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बलिया : श्रीमद् बाल्मीकि रामायण का दूसरा दिन : ..और महर्षि वाल्मीकि राम लखन को वन ले गए ,भक्तों ने सुनी गुरु शिष्य और राजा दशरथ की कथा

बलिया : श्रीमद् बाल्मीकि रामायण का दूसरा दिन : ..और महर्षि वाल्मीकि राम लखन को वन ले गए ,भक्तों ने सुनी गुरु शिष्य और राजा दशरथ की कथा

बलिया 19 दिसम्बर 2019 ।। द वैदिक प्रभात फाउंडेशन की ओर से रामलीला मैदान में चल रहे श्रीमद्भागवत बाल्मीकी रामायण कथा के दूसरे दिन मंगलवार को जगतगुरु वसुदेवाचार्य विद्याभाष्कर जी महाराज ने गुरु-शिष्य और राजा दशरथ व महर्षि बाल्मीकि के बीच बातचीत की लोमहर्षक कथा सुनायी।
विद्याभाष्कर जी ने कहा कि शिष्य को अपने आप को अज्ञानी समझना चाहिये तभी गुरु ज्ञान देता है। जो गुरु के सामने ज्ञानी बनेगा उसे गुरु कैसे शिक्षा देगा। सात्विक बुद्धि वाले शिष्य को समुचित शिक्षा देनी चाहिए । शिष्य गुरु जी क्या कहते है यह सुनने वाला हो। गुरु जब बुलावे तब अघ्ययन करने गुरु के पास जाने वाला हो । शिष्य को ऐसा होना चाहिए जो  दोष में भी गुण देखने वाला हो। 
महर्षि वाल्मीकि द्वारा  राम जी को  वन में ले जाने की कथा सुनाते हुए उन्होंने बताया कि जब राजा दशरथ और ऋषि वशिष्ठ प्रभु श्री राम की शादी की बात कर रहे थे तभी वहाँ महर्षि विश्वामित्र आये । उन्होंने  राक्षसों से रक्षा के लिये प्रभु राम को वन में साथ ले जाने की राजा दशरथ से इजाजत मांगी ।जब राजा दशरथ भगवान राम को सुकुमार बताते हुए राक्षसों से युद्ध करने में सक्षम नही है कहने लगे तो महर्षि विश्वामित्र बोले राजन ! सत्य पराक्रम वाले राम को मैं जानता हूं, वशिष्ट जानते है। वन में निवास करने वाले ऋषि महर्षि जानते है ।आप सिर्फ ये जानते है कि आपने इनको अंगुली पकड़कर  चलना सिखाया है, अपनी गोद में बैठा कर खेलाया है ।जबकि सत्य यह है कि सारा जगत इनके इशारे पर चलता है । इनके भय से सारा जगत भयभीत होकर सही रास्ते पर चलता है । आपके और  मेरे जानने में भी फर्क है । आप जानते है आपने इनको पैदा किया है अपनी गोद मे लेकर इनको खेलाते है पर मैं यह जनता हूं कि सारा ब्रम्हाण्ड  इनके पेट मे खेलता है। मैं  तप कर रहा हूं इस लिये श्राप भी नही दे सकता। तभी वशिष्ठ मुनि ने राजा दशरथ  को  समझया कि हम राम विवाह की बात कर रहे थे तभी महर्षि विश्वामित्र आए है,इसका मतलब कही न कही उनके  विवाह से इनका सम्बन्ध हैं। इसलिए जैसे ये कहते है वैसे आप करते जाइये विवाह हो जाएगा। वशिष्ठ जी की बात को दशरथ जी मान गए। आज की कथा के यजमान अशोक कुमार गुप्ता रहे।