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धर्म एक, बाकी सब पंथ : फलाहारी बाबा



प्रेम केवल देना जानता है मांगना तो सीखा ही नहीं-फलाहारी बाबा

भरौली बलिया ।। मां गंगा के तट भरौली में चल रहे सात दिवसीय भागवत कथा में अयोध्या से पधारे भागवतवेत्ता मानस मर्मज्ञ श्री श्री 1008 शिवरामदास उपाख्य फलाहरी बाबा ने अपने मुखारविंद से ज्ञान एवं  वैराग्य की कथामृत रूपी गंगा को प्रवाहित करते हुए  श्रद्धालुओं से कहा कि भगवान की कथा बेचने की नहीं बांटने की चीज है। ज्ञान की कोई कीमत नहीं होती है,ज्ञान अनमोल होता है। ज्ञान जब बिकने लगता है तो उसका अस्तित्व घट जाता है और प्रभाव नहीं के बराबर हो जाता है। ज्ञान जब बांटा जाता है तो उसका महत्व बढ़ने लगता है।उन्होंने कहा की कथा कामधेनु गाय है जो बिन मांगे इच्छाओं की पूर्ति करती है। कथा मनोरंजन का साधन नहीं आत्म रंजन की सिद्धि है। अविश्वास के कारण उत्पन्न भय ही हमें भव में डुबाता है। भगवान का भजन और कथा श्रवण अलौकिक आनंद की अनुभूति कराता है।

फलाहारी जी महाराज ने कहा कि जो सुख को कम कर दे उसी का नाम कंस है। इंद्रियों के समूह को ही गोकुल कहा जाता है।जो इंद्रियां संसार के रस का परित्याग करके कृष्ण रस ,भक्ति रस का पान करती हो वही गोपी है ।गोपी गोपन शीला होती है, कृष्ण के प्रेम को अपने हृदय में छुपा कर रखती है, ढिंढोरा नहीं पीटती ।पूज्य फलाहारी जी ने प्रेम की व्याख्या करते हुए कहा की प्रेम प्रदर्शन का नहीं दर्शन की चीज है । प्रेम का पर्यायवाची नाम ही परमात्मा है। प्रेमी प्रियतम के आनंद में ही अपना आनंद मानता है। प्रेमास्पद की इच्छा ही प्रेमी की इच्छा होती है। प्रेम केवल देना जानता है, मांगना तो उसने सीखा ही नहीं।

कहा कि मृत्यु के बाद मुक्ति नहीं मिलती । मुक्ति जीते जी हो जाती है। जीते जी मुक्ति नहीं हुई तो मरने के बाद मुक्ति नहीं मिलेगी।परीक्षित जी महाराज जीते जी मुक्ति के अधिकारी बन गए थे। विवेक के अनादर के कारण आज का समाज दुखी हो रहा है और उस विवेक की प्राप्ति सत्संग से ही संभव है। धर्म दृष्टि को विशाल बनाता है। सभी धर्मों को समभाव से नहीं बल्कि सद्भाव की दृष्टि से देखना चाहिए ।धर्म तो केवल एक है बाद बाकी सब पंथ हैं। माया के बाणो से केवल सच्चिदानंद ही बचा सकते हैं। रामायण हो, भागवत गीता हो,ये सभी हमारे धर्म के ऐसे साम्प्रदायिक प्याऊ है जहां किसी भी पंथ और मजहब वाले इसमें आकर अपनी प्यास बुझा सकते हैं।


इस दौरान रिंकू रसिया के भक्ति गीतों से कथाप्रेमी श्रोता सराबोर होते रहे ।  वाराणसी से पधारे सुप्रसिद्ध गायक रिंकू रसिया के भजन गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो.. प्रेम से बोलो राधे-राधे और जोर से बोलो राधे-राधे.. ऐसे ही भजन और सुभाषितों से कथा पंडाल परिसर आजकल गूंज रहा है।प्रमोद कुमार एवं गोल्डी तिवारी के द्वारा कथा को काफी संगीतमय बना दिया जा रहा है।व्यास पूजन का कार्य आचार्य मदन मोहन द्विवेदी एवं मोहित कुमार मिश्रा के द्वारा कराया गया। इस मौके पर ग्रामवासी सहित अधिक संख्या मेंं महिला श्रद्धालु उपस्थित रही।