ददरी मेला के बाद सुदिष्टपुरी के धनुषयज्ञ मेले के अस्तित्व पर संकट,क्या सांस्कृतिक विरासतों को बचा पाएगी योगी सरकार,सबसे बड़ा सवाल ?
मधुसूदन सिंह
बलिया : बलिया की संस्कृति पहचान के रूप में सुविख्यात दो मेलो ददरी व धनुषयज्ञ के अस्तित्व पर संकट मंडराने लगा है । पहले भूमाफियाओं ने ददरी मेला के अस्तित्व पर संकट पैदा किया ,और अब धनुषयज्ञ मेला भी खतरे में है ।
यह तब और प्रासंगिक हो जाता है जब योगी सरकार सांस्कृतिक विरासतों को बचाने के लिये कृतसंकल्पित होने की बात करती है और भूमाफियाओं पर नकेल कसने के लिये ऐंटी भूमाफिया कानून बना रखी है । ताजा मामला बलिया से है जहां भाजपा के विधायक ने ही भाजपा के सांसद के भांजे पर बैरिया के सांस्कृतिक विरासत
धनुषयज्ञ मेले की जमीन को गलत तरीके से रजिस्ट्री कराकर नष्ट करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है ।
यूपी की सीएम योगी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में बात अगर जमीनी विवादों और उन विवादों से बढ़े अपराधों की करे तो शायद यह कहना गलत नही होगा कि यूपी सरकार के द्वारा बनाये गए एन्टी भूमाफिया का गठन कम से कम बलिया में तो किसी काम का नही रह गया है। ताजा मामला बैरिया क्षेत्र में लगने वाले सैकड़ो वर्षो पुराना, ऐतिहासिक सुदिष्ट बाबा का मेला और मेले की भूमि को लेकर है , जिसमे भाजपा के विधायक और सांसद दोनो अब आमने-सामने हो गये है।
विवादित जमीन को लेकर बैरिया विधायक सुरेंद्र सिंह ने अपने क्षेत्र में प्रेस कांफ्रेंस कर मीडिया को कुछ दिन पहले ही इसको लेकर अपनी मंशा बता दिया था जिसके बाद इस मामले ने राजनीतिक गलियारे में हड़कम्प मचा दिया। हालांकि इस विवाद पर बलिया के सांसद वीरेंद्र सिंह ने अभी तक अपनी कोई प्रतिक्रिया नही दी है। बीजेपी विधायक का आरोप सांसद के भांजे विनय सिंह पर फर्जी तरीके से मेले की जमीन को हड़पने का है। जहाँ दोनो ही तरफ से राजनीतिक/कूटनीतिक शब्दो का वार किया जा रहा है। यही नही बैरिया विधायक सुदिष्ट बाबा मेले की जमीन को लेकर बुधवार को जिलाधिकारी बलिया से मिले और इस मामले में जांच कर जल्द से जल्द कार्रवाई करने की मांग के साथ दोषियों को सजा दिलाने की बात कही।
इस दौरान विधायक सुरेंद्र सिंह ने कहा कि इसमे कोई भी विधायक, सांसद या मंत्री शामिल होगा तो उसे बख्शा नही जाएगा । यह पूज्य योगी जी की सरकार है ,इसमे भ्रष्टाचार चाहे सांसद करे,विधायक करे, मंत्री करे, या इन लोगो का रिश्तेदार नाते दार करे,कोई भी नही बचेगा ।
यही नही श्री सिंह ने पिछली सरकारों पर भी भ्रष्टाचार के लिये जमकर निशाना साधा। बता दे कि पिछले कुछ दिनों से चल रहे इस जमीनी विवाद ने आम जन को भी हिला कर रख दिया है और लोग चर्चा करने लगे है कि जब योगी सरकार में भूमाफियाओं पर नकेल कसने के लिए तमाम दावे किए गये थे, वो फेल होते जा रहे है, वही केंद्र और राज्य सरकार से ताल्लुक रखने वाले भाजपा के विधायक और सांसद ही जमीन को लेकर विवाद कर रहे है और अब तक इंसाफ नही मिला तो आम जनता का क्या हाल होगा ?
