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बलिया : जहां भ्रष्टाचार का बोलबाला ,नही है कोई अंकुश लगाने वाला

 


मधुसूदन सिंह

बलिया ।।  सत्तर के दशक में आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ने कहा था कि बलिया जिला नही देश है । यह कहावत आज इस लिये सच्ची लग रही है क्योकि योगी जी महाराज जैसे महान व्यक्तित्व के रहते,जो भ्रष्टाचार और माफियागिरी के लिये काल बने हुए है,के शासन मे भी बलिया में सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार का वटवृक्ष खड़ा कर दिया है और ऐसे अधिकारियों के राजनैतिक आका इनका स्थानांतरण शासनादेश के विरुद्ध रुकवाने का काम कर रहे है । ऐसे में यह कहने में कोई संकोच नही है कि बलिया में भ्रष्टाचार का है बोलबाला,नही है कोई अंकुश लगाने वाला ।

ग्राम समाज की भूमि की मची है लूट

अभी 26 जुलाई को ही बलिया एक्सप्रेस ने सदर तहसील में तहसील कर्मियों की मिलीभगत से एक भूमाफिया द्वारा 12 एयर की जगह 56 एयर जमीन न सिर्फ बेची गयी बल्कि सभी खरीदारों के नाम सरकारी अभिलेखों में दर्ज भी हो गये है । यह तो एक छोटा सा खुलासा है । जिला प्रशासन अगर गड़वार रोड, बहेरी सागरपाली रोड, बहादुरपुर हनुमानगंज रोड ,तिखमपुर टकरसन रोड की ग्राम पंचायतों के ग्राम समाज की भूमि की जांच सिर्फ प्राइवेट कालोनियों में कर ले तो एक बड़ा जमीन घोटाला सामने आ जायेगा । लोगो ने स्थानीय सरकारी मुलाजिमों के सहयोग से ग्राम समाज की ही भूमि बेच दी है ।

ग्राम पंचायतों में मची है सरकारी धन लूटने की होड़

"राजा को मालूम ही नहीं और भील लूट लिए साम्राज्य" जी हाँ, यही कहावत चरितार्थ हुई है बलिया के ग्राम पंचायतों में I सरकार द्वारा दिसम्बर माह में निर्वाचित ग्राम प्रधान का कार्यकाल समाप्त होने के बाद ग्राम पंचायत के सचिव के साथ एक प्रशासक को ग्राम पंचायत की विकास की जिम्मेदारी सौंप दी गई थी ।  इसके लिए कुछ निर्देश भी निर्गत हुए थे ,जैसे विद्यालयों में कायाकल्प योजना के अनुसार सुन्दरी करण, पेयजल और स्वच्छता तथा सेनिटाइजेशन का कार्य । पंचायत चुनाव के बाद आजमगढ़ मंडल के मंडलायुक्त द्वारा बलिया के 10 ग्राम पंचायतों में अनियमितता की जांच का आदेश दिया गया था, तब तक प्रदेश के ग्राम पंचायत आयुक्त द्वारा जिले के 20 और बड़ी ग्राम पंचायतों के जांच का आदेश निर्गत हो गया । जाहिर है  ग्राम-पंचायत बड़ी होगी, तो धन भी ज्यादा आवंटित होता होगा । 

अगर सरकार कोई योजना या अभियान चलाती है तो उसकी गहन समीक्षा नही होने से घोटाले बाजो की चांदी हो जाती है । अगर समय समय पर समीक्षा होती  तो बहुत सी ग्राम-पंचायतों में धन का बंदरबांट नहीं होता । जहां पर जांच का आदेश निर्गत हुआ है वहां 10 लाख से 45 लाख रुपया तक बिना किसी कार्ययोजना और ग्रामीणों के सुझाव के बिना काग़ज़ पर खर्च कर दिए गए या साफ साफ शब्दो में कहें तो लूट लिया गया ।

 उदाहरणार्थ अभी 30 जुलाई को ग्राम विकास आयुक्त के निर्देश पर जिला विकास अधिकारी  रंजीत राम मिश्रा और  देव चंद गुप्ता अभियंता लोक निर्माण विभाग  ग्राम पंचायत हल्दी विकास खण्ड बेलहरी की जांच करने पहुंचे । जांच के लिए उनके कार्यालय द्वारा एक प्रारूप पूर्व में ही सचिव को निर्गत कर दिया गया था जिसपर 1 दिसम्बर 2020 से 31 मई 2021 तक के कार्यो का विवरण प्रारूप पर उपलब्ध कराना था। उसी के सापेक्ष जांच होनी थी, लेकिन सचिव महोदय ने इसको गम्भीरता पूर्वक नहीं लिया । 

जिला विकास अधिकारी श्री मिश्रा और उनकी टीम द्वारा पहले पंचायत भवन का निरीक्षण किया गया जहां पर बैठने के लिए कुर्सी तक नहीं थी  जबकि 1, 66, 231/- रुपया पंचायत भवन के फर्नीचर के लिए निकाला गया है । पूंछने पर सचिव साहब का निर्लज्जता पूर्वक जवाब था कि सामान अपने घर पर रखे है । उसके बाद प्राथमिक विद्यालय हल्दी नंबर 01, 02 ,04 और उच्च माध्यमिक विद्यालय की जांच की गयी, जहां पर पुराने इंडिया मार्का हैंडपंप में ही समरसेबुल  डाल दिया गया है और जिसमें बिज़ली का नंगा तार लटक रहा है जो कि नियम विरुद्ध है , जिसकी शिकायत वहां पर उपस्थित अध्यापकों और गाँव के नागरिको द्वारा भी किया गया । किसी को भीं करंट लगने और जान जाने का खतरा हमेशा बना रहेगा । कोई जलापूर्ति का कार्य नहीं कराया गया है । स्कूल के कमरों में टाइल्स, खिड़की और दरवाजा लगाने के नाम पर लाखो रुपया निकाला गया है लेकिन धरातल पर कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था । 

