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बेटियों का आगे निकलना महिला सशक्तिकरण का प्रत्यक्ष उदाहरण :चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया के प्रथम दीक्षांत समारोह में बोलीं राज्यपाल आनंदीबेन पटेल

बेटियों का आगे निकलना महिला सशक्तिकरण का प्रत्यक्ष उदाहरण :चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया के प्रथम दीक्षांत समारोह में बोलीं राज्यपाल आनंदीबेन पटेल


बलिया 12 दिसम्बर 2019 ।। जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय का प्रथम दीक्षांत समारोह राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में गुरूवार को कलेक्ट्रेट स्थित बहुउद्देशीय सभागार में हुआ। इसमें राज्यपाल ने 27 मेधावियों को स्वर्ण पदक देकर सम्मानित किया। उन्होंने सभी बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के साथ सफलता के मूल मंत्र भी दिए। सामाजिक हित से जुड़े कार्यों पर चर्चा करते हुए हर किसी को इसमें सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने की अपील की।
समारोह की शुरुआत मां सरस्वती व पूर्व पीएम चंद्रेशखर के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया गया। इसके बाद विवि का कुल गीत का गायन टीडी कालेज के संगीत टीचर अरविंद उपाध्याय ने किया।
दीक्षांत समारोह को सम्बोधित करते हुए राज्यपाल श्रीमती पटेल ने कहा कि स्वर्ण पदक प्राप्त करने में बड़ी संख्या हमारी बेटियों की है। निश्चय ही यह बदलते भारत में महिला सशक्तिकरण का ज्वलंत उदाहरण है। बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं का जो नारा प्रधानमंत्री जी ने दिया है, उसका प्रभाव अब सुदूर व पिछड़े क्षेत्र में भी दिखाई देने लगा है।

पवित्र भूमि को किया नमन

- राज्यपाल श्रीमती पटेल ने अपने सम्बोधन की शुरूआत बलिया के महापुरूषों व साहित्यकारों को याद करके किया। उन्होंने कहा, बलिया की धरती कोई सामान्य धरती नहीं है। यहां का इतिहास गौरवशाली रहा है। पौराणिक ऋषि मुनियों के साथ स्वाधीनता आंदोलन के नायकों की धरती है। यहां के लोगों का सौभाग्य है कि ऐसी धरती पर जन्म लिया। आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी, आचार्य परशुराम द्विवेदी, रघुनाथ शर्मा, केदारनाथ सिंह जैसे ख्यातिबद्ध साहित्यकारों के साथ पूर्व पीएम चन्द्रशेखर को भी याद किया।

समाज व राष्ट्र की रीढ़ है शिक्षा

शिक्षा समाज व राष्ट्र की रीढ़ होती है। शिक्षा की शक्ति से सरकार भली भांति परिचित है। सरकार विशेषकर उच्च शिक्षा में बदलाव नवाचार लाने के लिए प्रतिबद्ध है। पाठ्यक्रम से लेकर आधारभूत ढ़ांचे तक में मूलभूत बदलाव किए जाएं, ताकि वैश्विक चुनौतियों व सामाजिक समस्याओं के समाधान करने योग्य युवा पीढ़ी तैयार कर सकें। हमारी कई गंभीर समस्याओं का समधान तकनीकी शिक्षा में निहित है। पर यह भी ध्यान रखना होगा कि कहीं इस दौड़ में हम शिक्षा के बुनियादी लक्ष्य से भटक न जाएं। उन्होंने कहा कि भारतीय चिंतन परंपरा में शिक्षा को चारित्रिक प्रगति का माध्यम माना गया है। आज पूरी दुनिया भारतीय चिंतन प्रणाली की ओर आशा भरी नजरों से देख रही है। उन्होंने अध्यात्म को शिक्षा का अनिवार्य अंग बनाने की अपील की। उपाधि पाने वाले विद्यार्थियों से कहा कि कक्षाओं में जीवन समाप्त नहीं होता बल्कि यहां से शुरुआत होती है। विवेकानंद को उद्धृत करते हुए कहा कि ‘पीछे मत देखो बल्कि आगे देखो‘। उन्होंने विवि कुल गीत के गायन की सराहना की। कहा, कुल गीत में जो कहा गया है उसे सभी छात्र जीवन में उतारें।


