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विकास की जगह अंगूर की बेटी के नाम पर वोट का जुगाड़ करना निवर्तमान प्रधान को पड़ा भारी,10 पेटी देशी शराब के साथ प्रधान पुत्र हिरासत में





 बृजेश सिंह 

 भीमपुरा बलिया ।। सीयर ब्लाक के अमावे गांव में निवर्तमान प्रधान द्वारा पंचायत चुनाव के दौरान पेटी का शराब मंगाया जाना महंगा पड़ गया। पुलिस ने पंचायत चुनाव में प्रयोग के लिए शराब मंगाए जाने के दौरान प्रधान पुत्र सहित ऑटो चालक को भी गिरफ्त में ले लिया। ऑटो में मिली दस पेटी देशी शराब की बोतल सहित चालक व प्रधान पुत्र को थाने ले गयी। जहाँ ऑटो को सीज कर दोनों को जेल भेज दिया।

   जानकारी अनुसार शुक्रवार की सुबह अमावे गांव के निवर्तमान प्रधान के द्वारा दस पेटी देशी शराब मंगायी गयी थी। शराब को लेकर प्रधान पुत्र एक ऑटो में लेकर गांव जा रहा था। इसकी सूचना पुलिस को मिली तो पुलिस ने पीछा कर उसे रास्ते मे पकड़ लिया। तलासी लेने के बाद ऑटो में देशी शराब की दस पेटी रखी हुई थी। जब पुलिस ने पूछताछ की तो ऑटो में सवार चालक ने अपना नाम शैलेन्द्र कुमार राव निवासी जजौली थाना भीमपुरा व ऑटो में बैठे युवक से जब पूछा गया तो उसने खुद को प्रधान तारकेश्वर नाथ का पुत्र बब्लू कुमार बताया। देशी शराब की पेटी के बाबत कागजात मांगे जाने पर कुछ नहीं बता पाए जिसके बाद पुलिस ऑटो सहित प्रधान पुत्र को लेकर थाने चली आयी। पुलिस ने ऑटो को सीज करते हुए संबंधित धाराओं में चालक व प्रधान पुत्र को जेल भेज दिया। पुलिस टीम में उपनिरीक्षक रामनाक्षत्र, कांस्टेबल सतवंत यादव, अविनाश चौधरी, राजकपूर, मनोज यादव, राजबहादुर आदि शामिल रहे।

5 वर्ष के विकास की जगह क्या दारू है जीत की गारंटी

 क्या जीत के लिए चिकन पार्टी व शराब की बोतलें खनखनाना जरुरी है। अपनी छवि व ग्राम पंचायतों में किये गए कार्यों के बलबूते कई दशकों तक कुर्सी पर बिराजमान होना अब दिवास्वप्न सा लगने लगा है। पंचायत चुनाव में कुछ सीटे ही बमुश्किल रिनुअल हो पा रही है।

     प्रदेश में कुछ स्थानों पर माननीय प्रत्याशियों या शुभचिंतकों को कई कुंतल मिठाई के साथ पुलिस ने गिरफ्तार किया है वही ताजा मामला बलिया जनपद के सीयर ब्लाक के ग्रामपंचायत अमावे में मतदाताओं में मत देने के लिए शराब भी वितरित किये जा रहे है। जिसको भीमपुरा पुलिस ने दस पेटी देशी शराब के साथ प्रधान पुत्र व ऑटो सहित चालक को गिरफ्तार कर लिया है। ऐसे में निष्पक्ष चुनाव की उम्मीद कैसे की जा सकती है। प्रशासन पूरी तरह पंचायत चुनाव को पारदर्शी बनाने में जुट हुआ है लेकिन पुराने व नए प्रत्याशियों ने तो डाल - डाल तो मैं पात - पात की कहानी को चरितार्थ कर रहे है। ये कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि अब पंचायत की सीटें किये गए कार्यो और अपने चरित्र के ऊपर नहीं बल्कि लोक लुभावन क्रियाकलापों से ही जीती जा रही है ।