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लखनऊ सीएमओ का बड़ा कारनामा,सचिव स्तर के भुगतान को टुकड़ो में बांट कर खुद ही भुगतान कर डाला

 


मधुसूदन सिंह

लखनऊ ।। प्रदेश की राजधानी का सीएमओ बनने के बाद डॉ मनोज अग्रवाल कितना पॉवर या रसूख रखते है,इसका जीता जागता उदाहरण सामने आया है । साहब ने उस भुगतान को, जो विभागीय सचिव के अनुमोदन के बाद ही हो सकता था,को पार्ट पार्ट ऐसा किये है कि न तो इनको महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं , न ही विभागीय सचिव का अनुमोदन लेने की जरूरत पड़ी और साहब ने भुगतान कर दिया । अब यह अलग बात है कि इसमें साहब को क्या दिलचस्पी थी कि उच्चाधिकारियों को भी बताना जरूरी नही समझे । बता दे कि चिकित्सा क्षतिपूर्ति के 2 लाख से नीचे के ही बिल का भुगतान सीएमओ साहब कर सकते है । 2 लाख से 5 लाख तक के बिलो का भुगतान महा निदेशक के अनुमोदन पर और इससे ऊपर के बिलो का भुगतान विभागीय सचिव के अनुमोदन के बाद ही हो सकता है ।

सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि चिकित्सा क्षतिपूर्ति के लिये आवेदक ने एक ही आवेदन किया है लेकिन सीएमओ साहब ने एक ही तारीख में तीन पत्रांक के द्वारा तीन आदेश करके भुगतान का आदेश जारी कर दिये । यही नही चिकित्सा क्षतिपूर्ति के लिये शासनादेश है कि 3 माह से अधिक बिलम्बित बिलों का भुगतान, बिना उच्चाधिकारियों के अनुमोदन के नही किया जा सकता है,लेकिन इस नियम को भी सीएमओ लखनऊ ने अनदेखी करते हुए भुगतान कर दिया । जबकि 6 अप्रैल2021 के अधीक्षक सामुदायिक केंद्र ,मॉल लखनऊ को उपरोक्त सभी बिंदुओं को उठाते हुए विभागीय सचिव से अनुमोदन प्राप्त करने हेतु पत्र के माध्यम से तत्कालीन सीएमओ लखनऊ ने आदेश भी किया है ।




उपरोक्त पत्र के जबाब में अधीक्षक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मॉल लखनऊ ने 7 अप्रैल 2021 को पत्र भेजकर भुगतान से सम्बंधित सभी बिलम्बित बिंदुओं को दर्शाते हुए विभागीय सचिव से अनुमोदन लेने का अनुरोध किया है ।




इसके बाद अधीक्षक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मॉल लखनऊ ने विभागीय सचिव से अनुमोदन हेतु पत्रावली प्रचलित कर सीएमओ लखनऊ को 26 जून 2021 को सभी मूल दस्तावेजो के साथ पत्रावली भेज दी ।


सीएमओ साहब ने आवेदक गंगाराम सेवानिवृत्त स्वास्थ्य कर्मी की पत्नी ललिता देवी के चिकित्सा क्षतिपूर्ति के एक ही दावे को तीन भाग रुपये 174461,रुपये 121073, रुपये 194649 कुल 490183 रुपये का भुगतान 18अगस्त 2021 को एक ही दिन में पत्रांक 621,619,620 के द्वारा स्वीकृत कर दिये, जो घोर वित्तीय अनियमितता को दर्शाने के लिये काफी है ।






अब देखना यह है कि ऐसी वित्तीय अनियमितता करने के लिये शासनादेशों की अवहेलना करने,उच्चाधिकारियों की शक्ति को जानबूझ कर कम करके स्वयं की शक्ति का उपयोग कर वित्तीय अनियमितता करने वाले सीएमओ लखनऊ के खिलाफ शासन स्तर से क्या कार्यवाही होती है ।