार अधिकारियों के पास है । अगर सेटिंग के तहत अधोमानक धान मिलर्स को मिल गया तो क्वालिटी खराब है यह जानने के बाद भी मिलर्स ऐसे धान को रिजेक्ट नही कर सकता,नतीजन चावल बनाने में उसको नुकसान उठाना पड़ता है ।

ऐसे में इनकी मांग है कि अधोमानक धान को रिजेक्ट करने का अधिकार मिलर्स को दिया जाए । साथ ही धान प्राप्ति मिलर्स के डिजिटल हस्ताक्षर से की जाए ,जबकि अबतक अधिकारी ही मिलर्स के डिजिटल हस्ताक्षर का प्रयोग करते है। इनकी यह भी मांग है कि चावल में आने वाली नमी के बदले चावल लिया जाए ना कि मिलों से कटौती की जाए ।

पुराने बकायेदारों के लिये लायी जाय एकमुश्त समाधान योजना

पुराने  बकायदार मिलर्स के लिए एकमुश्त समाधान योजना लाकर बकाया जमा कराकर उनको भी काम करने का अवसर दिया जाए । लात डिपो पर यदि 20 घंटे के अंदर अनलोड ना हो तो मिलर्स को ₹3000 प्रतिदिन हाल्ट चार्ज  दिया जाए ।

बयान - कन्हैया यादव प्रांतीय संयोजक




बयान - डिप्टी आरएमओ बलिया