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देश की उन्नति युवा पूंजी में निहितः प्रो. सुरेंद्र

- दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा के कुलपति प्रो. सुरेंद्र सिंह ने कहा कि शिक्षा ऐसी न हो जो सिर्फ ज्ञानदायी हो, बल्कि जीवन में विनम्रता और नौतिक मूल्यों का सृजन व संपोषण भी करती हो। उन्होंने कहा कि किसी भी देश की उन्नति हस देश की युवा पूंजी में निहित होती है। उन्होंने विश्वास जताया कि जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय ज्ञान-विज्ञान का सर्वोत्तम केंद्र के रूप में विकसित होगा।

कुलपति ने स्वागत भाषण में बताई विवि की पीड़ा

- 130 महाविद्यालयों वाले जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेंद्र सिंह ने बलिया को क्रांतिकारियों व विद्वानों की भूमि बताते हुए कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल का स्वागत किया। उन्होंने कुलाधिपति के जीवन यात्रा व व्यक्तित्व से परिचित कराया। अपने स्वागत संबोधन में कुलपति ने हाल ही में विवि के जलप्लावन व अन्य समस्याओं पर राज्यपाल का ध्यान आकृष्ट किया। कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने स्मारिका मंथन का विमोचन भी किया। इसके बाद कुलपति प्रो. योगेंद्र सिंह ने राज्यपाल व मुख्य अतिथि प्रो. सुरेंद्र कुमार सिंह को अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया। संचालन डॉ. निशा राघव ने किया।

कुलपति और मेधावियों के बीच हुई प्रश्नोत्तरी

जेएनसीयू के कुलपति प्रो. योगेंद्र सिंह और सभागार में उपस्थित मेधावियों के बीच प्रश्नोत्तरी का दौर भी चला। इस खूबसूरत लमहे को कुलाधिपति ध्यान से देख रहीं थीं। मेधावियों ने भी अपने ज्ञान और वाक्पटुता से अतिथियों का दिल जीत लिया। वहीं, उपाधि प्राप्त करने के लिए आए मेधावी छात्र-छात्राओं के सिर पर पीली पगड़ी देखते ही बन रही थी। दृश्य ऐसा बन गया था मानो पूरा सभागार वसंतोत्सव मना रहा हो।
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पानी के लिये तरशे बच्चो संग अन्य अतिथि
वीवीआइपी कार्यक्रम के सुरक्षा मानकों के अनुसार बहुउद्देश्यीय सभागार परिसर में प्रशासन द्वारा पानी  नही जाने देने के कारण महामहिम राज्यपाल के अतिथि प्राथमिक स्कूलों के बच्चों को प्यासे ही रहना पड़ा । बता दे कि 11 बजे के कार्यक्रम के लिये 50 बच्चो को लगभग 9 बजे ही परिसर में आना पड़ा था । महामहिम राज्यपाल 11 बजे की बजाय 12 बजे कार्यक्रम में आयी । इस बीच कई बच्चे प्यास लगने की शिकायत अपनी शिक्षिकाओ से किये परन्तु शिक्षिकाओ ने सुरक्षा कारणों से पानी नही मिलने की बात कहकर बच्चो को चुपचाप बैठाये रखा । यही नही कार्यक्रम के समापन के बाद बड़े लोग और विश्वविद्यालय के छात्र छात्राये भी लंच करने के बाद पानी के लिये इधर उधर घूमते दिखे ।
   जहां एक हजार आमंत्रित अतिथि और सैकड़ो सुरक्षाकर्मी हो वहां  पीने के लिये पानी की व्यवस्था न होना एक बड़ी प्रशासनिक चूक है । सुरक्षा मानकों के अनुसार बोतल प्रतिबंधित थी , कैम्पस के बाहर नगर पालिका का टैंकर खड़ा करना तो नही ? अगर बाहर टैंकर ही खड़ा होता तो कोई प्यासा नही रहता ।