वही जब विधायक सुरेंद्र सिंह से इस मामले को एन्टी भूमाफिया पोर्टल पर शिकायत दर्ज करने को कहा गया तो सवालो से बचते नजर आये । जब बार बार पूंछा गया तो जवाब मिला सभी पर होगा। इस पूरे मामले में बैरिया के भूमि पर राजनीतिक भूचाल मचा है ।अब आगे आने वाला वक्त ही बतायेगा कि एक ही क्षेत्र और एक ही पार्टी के दो बड़े नेता एक दूसरे पर कितना भारी पड़ेंगे।
ददरी मेला की जमीन को भी भू माफियाओं ने बेच कर अस्तित्व को डाल दिया है खतरे में
बाबा सुदिष्ट की समाधि स्थल के पास लगने वाले धनुष यज्ञ मेले पर आया यह अस्तित्व का संकट बलिया जनपद के लिये कोई नई घटना नही है । क्योंकि बलिया के राजनीतिज्ञ कभी भी बलिया की सांस्कृतिक धरोहरों के रूप में सुविख्यात दो मेले -भृगुक्षेत्र में लगने वाले ददरी मेला और सुदिष्टपुरी में लगने वाले धनुष यज्ञ मेले को बचाने के लिये कोई प्रयास नही किये । बलिया के राजनितिज्ञों के लिये इन दोनों धरोहरों को बचाने से ज्यादे अपने लोगो को फायदा पहुंचाना ज्यादे महत्वपूर्ण रहा है । बलिया के जिस ऐतिहासिक ददरी मेला में भारतेंदु हरिश्चंद जैसी हस्ती और देश के सभी नामी गिरामी कवि व शायर अपना काव्यपाठ व शेरो शायरी प्रस्तुत कर अपने आपको गौरवान्वित महसूस किये । भूमाफियाओं द्वारा इसको कब्जा करके बेच देने के बावजूद वही बलिया के राजनेता अपने आप को लज्जित भी महसूस नही किये और ददरी मेला अब अंतिम सांसे गिन रहा है । यह भी बता दे कि ददरी मेला जिस जमीन पर लगता है, वह डूब क्षेत्र में आता है,जहां पक्का निर्माण नही कराया जा सकता है । बावजूद इसके न सिर्फ पक्का निर्माण हुआ है, नगर पालिका ने सड़को नालियों का निर्माण भी कराया है । यह क्षेत्र विनियमित क्षेत्र के अंतर्गत होने के बावजूद बिना नक्शा पास कराये ऊंची ऊंची मकानों का बनना प्रशासनिक लापरवाहियों का भी जीता जाता उदाहरण है । अब अगर सुदिष्ट बाबा के नाम पर लगने वाले मेले को बचाना है तो योगी सरकार को सख्त कदम उठाना पड़ेगा ।
दोनो मेलो पर क्यो आया अस्तित्व का संकट
बलिया जनपद में लगने वाले ये दोनों मेले यहां की सांस्कृतिक विरासत और पहचान को कायम रखने वाले है ।ददरी मेला को देखकर ही अस्सी के दशक में कोलकाता में बिग बाजार की शुरूआत हुई बताया जाता है । जो आज मॉल संस्कृति में बदल चुका है । इन दोनों मेलो के अस्तित्व पर संकट नही आता, अगर पूर्व की सरकारों और वर्तमान सरकार अपने 3 साल के कार्यकाल में राज्य के मेले के कलेंडर में स्थान देकर कम से कम राज्यस्तरीय मेला ही घोषित कर देती । लेकिन खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि बलिया में एक भी राजनेता ऐसा नही पैदा हुआ जो बलिया की इन सांस्कृतिक व ऐतिहासिक विरासतों को बचाने के लिये पहल करता । अब बैरिया विधायक सुरेंद्र सिंह मुहिम छेड़े हुए है तो देखना है कि क्या मेला अधिनियम के प्रकाश में मेले के अस्तित्व को बचा पाते है कि नही ?