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अनादर करना,डांटना आत्महत्या करने के दायरे में नही :बॉम्बे हाई कोर्ट

 


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मुम्बई ।। बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा है कि अनादर करना व डांटना आत्महत्या के लिए उकसाने के दायरे में नहीं आता है।कोर्ट ने एक पेट्रोल पंप मालिक को जमानत देते हुए यह बात स्पष्ट की है।

जस्टिस भारती डागरे ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि किसी का अनादर करने के बाद उसे ‘जाओ मर जाओ’ कहना भी सुसाइड के लिए उकसाने के दायरे में नहीं आता है।

पेट्रोल पंप मालिक गणेश लांडगे पर 23 साल के युवक तेजस पालकर नाम के युवक को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप है। पालकर के भाई ने पुणे पुलिस में शिकायत की है कि लांडगे ने उसके भाई का अनादार किया था। उसे डांटा व धमकाया था।

इसलिए उसके भाई ने आत्महत्या जैसा आत्मघाती कदम उठाया। लांडगे के अनुसार पालकर ने पैसों का गबन किया था। जिसे वह वापस मांग रहा था।

पुलिस ने इस मामले में आरोपी के विरुद्ध आईपीसी की धारा 306, 323 व 506 के तहत मामला दर्ज किया था। इस मामले में पुलिस ने लांडगे को गिरफ्तार किया था।

इसके बाद जमानत के लिए लांडगे ने एडवोकेट अनिकेत निकम के जरिये से हाईकोर्ट में जमानत के लिए आवेदन दायर किया था। मामले से जुड़े तथ्यों,जांच से जुड़े दस्तावेजों व आत्महत्या से पहले पालकर की ओर से लिखे पत्र पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति ने पाया कि पालकर को कुछ रकम आरोपी (लांडगे) को देनी थी।

न्यायाधीश ने कहा कि प्रथम दृष्टया इस मामले में आरोपी का कृत्य आत्महत्या के लिए उकसाने के अपराध के दायरे में नहीं आता है। इसलिए आरोपी को 25 हजार रुपए के मुचलके पर जमानत दी जाती है। लेकिन आरोपी मामले से जुड़े सबूतों से किसी भी रुप में छेड़छाड न करे।