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बलिया : राष्ट्रीय नाट्य समारोह "संकल्प रंगोत्सव" की दूसरी शाम : बुद्धिजीवी और निठल्ले की डायरी ने परत दर परत खोली सरकार और सामाजिक बुराइयों की पोल,दर्शकों ने खूब बजायी ताली


 बलिया : राष्ट्रीय नाट्य समारोह "संकल्प रंगोत्सव" की दूसरी शाम : बुद्धिजीवी और निठल्ले की डायरी ने परत दर परत खोली सरकार और सामाजिक बुराइयों की पोल,दर्शकों ने खूब बजायी ताली

बलिया 29 दिसम्बर 2019 ।। बलिया में पहली बार आयोजित राष्ट्रीय नाट्य समारोह की दूसरी शाम जबलपुर  की विवेचना रंगमंडल की प्रस्तुति निठल्ले की डायरी और पटना की सांस्कृतिक टीम रंग यात्रा द्वारा प्रस्तुत नाटक बुद्धिजीवी के नाम रही। संकल्प साहित्यक  सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था बलिया द्वारा अपने 15वीं वर्षगांठ पर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय नाट्य समारोह संकल्प रंगोत्सव में शानदार नाट्य प्रस्तुतियों की वजह से जिले में नई सांस्कृतिक चेतना विकसित हुई है । इस आयोजन में प्रतिदिन दो नाटकों की प्रस्तुति हो रही है। यह आयोजन कलेक्ट्रेट स्थित ड्रामा हाल में किया गया है 27 दिसंबर से शुरू इस आयोजन के दूसरे शाम की दोनों ही प्रस्तुतियां शानदार रही और अंत तक दर्शकों को बांधे रखी।












सबसे पहले पटना की सांस्कृतिक टीम रंग यात्रा द्वारा बुद्धिजीवी नाटक का मंचन किया गया । सुप्रसिद्ध संस्कृतिकर्मी हरिवंश जी द्वारा लिखित इस नाटक को निर्देशित किया था युवा रंगकर्मी निशांत ने । राजनीतिक व्यवस्था पर चोट करता मानवीय संवेदना और प्रतिरोध का नाटक  बुद्धिजीवी कोलाज शैली में प्रस्तुत किया गया। यह आधुनिक और लोक शैली का मिश्रण था। नाटक जाति ,धर्म ,संप्रदाय के नाम पर फैलाए जा रहे अंधेरे को उजागर करता है यह नाटक।  मनुष्य को मनुष्य बने रहने और मनुष्यता के पक्ष में खड़े होने का संदेश दे गया यह नाटक ।  इस नाटक में जलेबी बेचने वाले को सरकार बनाना और उसके द्वारा सबको रोने का आदेश देना और जब सभी लोग रोने लगे तो फिर यह कहकर रोने से रोक देना कि यह सरकार सोचेगी कि जनता को रोना है कि नही । हां 100 करोड़ से ऊपर की हैसियत वालो को सोचने पर सरकार का कोई प्रतिबन्ध नही है , आखिर सरकार तो यही लोग चलाते है , कहना लोगो को खूब भाया ।
इस नाटक के माध्यम से आदिवासियों के रहने के स्थानों को विकास के नाम पर छीनकर जिस तरह से उनको बेघर किया जा रहा है और अपने साथ हो रहे अन्याय को विरोध करने वाले को जिस तरह से नक्सली कहकर जेलों में बंद कर यातनाएं दी जाती है उसको रेखांकित करने में  लेखक पूरी तरह से सफल रहा है ।
नाटक में मुख्य रूप से सलोनी , प्रियंका संगीता ,शशांक, रणधीर ,राकेश कुंदन ,नीतीश, रविराज, मयंक, राहुल, आर्यन ,रंजन ,संटू पाल, शिवानी, मानसी, प्रांशु का अभिनय शानदार रहा । पार्श्व संगीत शैलेंद्र मिश्र और निशांत का था। जबकि ध्वनि और प्रकाश व्यवस्था रणजीत कुमार ने संभाली ।





दूसरी प्रस्तुति जबलपुर विवेचना रंगमंडल के निठल्ले की डायरी सुप्रसिद्ध रंग निर्देशक अरुण पांडेय के निर्देशन में प्रस्तुत किया गया। नाटक ने दर्शकों पर अमिट छाप छोड़ा । हरिशंकर परसाई जी के चुटिले व्यंग्य को  कलाकारों ने बखूबी प्रस्तुत किया । भाव संप्रेषण और शारीरिक भाषा के माध्यम से अंत तक लोगों को बांधने में सफल रहते हुए व्यंग के माध्यम से वर्तमान राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था की पोल खोलता परत दर परत यह नाटक 90 मिनट तक लोगों को हिलने नहीं दिया और अंत तक सम्मोहित करके रखा । नाटक में कक्का के भूमिका में नवीन चौबे और निठल्ले की भूमिका में संतोष राजपूत शानदार रहे।मनीष तिवारी ,राकेश ,राजेश वर्मा, गजनीश ,इशानी मिश्रा, आराधना ,ओंकार, श्रीधर, अक्षय शिवहरे ,श्लोक ,सोनी किशोर रावत दिलीप साठे की भूमिका बहुत ही सराहनीय रही। संगीत राजेश्वरी वर्मा का था और ध्वनि और प्रकाश की व्यवस्था किशोर रावत का था। नाट्य प्रस्तुति के बाद संस्था द्वारा नाटक के निर्देशकों एवं विशिष्ट जनों को स्मृति चिन्ह और अंगवस्त्रम देकर के सम्मानित किया गया ।

दूसरे दिन विशेष रुप से  प्रोफेसर यशवंत सिंह , रामजी तिवारी श्रीमती शालिनी श्रीवास्तव डा० कादम्बिनी सिंह , सुशील त्रिपाठी श्वेतांक , जयश मिश्र ,अरविंद कुमार गुप्ता ,डॉक्टर शत्रुघ्न पांडेय, डॉक्टर राजेंद्र भारती समेत सैकड़ों लोग इस कंपकपाती ठंड में कलाकारों का हौसला बढ़ाने के लिए उपस्थित रहे। संकल्प के सचिव आशीष त्रिवेदी ने सभी कलाकारों और आगंतुकों के प्रति आभार व्यक्त किया।