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फिर सज गयी गैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों की दुकान,प्रवेश कराने के लिये दे रहे है प्रलोभन

 




मधुसूदन सिंह

बलिया ।। अभी पिछले दिनों ही सीबीएसई बोर्ड द्वारा घोषित परीक्षा परिणाम के बाद जिस तरह से बवाल व हो हल्ला मचा था ,किसी से छुपा नही है । अपने को शिक्षा के क्षेत्र में सुविख्यात शहर के पास के विद्यालय के एक छात्र ने विद्यालय पर आरोप लगाकर जिस तरीके से आत्महत्या की ,शहर में स्थित एक गैर मान्यता प्राप्त विद्यालय के खिलाफ जिस तरह अभिभावकों का गुस्सा फूट पड़ा था,यह किसी से छुपा नही है । घटनाओ के बाद जिला प्रशासन ने गैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों की जांच का आश्वासन भी दिया था,जो हकीकत में कही दिख नही रहा है । अब ये गैर मान्यता प्राप्त विद्यालय धड़ल्ले से नये प्रवेश ले रहे है ।

बता दे कि बलिया में सीबीएसई ने कुल 49 विद्यालयों को हाई स्कूल या इंटर तक की मान्यता दे रखी है । लेकिन हकीकत में इसके कई गुना विद्यालय बिना मान्यता के ही स्थानीय शिक्षा अधिकारियों की उदासीनता कहे या संलिप्तता के चल रहे है । इन विद्यालयों के पास न यो माध्यमिक शिक्षा परिषद से एनओसी है ,न ही बेसिक शिक्षा से , फिर भी धड़ल्ले से संचालित हो रहे है । ये विद्यालय स्थानीय रसूखदारों के होने के कारण और ऊंची ऊंची बिल्डिंग के सहारे आम अभिभावकों को ठगने का काम कर रहे है । अभिभावक सोचता है कि ये इतनी पहुंच वाले है,करोड़ो रूपये की बिल्डिंग बनवाये है,इनकी मान्यता तो होगी ही और इसी सोच में अपने बच्चों का भविष्य गैर मान्यता प्राप्त विद्यालय संचालको के हाथों सौप देते है ।बलिया शहर हो या देहात ऐसे विद्यालय कुकुरमुते की तरफ संचालित दिख जाएंगे । बड़े नामों की या तो फ्रेंचाइजी अपने आपको बताएंगे या सीबीएसई पैटर्न का विद्यालय। अब समझ मे यह नही आता है कि फ्रेंचाइजी नाम प्रयोग करने के लिये होती है या बिना मान्यता के ही विद्यालय संचालन की । ऐसे विद्यालयों द्वारा प्रति वर्ष बड़े बड़े कार्यक्रम कराये जाते है और इसमें बड़ी बड़ी हस्तियों को बुलाकर अभिभावकों को यह बताने का प्रयास किया जाता है कि आपका बच्चा सही जगह पर शिक्षा ग्रहण कर रहा है ।एक नामचीन विद्यालय के उद्घाटन समारोह में तो छात्र छात्राओं व अभिभावकों के सामने मनोज तिवारी से "ही ही हँस दिहले रिंकिया के पापा" जैसा बलगर गीत गंवाया गया ,जो इनकी सोच को दर्शाने के लिये काफी है ।





पढ़ाते अपने यहां है और परीक्षा फर्म भरवाते किसी और जगह से

सबसे बड़ा झोल इन तथाकथित विद्यालयों के बोर्ड पर देखने को मिलता है । गैर मान्यता प्राप्त अपने बोर्ड पर टू बी अफलिअटेड या सीबीएसई पैटर्न लिख कर अभिभावकों को झांसे में लेकर ठगने का काम करते है । सीबीएसई की स्पष्ट गाइड लाइन है कि जब तक मान्यता न मिल जाये ,कोई भी विद्यालय उसका नाम प्रचार में नही लिख सकता है । लेकिन साहब यह तो नियम है, जांच करेगा कौन ?

सीबीएसई का यह भी नियम है कि किसी भी कक्षा के एक सेक्शन में 45 से अधिक बच्चे नही हो सकते है और 45 बच्चों को पढ़ाने के लिये 3 शिक्षक आवश्यक है । अब इन गैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों के सहयोगी मान्यता प्राप्त विद्यालय भी सीबीएसई के नियमो की धज्जियां उड़ाते है । सीबीएसई की साफ मनाही है कि आप किसी दूसरे विद्यालय के बच्चों को अपने यहां कागजी तौर पर प्रवेश नही दे सकते है लेकिन ये लोग पैसा कमाने के लालच में ऐसा करते है ।

जब मान्यता प्राप्त विद्यालय ,गैर मान्यता प्राप्त के बच्चों को अपने यहां पंजीकृत करते है तो निश्चित है कि इनके यहां कक्षाओं में छात्रों की संख्या बेतहाशा बढ़ जाती है,ऐसे में इनके यहां सीबीएसई का अध्यापको के लिये तय मानक ध्वस्त हो जाता है । ऐसे में सीबीएसई के अधिकारियों की भी जिम्मेदारी बनती है कि ऐसे सहयोगी विद्यालयों की कड़ाई से जांच करें और नियमो की अवहेलना मिलती है तो मान्यता प्रत्याहरण की कार्यवाही सुनिश्चित करें । लेकिन ऐसा सीबीएसई के जिम्मेदार अधिकारी भी नही करते है, अब ऐसा क्यों नही करते है यह वह ही जानते है । लेकिन इतना तय है कि जब तक सीबीएसई के अधिकारी कार्यवाही नही करेंगे,भोले भाले अभिभावक ऊंची दुकान के नाम पर फीका पकवान खाने को मजबूर होते रहेंगे ।