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लाल किले पर तिरंगे का अपमान गृह मंत्रालय की विफलता, सुप्रीम कोर्ट के जज से हो जांच- प्रमोद तिवारी




सीडब्लूसी मेंबर प्रमोद तिवारी ने तत्कालीन उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी पर विधेयक पारित कराने को लेकर पीएम के दबाव पर भी की घेराबंदी

अजयपाण्डेय 

लालगंज, प्रतापगढ़।। केन्द्रीय कांग्रेस वर्किग कमेटी के सदस्य तथा आउटरीच एण्ड कोआर्डिनेशन कमेटी प्रभारी प्रमोद तिवारी ने गणतंत्र दिवस पर देश के लाल किले पर धार्मिक झण्डे को फहराए जाने को भारत के स्वाभिमान पर कडा हमला कहा है। वहीं प्रमोद तिवारी ने कहा कि जिस तरह से भाजपा के चुनाव मे आरोपी दीप सिद्धू ने सनी देओल के चुनाव प्रचार की कमान संभाली थी और भाजपा का घोषित प्रचारक होते हुए पीएम के साथ सिद्धू की फोटो भी वायरल हुई है इससे इस तरह से इस घटना की गंभीरता को देखते हुए पूरे प्रकरण की सुप्रीम कोर्ट के जज की निगरानी मे सरकार को जांच गठित करनी चाहिये। लाल किले पर हुई अराजकता को भी प्रमोद ने गृह मंत्रालय की पूरी विफलता करार देते हुए कहा कि यह कृत्य देश के इतिहास मे काले अध्याय के रूप मे सदैव पीड़ा के साथ याद किया जाएगा। गुरूवार को मीडिया से रूबरू प्रमोद तिवारी ने कहा कि लाल किले पर तिरंगे झण्डे का अपमान देश का अपमान है और इसके लिए उन्होनें केन्द्रीय गृह मंत्री को विफलता के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए उनसे नैतिकता के आधार पर त्याग पत्र की मांग की है। सीडब्लूसी मेंबर प्रमोद तिवारी ने कहा कि यदि गृह मंत्री अमित शाह अपनी जिम्मेदारी स्वीकार नही करते तो उन्हें फौरन केन्द्रीय मंत्रिमण्डल से बर्खास्त किया जाना चाहिये। श्री तिवारी ने पीएम मोदी पर भी घटना को लेकर तंज कसते हुए कहा कि पीएम कहा करते थे मैं देश नही बिकने दूंगा और इसके विपरीत लाल किले को एक पूंजीपति को लीज पर दे दिया गया। बकौल प्रमोद तिवारी यदि लाल किला पूंजीपति के हाथ लीज पर न होता तो इस किले पर पूर्ववत सेना का नियंत्रण होता और सेना के रहते देश को लाल किले पर तिरंगे के अपमान की आज पीडा न झेलनी होती। प्रमोद तिवारी ने राज्यसभा मे लीज पर लाल किले को देने के मोदी सरकार के प्रस्ताव का सदस्य रहते विरोध जताने का हवाला देते हुए कहा कि सरकार के गैर जिम्मेदारानापन के चलते देश की शान तिरंगे के अपमान के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया। इधर केन्द्रीय कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य प्रमोद तिवारी ने देश के उपराष्ट्रपति रहे हामिद अंसारी की हाल ही मे प्रकाशित किताब के इस तथ्य के सामने आने पर कि हंगामे के बीच किसान विधेयको को सरकार के लोगों द्वारा पारित कराने का दबाव बनाया गया था। वहीं किताब मे देश के उप राष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति का यह खुलासा करना कि प्रधानमंत्री स्वयं उनके कार्यालय पहुंचकर विधेयक को हंगामे के बीच पारित कराने का दबाव बनाया था। पूर्व राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी ने इसे बेहद संवेदनशील ठहराते हुए कहा कि संवैधानिक पदों पर बैठे दो व्यक्तियो के वार्तालाप का खुलासा यह सवाल उठा गया है कि लोकतंत्र की परंपरा की हत्या का पीएम ने आग्रह किया। उन्होनें प्रधानमंत्री से कहा कि गेंद अब उनके पाले मे है उन्हें स्पष्ट करना चाहिये कि वह इस तथ्य का खण्डन कर रहे है अथवा लोकतांत्रिक परम्परा के हनन के लिए देश से माफी मांगेगे। प्रमोद तिवारी का यह बयान गुरूवार को यहां मीडिया प्रभारी ज्ञानप्रकाश शुक्ल के हवाले से निर्गत किया गया है।