Breaking News

जाम के झाम में फंसा बलिया,घण्टो जाम में रेंगता रहा शहर

 





मधुसूदन सिंह

बलिया ।। एक तो करेला ऊपर से नीम चढ़ा ,की कहावत बलिया की जाम की समस्या पर सटीक बैठ रही है । वैसे ही बलिया में जाम का झाम कोई नया नही है । लेकिन आज कुछ विशेष हो गया । आज बलिया में पीईटी की परीक्षा दोनों पालियो में थी । प्रतिदिन 9 बजे से 11 बजे तक तो जाम लगना आम बात थी लेकिन आज एकाएक हजारो परीक्षार्थियों की आवक ने जाम के झाम को और विकट बना दिया ।

सुबह पहली पाली की परीक्षा से शुरू हुआ जाम का सिलसिला दिन के 2 बजे तक बदस्तूर जारी रहा । चित्तू पांडेय चौराहा पर टीएसआई संतोष द्विवेदी अपनी पूरी टीम के साथ जाम को हटाने में व्यस्त रहे ।

न ढंग से वन वे , न ही पटरी व ठेला व्यवसायियों के दुकान लगाने का तरीका

तत्कालीन पुलिस अधीक्षक डॉ विपिन ताडा द्वारा शहर को जाम से मुक्ति दिलाने के लिये वन वे व्यवस्था लागू की गई थी जो वर्तमान समय में भी लागू है । लेकिन परीक्षाओ के समय पुलिस बल की ड्यूटी परीक्षा केंद्रों पर लग जाने के कारण वनवे व्यवस्था चरमरा जा रही है । वही कोढ़ में खाज का काम बेतरतीब व जहां तहां ठेला खोमचा लगा कर व्यापार करने वालो के द्वारा पैदा किया जा रहा है ।

पटरी व्यवसायी संघ, नगर पालिका और जिला प्रशासन के द्वारा इस समस्या से निजात दिलाने के लिये एक कार्य योजना तत्कालीन जिलाधिकारी भवानी सिंह खगरौता के आदेश पर तैयार की गई । जो आज तक साहब लोगो के फाइलों में ही दबी हुई है । अगर यह  व्यवस्था लागू हो गयी होती तो जाम की समस्या का आधा हल निकल गया होता ।



इस योजना के अंतर्गत स्टेशन से चौक वाली सड़क के बीच मे ठेलो के खड़े होने का स्थान निश्चित करते हुए चार ठेलो के बीच जगह छोड़ी जानी है जिसमे बाजार करने वाले लोग आ जा सके या अपनी दो पहिया वाहनों को खड़ा कर सके । साथ ही पूरे चौक,सिनेमा रोड, लोहापट्टी रोड, गुदरी बाजार रोड, कासिम बाजार रोड, ओकडेनगंज आर्यसमाज रोड, चौक आर्यसमाज रोड, आदि में भी जहां संभव है वहां बीच मे ठेला लगाने की व्यवस्था और प्रत्येक सड़क के किनारे पटरी पर 3 फिट चिन्हांकित करके पटरी व्यवसायियों को बैठाना था ।

लेकिन दुर्भाग्य है कि न तो साहब लोगो को, न ही नगर पालिका के लोगो में इस योजना को लागू करने की कोई दिलचस्पी ही दिख रही है । बलिया शहर के लोगो का दुर्भाग्य है कि इनका जनप्रतिनिधि सरकार में मंत्री है,फिर भी न तो जल जमाव से निजात मिल रही है, न ही जाम के झाम से ही मुक्ति मिलती दिख रही है ।