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बड़सरी प्राथमिक विद्यालय का बरगद का पेड़ विरासत वृक्ष घोषित

 



बलिया ।। उत्तर प्रदेश शासन द्वारा विरासत वृक्षों के चयन के सम्बन्ध में निर्देश दिये गये थे । निर्देशानुसार ऐसे वृक्षों का चयन किया जाना था जो लगभग 06 पीढ़ी अर्थात 100 वर्ष से अधिक प्राचीन हो ,पौराणिक घटनाओं, ऐतिहासिक अवसरो, महत्वपूर्ण घटनाओं, अति विशिष्ट व्यक्तियों, स्मारकों, धार्मिक परम्पराओं, मान्यताओं से जुड़ा हुआ हो सदियों से पवित्र वृक्ष के रूप में पूजा की जाती हो तथा वृक्ष विलुप्त प्रजाति का हो, सामुदायिक भूमि अस्थित हो एवं भूमि के स्वामित्व सम्बन्धी कोई विवाद न हो । इस सम्बन्ध में वन विभाग की सर्वेक्षण टीम एवं खण्ड विकास अधिकारियों के माध्यम से बलिया जनपद के अन्तर्गत कुल 05 का चिन्हांकन किया गया था, जो कि विशिष्ट पहचान रखने वाले थे । जिनमें बांसडीह विकास खण्ड के अन्तर्गत जैदोपुर में होरिल ब्रहम बाबा स्थान पर स्थित विशाल वटवृक्ष, सीयर विकासखण्ड के अन्तर्गत खास ग्राम में स्थित पीपल का वृक्ष, चिलकहर विकासखण्ड के अन्तर्गत कुकुरडा में तिलेश्वर भगवान शिव के मंदिर पर स्थित पीपल वृक्ष, पन्दह विकासखण्ड के अन्तर्गत ग्राम बड़सरी प्राथमिक पाठशाला पर स्थित बरगद का तथा सोहांव विकासखण्ड अन्तर्गत कामेश्वरधाम कारों के प्रांगण में स्थित आम के वृक्ष चिन्हांकित किये गये। इन मे से उत्तर प्रदेश राज्य जैवविविधता बोर्ड लखनऊ द्वारा परीक्षणोपरान्त विकासखण्ड पन्दह अन्तर्गत ग्राम सभा बड़सरी के प्राथमिक पाठशाला की भूमि पर स्थित बरगद के वृक्ष को विरासत वृक्ष घोषित करने हेतु चयनित किया गया है।


चयनित बरगद वृक्ष 7.20 मी० व्यास तथा स्थानीय निवासियों द्वारा इसको लगभग 220 वर्ष पुराना बताया जा रहा है। यह वृक्ष प्राथमिक पाठशाला की भूमि में होने कारण सामुदायिक भूमि पर स्थित है। यह वृक्ष तने से लगभग 25 मीटर के व्यास में फैला हुआ है । वृक्ष के मध्य से एक सीधा तना ऊपर की तरफ गया है, जनश्रुति के अनुसार इस में सती मां का निवास माना जाता है। आस-पास के ग्रामीणों के बीच यह मान्यता है कि सती मां के पूजन अर्चन करने से यहां मन्नते मांगने पर पूरी होती है। यहां ग्रामीणों द्वारा वर्ष भर सती मां की आराधना और पूजा की जाती है। वृक्ष के विरासत के रूप में होने से इसका संरक्षण तथा पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा । यह वृक्ष जिला मुख्यालय से सोनौली बलिया मार्ग पर खेजुरी से 25 किमी पूर्व में स्थित है। प्राथमिक विद्यालय की भूमि में स्थित होने के कारण यह सार्वजनिक भूमि में स्थित माना जायेगा और इसका स्थानीय निवासियों के सहयोग से संरक्षण व उसके आस-पास खाली पड़ी भूमि पर वृक्षारोपण किया जायेगा।