सबसे बड़ी बिडम्बना सामुदायिक शौचालय की थी, बाहर से पूरी तरह रंग रोगन लेकिन अन्दर कुछ भी नहीं, ना सीट लगा है ना पानी और ना ही बिजली का कनेक्शन हुआ है । जबकि 2 बार उपरोक्त शौचालय के लिए रखरखाव हेतु 18 हज़ार रुपया स्वयं सहायता समूह को भुगतान भी कर दिया गया है । उसके बाद 1,42,000 रुपया हाई मास्क सोलर के लिए निकाला गया लेकिन वह सोलर पैनल या बैटरी लगा कहाँ हैं? यह सचिव महोदय दिखा नहीं पाए ।

5 हजार की फॉगिंग मशीन की खरीद 60 हजार में

यह तो केवल एक ग्राम पंचायत का मामला है । ऐसा अधिकांश ग्राम पंचायतों में हुआ है । यह तब हुआ है जब ग्राम पंचायतों का अंतिम कार्यकाल था,उसके बाद जब प्रशासक नियुक्त हुए थे तब यह गेम खेला गया है । इन लोगो ने सेनिटाइजेशन के लिये मशीन खरीद में भी जमकर घोटाला किया है । सूत्रों की माने तो लगभग 5 हजार की मशीन को 60 हजार तक मे खरीद कर सरकारी धन की जबरदस्त लूट की है ।

नगरपालिका के ईओ के भ्रष्टाचार पर कार्यवाही नही

पिछले 4 सालों से नगर पालिका क्षेत्र में अव्यवस्थाओं के लिये शनि बने और लगभग तीन दर्जन भ्रष्टाचार के आरोपो से घिरे अधिशाषी अधिकारी दिनेश विश्वकर्मा पर कोई कार्यवाही न होना,भ्रष्टाचार पर सरकार की कड़ी कार्यवाही के दावे को कटघरे में खड़ा कर रहा है । सीएम योगी के राज में पहली बार ऐसा हुआ है कि मंत्री की चिट्ठी भी ऐसे भ्रष्ट अधिकारी का तबादला नही करा पा रही है । यही नही इस अधिकारी की पहुंच सरकार व शासन तक इतनी उच्ची है कि शासनादेश के आधार पर भी तबादला इस अधिकारी का नही हो रहा है । सूत्रों की माने तो लखनऊ के एक बड़े नेता जी इसको बलिया ही रहने का अभयदान दे चुके है ।

अवैध अल्ट्रासाउंड केंद्रों और पैथॉलॉजियो की भरमार,नही है कोई रोकने वाला

बलिया का स्वास्थ्य विभाग में भी कम भ्रष्टाचार नही है । सीएमओ कार्यालय,जिला अस्पताल,महिला अस्पताल के आसपास और पूरे जनपद में अवैध रूप से संचालित अल्ट्रासाउंड केंद्रों और पैथॉलॉजियो का मकड़जाल फैला हुआ है लेकिन स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार है कि आंखे बंद कर इनको अभयदान दिये हुए है ।

इसको रोकने,लाइसेंस निर्गत करने के लिए नियुक्त नोडल अधिकारी डॉ राजनाथ को विभागीय अधिकारी ही ढूंढ ले तो बड़ी बात होगी । साहब किसी भी माह तहसीलों के क्षेत्रों को छोड़िये जिला मुख्यालय पर दर्जनों की संख्या में संचालित अवैध अल्ट्रासाउंड केंद्रों व पैथॉलॉजियो पर कभी छापेमारी भी नही करते है और जहां जाते भी है तो उन केंद्रों को पहले से ही इनके आने की सूचना होती है जिससे दुकान बंद कर फरार हो जाते है ।

कामर्शियल कटरों की टैक्स वसूली में धांधली

नगर पालिका क्षेत्र में कई व्यवसायिक कटरे है जिनमे कई दर्जन दुकानें है । इन कटरों में दुकानों का किराया 3 हजार से लेकर 25 हजार तक,एक कटरे में तो एक दुकान का ही किराया लगभग 75 हजार है,वावजूद अगर इन कटरों की नगर पालिका कर्मियों द्वारा वसूले गये टैक्स की जांच कर ली जाय तो घोटाला खुदबखुद समझ मे आ जायेगा । सूत्रों की माने तो सारी टैक्स कम देने के लिये कटरा मालिको के द्वारा नपा कर्मियों को प्रतिमाह चढ़ावा दिया जाता है ।

दुकान नगर पालिका की और किरायेदार दिये है किराये पर

नगर पालिका परिषद बलिया के अपने कई मार्किट है । जैसे इंदिरा मार्किट,जनता मार्किट,कासिम बाजार बनकटा मार्ग का मार्किट,गुदरी बाजार का संजय मार्किट,मीना बाजार आदि । इन मार्किट के कई दुकानदार अपनी दुकानों को दूसरे दुकानदारों को महंगे दर पर किराये पर दिये हुए है, जो कि वैधानिक रूप से सही नही है । बावजूद इसके नगर पालिका के अधिकारी ऐसे आवंटियों के खिलाफ कार्यवाही करना तो दूर नोटिस भी नही दे रहे है । सूत्रों की माने तो ऐसे आवंटी अधिकारियों को चढ़ावा चढ़ाते रहते है । बलिया का दुर्भाग्य रहा है कि अबतक ऐसा कोई जिलाधिकारी नही आया है जो नगर पालिका के भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा सके ।