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जाने बलिया मे कहां लगता है दुकानों का किराया लगभग 1 लाख

 



मधुसूदन सिंह

बलिया ।। प्रदेश की योगी सरकार ने किरायदारों व मकान मालिकों के बीच होने वाले झगड़ो को कम करने के लिये किरायेदारी कानून में संशोधन करके दोनों पक्षो को राहत प्रदान करने की कोशिश की है ।इस कानून में मकान मालिक व किराएदार के मध्य एक एग्रीमेंट होगा ,जो 11 माह के लिये वैध होगा । इस 11 माह की अवधि में मकान मालिक तय किराये से अधिक की वसूली नही कर सकता है । यह एग्रीमेंट नगर पालिकाओं में जमा होगा ,जिससे किराये के आधार पर नगर पालिकाएं टैक्स वसूल करके अपनी वित्तीय स्थिति को सुदृढ कर सके ।

लेकिन धन्य है बलिया का जिला प्रशासन और नगर पालिका प्रशासन इस कानून के अनुरूप अबतक व्यवसायिक भवनों से राजस्व की वसूली करने में दिलचस्पी ही नही दिखा रहा है । नगर पालिका में तो ऐसे ईओ की तूती बोल रही है जो विभागीय कम,स्वयं के वित्तीय कोष को भरने के लिये हमेशा तत्पर रहते है । अगर आपको लगता है कि दिल्ली के कनॉट प्लेस मे ही किराया ज्यादे लगता है तो आप अपने जनपद को अंडर एस्टीमेट कर रहे है ।

आइये अब आपको बताते है कि बलिया के किस व्यवसायिक कॉम्लेक्स में दुकानों का किराया लगभग 1 लाख  प्रतिमाह वसूला जाता है । स्टेशन मालगोदाम रोड पर दो व्यवसायिक कॉम्लेक्स है,एक का नाम है इंदु मार्केट और दूसरे का नाम है वसुंधरा मार्केट । साथ ही इनके पीछे भी कई और मार्केट है ।

सूत्रों की माने तो सबसे पहले सबसे ज्यादे किराया वसूलने वाले  इंदु मार्केट का हाल बताते है । इसमें लगभग 40 से 50 स्थायी दुकानें है  । छोटी दुकानों के कारीगरों को लगभग 500 रुपये प्रतिदिन देना पड़ता है । स्थायी दुकानदारों को 1 हजार से 2 हजार प्रतिदिन के बीच किराया देना पड़ता है ।बड़ी दुकानों का जो बहुत बड़ी है उनका किराया लगभग 60 हजार से 1 लाख मासिक है  ।

दूसरा मार्केट है वसुंधरा मार्केट ,इसमे इंदु मार्केट की तरह टेबल लगाकर बैठने वाले तो नही है लेकिन इनका भी किराया छोटी दुकानों का 5 हजार और बड़ी दुकानों का 8 हजार तक है । वही गुलजार मार्केट मे एक दुकान का 70 हजार मासिक किराया है । सिन्हा मार्केट, जेपी मार्केट, कलवार मार्केट, कुंवर कटरा, मीरा कटरा,बन्धु मार्केट में भी किराये की स्थिति यही है । वैसे बलिया में ऐसे भी कटरे है जहाँ के मकान मालिक बुरी हालत में है और किरायेदार कब्जा जमाकर मुकदमा लड़ रहे है और कोर्ट में 5 रुपये से लेकर 300 रुपये माहवारी की दर से किराया जमा कर रहे है ।

कही राजस्व की चोरी में नगर पालिका कर्मी शामिल तो नही

इन व्यवसायिक भवनों का अगर नगर पालिका द्वारा वसूले जा रहे टैक्स की जांच कर दी जाय तो राजस्व की चोरी साफ पकड़ में आ जायेगी । सरकार नगर पालिकाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिये बार बार कह रही है,लेकिन बलिया की नगर पालिका का व्यवसायिक दुकानों का टैक्स स्लैब अभी भी बाबा आदम के जमाने का है । जिलाधिकारी बलिया को इन मार्केट की अधिकारियों की टीम बनाकर टैक्स स्लैब निर्धारण कराना चाहिये । अगर ऐसा हो गया तो यही मार्केट नगर पालिका के रोज रोज के खर्चो को पूरा कर देंगे ।

आखिर कैसे दे पाते है दुकानदार इतना किराया

अब आप भी सोच रहे होंगे कि आखिर इंदु मार्केट के दुकानदार इतना किराया कैसे दे पाते है तो उसको भी बताते है । 500 रुपये प्रतिदिन देने वाले मेकेनिक के पास अगर आप अपना मोबाइल बनवाने के लिये गये तो आपको चुना लगना तय है । 100 रुपये के खर्च में बनने वाला आपका मोबाइल 3 सौ से 500 में बनेगा । बड़ी दुकानों में डी सामानों की भरमार है । आप समझ ही नही पाएंगे कि ओरिजनल है या डुप्लीकेट । यही नही बलिया में एक ट्रेंड और चला है जो ओपो और वीवो कम्पनियों के मोबाइल में हो रहा है । इस मार्केट के दुकानदार हो या शो रूम के, सभी लोग इन मोबाइल को पहले से ही एक्टिवेट करके कम्पनी से अपना शेयर ले ले रहे है । आप जब मोबाइल खरीद कर ले जा रहे है तो आपको पता ही नही है कि आपकी वारंटी 2 से 3 माह पहले ही बीत चुकी है । एक तरह से उपभोक्ताओं को गुमराह व चीट किया जा रहा है । ऐसा नही है कि सभी दुकानदार एकदम लुटेरे ही है,कुछ मार्केट में ऐसे भी दुकानदार है जो आज भी उचित मूल्य पर ही सामान बेचते है । ओरिजनल नही होने पर ग्राहक से साफ कह देते है कि यह डी है ।


इंदु मार्केट के पीछे की गली मंजीत साड़ी घर तक रहती है जाम

वही इंदु मार्केट हो,वसुंधरा मार्केट हो,इनके पीछे की पूड़ी सड़क अवैध रूप से कम्यूटर लेकर फुटपाथ पर बैठने वालों के चलते हमेशा जाम ही रहती है । इस तरफ किसी भी प्रशासनिक अधिकारियों का ध्यान ही नही जाता है । यह सड़क मंजीत सिंह साड़ी घर के सामने सड़क में मिलती है । इस सड़क पर सुबह 9 बजे से शाम के 5 बजे तक चलना मुश्किल होता है । मंजीत सिंह भी अपनी दुकान के सामने मोटरसाइकिल खड़ी कराकर आधी सड़क को जाम रखते है । ओकडेनगंज चौकी की मेहरबानी से इनके ऊपर कोई कार्यवाही नही होती है ।

बिना पार्किंग के कैसे चल रहे है ये व्यवसायिक काम्प्लेक्स

प्रशासन  किसी भी व्यवसायिक काम्प्लेक्स का नक्शा तभी पास करता है जब उस भवन में फायर सुरक्षा व पार्किंग निश्चित रूप से हो ।लेकिन इन काम्प्लेक्स में से किसी के भी पास पार्किंग की सुविधा नही है । वसुंधरा मार्किट में तो आग लगने के कारण लगभग आधा दर्जन दुकानदार कर्जदार हो गये । यहां प्रशासन की अनदेखी के चलते कब दुर्घटना हो जाय कहा नही जा सकता है ।