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बलिया से सबसे बड़ा सवाल : महराजगंज के गो/पशु आश्रय स्थल में रखे गो वंश की कम संख्या पर तो हुई कार्यवाही, पर क्या बलिया के ऐसे ही गुनाहगारो पर होगी कार्यवाही ?

महराजगंज के गो/पशु आश्रय स्थल में रखे गो वंश की कम संख्या पर तो हुई कार्यवाही, पर क्या बलिया के ऐसे ही गुनाहगारो पर होगी कार्यवाही ?
मधुसूदन सिंह

बलिया 15 अक्टूबर 2019 ।।
 माननीय मुख्यमंत्री योगी जी का पशुओ के प्रति मानवीय संवेदना की ही देन थी कि सीएम योगी ने लोगो द्वारा छोड़ दिये गये गो वंशीय पशुओ/ अन्य निराश्रित जानवरो के रखरखाव के विषय मे मात्र सोचे ही नही रहने खाने तक कि व्यवस्था कर डाली । पर धन्य है यूपी के प्रशासनिक अमले के हुक्मरान जिनको हर योजना में भ्रष्टाचार के लिये होल करने में महारथ हासिल है और जांच होने पर लीपापोती में । 
  महराजगंज में सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट गो/पशु आश्रय स्थल में घोटाला और गो वंशी पशुओ की घटी हुई संख्या कोई अजूबी घटना नही है , यह तो हाल पूरे प्रदेश का है । हर जगह इन आश्रय स्थलों के शुरुआत के समय जो गो वंशो की संख्या थी वह सरकार द्वारा इनके रखरखाव पर भारी भरकम धनराशि खर्च करने के बाद घट कैसे गयी यह कोई पूंछने वाला नही है ? या यूं कहें कि इस योजना से जुड़े लोगों के सम्बंध में यही कहा जा सकता है- हमाम में सभी नंगे है । 
   बलिया में भी इस योजना की सेहत ठीक नही है । अगर उदाहरण के लिये मात्र  रसड़ा तहसील के नगरा ब्लाक के रघुनाथपुर स्थित गो/पशु आश्रय स्थल की बात करे तो इसके शुभारम्भ के समय यहां 146 गो वंशीय जानवर रखे गये थे । लेकिन वह रे इस आश्रय स्थल के कर्त्ताधर्त्ता गण , इनकी अति उत्तम देखरेख के चलते एक साल से भी कम समय मे यह संख्या 146 से मात्र 47 पर आ गयी । यह 47 भी इस आश्रय गृह में नही है यानी पूरा का पूरा आश्रय स्थल खाली । जबकि बचे हुए 47 बछड़ो को जिन गांवों में रखे जाने की बात सीवीओ बलिया ने अपनी रिपोर्ट में कही है उन दोनों गांवो के प्रधानों ने सिरे से ही खारिज कर दिया है । 
   अब सवाल यह उठ रहा है कि जब बलिया के एक आश्रय स्थल में ही 146 से संख्या 47 (अधिकारियों के अनुसार जनता के अनुसार शून्य) हो गयी है तो अन्य आश्रय स्थलों की क्या होगी , खुद से अंदाजा लगाया जा सकता है । अब लोगो मे महराजगंज में हुई बड़ी कार्यवाई से यह उम्मीद जगी है कि गोवंशीय जानवरो के बलिया में चारा खाने वालों और इनकी मौतों के जिम्मेदारों पर भी कार्यवाई होने की उम्मीद जगी है । अगर ऐसा होता है तो यहां भी पशुओ का चारा स्वयं खाकर पशुओ को मौत के मुंह मे झोकने वाले जिम्मेदारों की गर्दन कानून के फंदे की शोभा बढ़ाती हुई नजर आएगी , बस उच्च स्तरीय जांच की जरूरत है ।
     बलिया एक्सप्रेस द्वारा इस संबंध में पूर्व में प्रकाशित खबर नीचे दी जा रही है जो दूध का दूध और पानी का पानी कर देंगी ।


बलिया से बड़ी खबर : सीएम योगी के ड्रीम प्रोजेक्ट को फेल करने की हुई प्रशासनिक साजिश , गो/पशु आश्रय स्थल मे हुआ भारी खेल ,सरकारी धन की लूट में चारा पानी के अभाव में पशुओ की हुई मौत, खबर छपने के बाद सीवीओ की झूठी रिपोर्ट के आधार पर एसडीएम व बीडीओ ने सौपी डीएम को झूठी रिपोर्ट
मधुसूदन सिंह की एक्सक्लुसिव रिपोर्ट

