वाराणसी: बच्चो ने कहा-" दादा जी" पीएम मोदी ,भूख बर्दाश्त नही होती , दे दीजिये सहारा ,नही तो दे दीजिये हमारे परिवार को इच्छा मृत्यु का आदेश
वाराणसी: बच्चो ने कहा-" दादा जी" पीएम मोदी ,भूख बर्दाश्त नही होती , दे दीजिये सहारा ,नही तो दे दीजिये हमारे परिवार को इच्छा मृत्यु का आदेश
रंजीत कुमार
वाराणसी 8 सितम्बर 2019 ।।
अभी अपने बेटे को नेपाल की जेल से छुड़ाने के लिये तख्ती पर लिखकर 33 महीने से सहायता मांगती हुई दरदर भटकने वाली बुढ़िया अम्मा की पीएम मोदी से लगायी जा रही गुहार वाली खबर ठंडी भी नही हुई थी कि रोग और भूख से तड़पते मासूम बच्चों संग महिला की इच्छामृत्यु की मांग ने सरकारी योजनाओं की हकीकत को जग जाहिर कर दिया है । अगर पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में ही नेता से लेकर प्रशासनिक अधिकारी संवेदनहीन हो गये है तो और क्षेत्रो की कल्पना आप लोग स्वयं कर सकते है ।
मोदी सरकार ने जिस आयुष्मान योजना की शुरुआत बड़े जोरशोर से की है, उसकी असली तस्वीर पीएम के संसदीय क्षेत्र में ही बदत्तर रूप में नजर आ रही है। वाराणसी की एक महिला ने अपने पति का इलाज न करा पाने और गरीबी की मजबूरी के कारण अपने बच्चों के साथ इच्छामृत्यु मांगकर सरकार के दावों पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। बता दे कि चोलापुर के मुरेरी गांव की रहने वाली सुमन मिश्रा को अपने सात और दस साल के दो बच्चों प्रिंस और रौनक के साथ शनिवार को जब वाराणसी कचहरी में पहुंचीं तो गरीब परिवार की हालत देखकर लोगों का दिल पसीज गया। तख्तियों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘दादा जी’ संबोधित करते लिखा था कि ‘आयुष्मान योजना का लाभ और एक दाना भी नहीं मिला। भूख सहन नहीं होती। अब इच्छामृत्यु दे दो।'
कई बार किया आवेदन, नहीं मिली मदद
बिलखते हुए सुमन ने बताया कि प्राइवेट नौकरी करने वाले उसके पति संजय मिश्र एक साल से किडनी की बीमारी से जूझ रहे हैं। इस वजह से नौकरी छूट गई। दोनों किडनी खराब होने से सप्ताह में तीन दिन डायलिसिस कराना होता है। पति की तबीयत बिगड़ने पर आयुष्मान भारत योजना में कई बार आवेदन किया मगर योजना का लाभ नहीं मिल सका।
पैसों का इंतजाम ना होने से भूख से परेशान हैं बच्चे
पति की जान बचाने के लिए सुमन ने गहने, घर के बर्तन व अन्य सामान बेच दिए। यहां तक कि सुहाग की निशानी भी बिक गई। दोनों बच्चों की पढ़ाई भी छूट गई। अब दो समय की रोटी के लिए भी पैसे न बचने से बच्चे भूख से बिलबिला रहे हैं तो संजय का इलाज भी नहीं हो पा रहा है। सुमन का कहना है कि वह अपने पति को मरता हुआ नहीं देख सकती। इस वजह से बच्चों के साथ इच्छा मृत्यु मांग रही है।
मोदी के कार्यालय प्रभारी बोले- चंदौली के सांसद से मांगो मदद
कचहरी परिसर में कुछ लोगों ने सुमन को आर्थिक मदद की और प्रधानमंत्री के संसदीय कार्यालय रवींद्रपुरी जाने की सलाह दी। वहां जाने पर कार्यालय प्रभारी ने दो टूक कहा, उसके रहने का इलाका चंदौली संसदीय क्षेत्र में आता है। इसलिए अपने सांसद डॉ.महेंद्र नाथ पांडेय से संपर्क करे। कही से भी मदद की आस न होने पर बच्चों को लिए सुमन उस अस्पताल के बाहर रोती-बिलखती रही, जहां उसका पति भर्ती है।
