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संघर्ष बढ़ने का अंदेशा : आईएसआईएस ने धमाकों के द्वारा दी तालिबान को चुनौती,भारत पर भी कब्जे का रखता है इरादा



काबुल ।। अफगानिस्तान में अब तालिबान और आईएसआईएस के बीच सत्ता हासिल करने के लिये खूनी संघर्ष बढ़ने की संभावना बलवती हो गयी है । दुनिया में कट्टरता का खौफ फैलाने वाला आतंकी संगठन आईएसआईएस ,अमेरिका को घुटनों पर ले आने वाले तालिबान को अब चुनौती दे रहा है। काबुल हवाई अड्डे पर आतंकी हमले के लिए आईएस-खुरासान (आईएस-के) ने जिम्मेदारी ली है।

आईएस-के पहले भी अफगानिस्तान में हमले कर चुका है। हाल में ही तालिबानी आतंकियों ने आईएस-के के चार दहशतगर्दों को एयरपोर्ट के बाहर से पकड़ने का दावा किया था। काबुल एयरपोर्ट के बाहर इसी कड़ी का हिस्सा है । आईएसआईएस निहत्थे नागरिको के ऊपर हमले करके नरसंहार के लिये कुख्यात है । तालिबान व अमेरिका के बीच पिछले वर्ष हुए समझौते से आईएस-के खफा है । अफगानिस्तान में दोनों संगठन खुद को शासन का असल हकदार बताते हैं। वही इसका इरादा भारत पर भी कब्जे का है ।

2017 से अब तक आईएस-के अफगानिस्तान में आम लोगों पर 100 से ज्यादा हमले कर चुका है। इस बीच, अमेरिकी व अफगानी बलों से 250 बार से ज्यादा मुठभेड़ें हो चुकी हैं। खुरसान मॉड्यूल ने पहले भी कई आतंकी हमले किए हैं।

               क्या है खुरासान

खुरासान, मौजूदा पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान व मध्य एशिया के कुछ हिस्सों का ऐतिहासिक नाम है। 2014 में खिलाफत स्थापित करने का एलान करते हुए आईएसआईएस ने इराक और सीरिया के कुछ हिस्से पर कब्जा कर लिया था।


इसके बाद जनवरी 2015 में कई पाकिस्तानी तालिबानियों ने अबू बकर अल बगदादी को अपना खलीफा मानकर आईएसआईएस का क्षेत्रीय समूह आईएस-के तैयार किया, जिसे जल्द ही आईएसआईएस के नेतृत्व ने मान्यता भी दी दी। इसके आतंकी भारत में भी सक्रिय हैं। यूपी में लखनऊ, कानपुर समेत कुछ शहरों और केरल से इससे जुड़े आतंकी गिरफ्तार किए जा चुके हैं।

   आतंक की दुकान चलाने वाले ये है सरगना

हाफिज सईद खान आईएस-के का पहला अमीर था। इससे पहले वह तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान का कमांडर था। 2016 में एक हमले में मारा गया। फिलहाल शहाब अल मुहाजिर इस संगठन का प्रमुख है और मुफ्ती नेमत इसका फिलहाल एकमात्र जीवित फील्ड कमांडर है ।

       पाकिस्तान अफगानिस्तान में है भरे पड़े है स्लीपर सेल

आईएसआईएस (के) के स्लीपर पूरे पाकिस्तान व अफगानिस्तान में फैले हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की रिपोर्ट के मुताबिक, दो से ढाई हजार आतंकी आईएस-के से सक्रिय तौर पर जुड़े हैं। वहीं अमेरिका का दावा है कि संगठन में महज एक हजार लोग रह गए हैं, जबकि रूस के मुताबिक इस संगठन से करीब 10 हजार आतंकी जुड़े हैं।


उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान व पाकिस्तान के इस्लामिक मूवमेंट ऑफ उज्बेकिस्तान, जमात उल अहरार, पाकिस्तान इसके सहयोगी हैं। अमेरिका, भारत और इराक ने आइएस-के को आतंकी समूह घोषित कर रखा है।

भारत पर भी कब्जे का रखता है इरादा

यह आतंकी संगठन गज्वा-ए-हिंद एजेंडे के तहत भारत पर भी कब्जा करने का इरादा रखता है और बीते कई वर्ष में लगातार इंटरनेट के जरिये भारत में युवाओं को आतंकी बनाने की कोशिश में जुटा है।