बलिया 5 अक्टूबर 2019 ।।
रसड़ा तहसील के रघुनाथपुर स्थित पशु आश्रय स्थल में रखे गये 136 पशुओ की धीरे धीरे हुई मौत की खबर प्रकाशित होने से एक तरफ जहां मुख्यमंत्री योगी जी का ड्रीम प्रोजेक्ट भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है , वही इसको अब प्रशासनिक अमला अपनी झूठी रिपोर्ट के आधार पर यह साबित करने की फिराक में है कि यह भ्रष्टाचार नही बल्कि प्राकृतिक मौतों के चलते पशुओ की मौते हुई है । इस आश्रय गृह के आसपास के लगभग 6 किमी की दूरी तक आधा दर्जन के करीब बछड़ो के मृत शरीर की दुर्गंध से राह चलना मुश्किल हो गया है , वही सीवीओ बलिया अपनी रिपोर्ट देते है कि सड़क पर पड़े बछड़ो के शव दुर्घटना में मरे बछड़ो के है , न कि रघुनाथपुर के पशु आश्रय गृह के । यही नही सीवीओ बलिया यह भी अपनी रिपोर्ट में लिखे है कि पशु आश्रय गृह के 47 पशु दो गांवो में रखे गये है , एक गांव में 30 और दूसरे गांव में 17 । इसी रिपोर्ट की तस्दीक बीडीओ और एसडीएम भी अपनी अपनी रिपोर्टों में करके जिलाधिकारी बलिया को भेज दिए है ।


    जब रिपोर्ट में बताये गये गांवो का दौरा करके बलिया एक्सप्रेस की टीम ने हकीकत जानी तो सीवीओ से लगायत बीडीओ व एसडीएम रसड़ा की 47 पशुओ के रखे जानी वाली रिपोर्ट सिरे से ही फर्जी निकली । इन गांवों के ग्राम प्रधानों ने कैमरे में दिये गये अपने बयानों में साफ कहा है कि हमारे गांवो में पशु आश्रय गृह का कोई भी पशु नही रखा गया है । अब सोचने वाली बात यह है कि जब ग्राम प्रधानों को ही नही मालूम है कि उनके गांव में इतनी संख्या में पशु रखे गये है तो कौन सी रिपोर्ट सच्ची है और कौन झूठी ? यह स्वतः मालूम पड़ जा रही है ।
   अब सवाल यह उठ रहा है कि आखिर किस बड़ी मछली को बचाने की कोशिश अधिकारियों द्वारा की जा रही है ? क्या गो पालक सीएम योगी इस अपराध को , बेजुबानों की हत्या को भूल कर माफ कर देंगे , कदापि नही । सीएम योगी 136 गो वंश से 47 पहुंच गई संख्या को नजरअंदाज कर देंगे (47 की संख्या भी रिपोर्ट में है, मौके पर नही),  कत्तई नही करेंगे ऐसा आमजन को भरोसा है । सबसे हैरान करने वाली बात सीवीओ बलिया की सड़क किनारे पड़े बछड़ो के शवों के संबंध में दी गयी रिपोर्ट है जिसमे इनका बिना पोस्टमार्टम किये ही रिपोर्ट दे दिए है कि इन सबकी मौत दुर्घटना में हुई है ।  वही बिना किसी फोटोग्राफ और ग्राम प्रधानों से पूंछताछ के ही लिख दिये कि इन इन गांवों में इतने पशु मौजूद है ।
वही एसडीएम महोदय अपने बयान में दावा किये है कि इस आश्रय स्थल में जितने भी पशु थे सबके सब सकुशल और जीवित है पर यह नही बता रहे है कि इस आश्रय स्थल के खुलने के समय यहां कितनी संख्या थी और आज अभी एक साल भी नही हुए है और इनकी अपनी रिपोर्ट में 47 कैसे रह गयी है ।



Byte-प्रधान रघुनाथपुर रीता देवी

Byte-प्रधान रामनरेश यादव खैरा नवाबगंज

Byte-SDM vipin jain



Byte-BDO Ramashish



Byte-gramin



4 अक्टूबर की बलिया एक्सप्रेस द्वारा प्रकाशित खबर
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छुट्टा बछड़ो का कब्रिस्तान बना गौ संरक्षण केंद्र रघुनाथपुर (नगरा बलिया) ,क्या बचाने की जगह मारने के लिये खुले है यह संरक्षण केंद्र ?  136 बछड़ो में अब एक भी नही है मौजूद
संतोष द्विवेदी की स्पेशल रिपोर्ट