रंजीत कुमार
वाराणसी 8 सितम्बर 2019 ।।
अभी अपने बेटे को नेपाल की जेल से छुड़ाने के लिये तख्ती पर लिखकर 33 महीने से सहायता मांगती हुई दरदर भटकने वाली बुढ़िया अम्मा की पीएम मोदी से लगायी जा रही गुहार वाली खबर ठंडी भी नही हुई थी कि रोग और भूख से तड़पते मासूम बच्चों संग महिला की इच्छामृत्यु की मांग ने सरकारी योजनाओं की हकीकत को जग जाहिर कर दिया है । अगर पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में ही नेता से लेकर प्रशासनिक अधिकारी संवेदनहीन हो गये है तो और क्षेत्रो की कल्पना आप लोग स्वयं कर सकते है ।
मोदी सरकार ने जिस आयुष्मान योजना की शुरुआत बड़े जोरशोर से की है, उसकी असली तस्वीर पीएम के संसदीय क्षेत्र में ही बदत्तर रूप में नजर आ रही है। वाराणसी की एक महिला ने अपने पति का इलाज न करा पाने और गरीबी की मजबूरी के कारण अपने बच्चों के साथ इच्छामृत्यु मांगकर सरकार के दावों पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। बता दे कि चोलापुर के मुरेरी गांव की रहने वाली सुमन मिश्रा को अपने सात और दस साल के दो बच्चों प्रिंस और रौनक के साथ शनिवार को जब वाराणसी कचहरी में पहुंचीं तो गरीब परिवार की हालत देखकर लोगों का दिल पसीज गया। तख्तियों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘दादा जी’ संबोधित करते लिखा था कि ‘आयुष्मान योजना का लाभ और एक दाना भी नहीं मिला। भूख सहन नहीं होती। अब इच्छामृत्यु दे दो।'
कई बार किया आवेदन, नहीं मिली मदद
बिलखते हुए सुमन ने बताया कि प्राइवेट नौकरी करने वाले उसके पति संजय मिश्र एक साल से किडनी की बीमारी से जूझ रहे हैं। इस वजह से नौकरी छूट गई। दोनों किडनी खराब होने से सप्ताह में तीन दिन डायलिसिस कराना होता है। पति की तबीयत बिगड़ने पर आयुष्मान भारत योजना में कई बार आवेदन किया मगर योजना का लाभ नहीं मिल सका।
पैसों का इंतजाम ना होने से भूख से परेशान हैं बच्चे
पति की जान बचाने के लिए सुमन ने गहने, घर के बर्तन व अन्य सामान बेच दिए। यहां तक कि सुहाग की निशानी भी बिक गई। दोनों बच्चों की पढ़ाई भी छूट गई। अब दो समय की रोटी के लिए भी पैसे न बचने से बच्चे भूख से बिलबिला रहे हैं तो संजय का इलाज भी नहीं हो पा रहा है। सुमन का कहना है कि वह अपने पति को मरता हुआ नहीं देख सकती। इस वजह से बच्चों के साथ इच्छा मृत्यु मांग रही है।
मोदी के कार्यालय प्रभारी बोले- चंदौली के सांसद से मांगो मदद
कचहरी परिसर में कुछ लोगों ने सुमन को आर्थिक मदद की और प्रधानमंत्री के संसदीय कार्यालय रवींद्रपुरी जाने की सलाह दी। वहां जाने पर कार्यालय प्रभारी ने दो टूक कहा, उसके रहने का इलाका चंदौली संसदीय क्षेत्र में आता है। इसलिए अपने सांसद डॉ.महेंद्र नाथ पांडेय से संपर्क करे। कही से भी मदद की आस न होने पर बच्चों को लिए सुमन उस अस्पताल के बाहर रोती-बिलखती रही, जहां उसका पति भर्ती है।