नगरा बलिया 4 अक्टूबर 2019 ।। अहिंसा परमो धर्म: को अपने जीवन का सूत्र/लक्ष्य वाक्य बनाने वाले बापू की 150 वी जयंती धूम धाम से मनाने वाले , गौ वंश और गायों को माता के रूप में सर्वदा पूजने वाले , गोरखनाथ पीठ के पीठाधीश्वर व प्रदेश सरकार के मुखिया सीएम योगी ने जब गोवंशों के संरक्षण की घोषणा की थी तो हर हिन्दू का सीना गर्व से चौड़ा हो गया था । कारण कि जहां सीएम योगी ने गो तस्करी पर सख्ती के साथ रोक लगायी थी , तो वही किसानों की फसलों को आवारा/छुट्टा घूमने वाले बछड़ो से होने वाले नुकसान को रोकने के लिये गो संरक्षण केंद्रों की स्थापना भी करा दी थी । बड़े ही जोरशोर से इन केंद्रों पर छुट्टा बछड़ो को पकड़कर पहुंचा भी दिया गया । मंत्री गणों से लेकर तमाम प्रशासनिक उच्चाधिकारियों ने वहां का निरीक्षण/ दौरा करके खूब फोटो खिंचवाये और अपने आप को सीएम योगी की नजर में सबसे बड़ा गौ सेवक बनने की होड़ में लगे रहे । पर दुर्भाग्य के साथ कहना पड़ रहा है कि गो पालक सीएम के राज में वो हो गया जो किसी को सपने में भी उम्मीद नही थी । बागी बलिया के गो संरक्षण केंद्र रघुनाथपुर नगरा बलिया के जिम्मेदारों ने धन लोलुपता में वो कर दिया जो सीएम योगी ने सपने में भी नही सोचा था । जिस गो संरक्षण केंद्र में कभी 146 बछड़े आकर दुत्कार और दरदर भोजन के लिये भटकने के अभिशप्त जीवन से मुक्ति देने के लिये सीएम योगी को न जाने कितनी दुआएं दी होंगी परन्तु जब आज एक साल भी नही हुए और यह गो संरक्षण केंद्र , आज संरक्षण की जगह यह केंद्र गो वंश का कब्रगाह बन गया है । आज इस केंद्र में एक भी बछड़े अब नही है । अब तो लोगो मे यह चर्चा
भी होने लगी है कि क्या ये केंद्र बछड़ो की कब्रगाह के लिये खुले है ?



     यह दर्शाता है कि सीएम योगी की सरकार द्वारा बनाए गए गौ संरक्षण केंद्र में रखे गए छुट्टा पशुओं के प्रति जिला प्रशासन कितना गंभीर है। यह नगरा क्षेत्र के रघुनाथपुर गांव स्थित गौ संरक्षण केंद्र में देखने को मिल रहा है, जहा प्रशासनिक उदासीनता के चलते आज एक भी छुट्टा बछड़े नहीं बचे है। नगरा रसड़ा मार्ग पर लबे सड़क फेके गए इन मृत बछड़ों के शव के सडांध से राहगीरों का चलना मुश्किल हो गया है। विकास खंड नगरा के जिम्मेदार अधिकारी इस मामले पर मुंह खोलने से कतरा रहे है।
          प्रदेश सरकार किसानों के फसलों के नुकसान को देखते हुए  प्रदेश के प्रत्येक ब्लाकों में गौ संरक्षण केंद्र बनाने का निर्णय लिया। विकास खंड नगरा के रघुनाथपुर गांव में अफसरों के संज्ञान में लाखो रुपए खर्च कर गौ संरक्षण केंद्र का निर्माण कराया गया और नगरा विकास खंड पर अस्थाई तौर पर बने गौ संरक्षण केंद्र से 136 छुट्टा बछड़े रघुनाथपुर स्थित गौ संरक्षण केंद्र में अफसरों ने भेज दिया। इसके अलावे आसपास के ग्रामीणों ने भी डेढ़ दर्जन से ऊपर बछड़े गौ संरक्षण केंद्र भेज दिए। अब इस गौ संरक्षण केंद्र में एक भी छुट्टा बछड़े मौजूद नहीं है। ग्रामीणों की माने तो एक सप्ताह के अंदर एक दर्जन बछड़े चारे एवं रख रखाव के अभाव में दम तोड चुके है, जिन्हें रसड़ा नगरा मार्ग पर पटरियों के किनारे ले जाकर फेक दिया गया है। इस मार्ग पर मृत बछड़ों के शवों के निकल रहे बदबू से राहगीरों का चलना दुश्वार है। माह जून में नगरा ब्लाक के अस्थाई केंद्र से बछड़ों के मरने का सिलसिला शुरू हुआ, वो माह सितम्बर तक जारी रहा।आज स्थिति यह आ गई है कि इस पशु आश्रय गृह में एक भी छुट्टा बछड़ा नहीं है। रघुनाथपुर ग्रामपंचायत के सचिव राम सहाय ने पूछने पर बताया कि गौ संरक्षण केंद्र में 43 बछड़े थे। जिन्हें दूसरे गांव में सुरक्षित स्थान पर हटा दिया गया है। नगरा रसड़ा मार्ग पर सड़क पर मरे बछड़े वाहन की चपेट में आकर मरे है। सचिव यह बताने में असमर्थ रहा कि बछड़े किस सुरक्षित स्थान पर भेजे गए है।