बीबीसी की स्पेशल रिपोर्ट : पीएम मोदी से मिलेंगी ममता बनर्जी, हैरत में बंगाल !
बीबीसी की स्पेशल रिपोर्ट : पीएम मोदी से मिलेंगी ममता बनर्जी, हैरत में बंगाल !
प्रभाकर एम की रिपोर्ट
कोलकता 18 सितम्बर 2019 ।।
जानिये पीएम मोदी और सीएम ममता के बीच की अबतक की खट्टी मीठी दास्तान ---
दीदी बंगाल के विकास में स्पीडब्रेकर हैं- मोदी
मोदी को अब एक्सपायरी बाबू कहूंगी- ममता
दीदी चिटफंड घोटाले के दोषियों को बचा रही हैं. बंगाल में सिंडीकेट का राज है- मोदी
मोदी का मुंह सिल देना चाहिए- ममता
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रिश्तों की कड़वाहट किसी से छिपी नहीं है.
लोकसभा चुनावों के दौरान इन रिश्तों में काफ़ी कड़वाहट घुली थी. ऊपर इन दोनों नेताओं की टिप्पणियां तो इस कड़वाहट की महज एक झलक है.

ममता का दिल्ली जाना
ममता ने ये तक कह दिया था कि वे मोदी को प्रधानमंत्री नहीं मानतीं.
अब उन्हीं ममता ने मंगलवार को न सिर्फ़ मोदी को जन्मदिन की बधाई दी बल्कि बुधवार को दिल्ली में उनके साथ मुलाक़ात भी करेंगी.
ममता ने दिल्ली रवाना होने से इसे एक सद्भावना मुलाक़ात बताया है.
बंगाल के राजनीतिक हलकों में दोनों नेताओं की इस मुलाक़ात को काफ़ी अहम माना जा रहा है.
जो ममता अब तक मोदी की बुलाई तमाम बैठकों में जाने से बचती रही हैं उनके इस तरह अचानक दिल्ली जाने से राजनीतिक पर्यवेक्षक भी हैरत में हैं.
इसी वजह से यहां क़यासों का दौर तेज़ हो गया है.
विपक्षी दलों ने जहां इसके लिए ममता की खिंचाई की है वहीं यह सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या दोनों नेताओं के रिश्तों पर जमी बर्फ़ पिघल रही है और अगर हां तो इसकी वजह क्या है?

मोदी की कट्टर आलोचक
ये बैठक ऐसे समय हो रही है जब राज्य में शारदा समूह के चिटफंड घोटाले की जांच कर रही सीबीआई तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं के अलावा कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त राजीव कुमार के पीछे हाथ धो कर पड़ी है.
ममता बनर्जी, जो तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष भी हैं, हाल के बरसों में भाजपा और मोदी की सबसे कट्टर आलोचक रही हैं.
लोकसभा चुनावों के बाद यह इन नेताओं के बीच पहली औपचारिक बैठक होगी.
दोनों नेताओं की आख़िरी औपचारिक मुलाक़ात बीते साल 25 मई को शांतिनिकेतन स्थित विश्व भारती विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के दौरान हुई थी.
ममता ने मंगलवार को दिल्ली रवाना होने से पहले यहां नेताजी सुभाष चंद्र बोस एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बातचीत में अपने दौरे को रूटीन बताया.
उनका कहना था, "बैठक के दौरान बंगाल से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर बातचीत होगी. इनमें राज्य को मिलने वाली बकाया रक़म का मुद्दा भी शामिल होगा."

कांग्रेस और सीपीएम के आरोप
ममता ने कहा कि बैठक के दौरान वे राज्य का नाम बदलने के अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय का मुद्दा भी उठाएंगी.
उन्होंने कहा, "मैं दिल्ली कम ही जाती हूं. यह एक रूटीन दौरा है. अबकी मैं राज्य को मिलने वाली बकाया रक़म के बारे में बात करने जा रही हूं. इसके अलावा बंगाल का नाम बदलने का मुद्दा भी उठाऊंगी."
उन्होंने कहा कि बैठक के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय, एअर इंडिया, बीएसएनएल और रेलवे जैसे मुद्दों पर भी बातचीत करेंगी जहां काफ़ी समस्याएं हैं.
ममता ने कहा कि इन संस्थानों के कर्मचारी कहीं और नहीं जा सकते. ये लोग राज्य सरकार से गुहार लगाते हैं.
इस बीच, तमाम विपक्ष राजनीतिक दलों ने मोदी से मुलाक़ात के ममता के फ़ैसले के लिए उनकी आलोचना की है.
ख़ासकर कांग्रेस और सीपीएम ने 'मोदी-दीदी भाई-भाई' का नारा बुलंद करते हुए कहा है कि तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी तो पहले से ही मिली हुई हैं. अब इस मुलाक़ात से ये बात साबित हो गई है.

केंद्रीय एजेंसियों की बढ़ती सक्रियता
सीपीएम नेता सुजन चक्रवर्ती कहते हैं, "ममता ने पीएम पर क्या-क्या नहीं कहा था. अब केंद्रीय जांच एजेंसियों की घेरे की आशंका पैदा हुई है तो वो दिल्ली की दौड़ लगा रही हैं."
उन्होंने विधानसभा में कहा कि तृणमूल के लोग अच्छी तरह जानते हैं कि सेटिंग कैसे की जाती है. चक्रवर्ती कहते हैं, "पूर्व पुलिस आयुक्त राजीव कुमार का जाना तो तय है. अब बुआ (ममता) और भतीजे (सांसद अभिषेक बनर्जी) बच सकें, यही दिल्ली दौरे का एकमात्र मक़सद है."
कांग्रेस नेता अब्दुल मन्नान ने भी यही आरोप लगाया है.
उनका कहना है, "केंद्रीय एजंसियों की बढ़ती सक्रियता को रोकने के लिए ही ममता मोदी से मुलाक़ात करने जा रही हैं. दूसरी ओर, कांग्रेस और सीपीएम के इस हमले से प्रदेश बीजेपी नेता भी सकते में हैं."
उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व को बंगाल की ज़मीनी राजनीतिक पारस्थिति से अवगत करा दिया है.

प्रधानमंत्री से मुलाक़ात
बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा कहते हैं, "ममता, दरअसल शारदा और नारदा मामले पर बात करने के लिए ही दिल्ली गई हैं. आर्थिक मांगें तो महज एक बहाना है."
प्रदेश बीजेपी के एक अन्य नेता नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं, "अपने पैरों तले की ज़मीन लगातार खिसकते देख कर ही ममता वर्ष 2021 के विधानसभा चुनावों में अपनी कुर्सी बचाने के लिए समझौते का संदेश लेकर दिल्ली गई हैं. प्रदेश बीजेपी ने अपनी यह आशंका पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह और कार्यकारी अध्यक्ष जे.पी.नड्डा को भी बता दिया है."
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि राजनीति अपनी जगह है. लेकिन ममता के अड़ियल रवैए की वजह से केंद्र ने कई सरकारी योजनाओं के लिए आवंटित रकम में कटौती कर दी है.
इसके अलावा राज्य कई आर्थिक समस्याओं से भी जूझ रहा है. ममता प्रधानमंत्री से मुलाक़ात के दौरान इन समस्याओं को दूर करने का अनुरोध करेंगी.
राजनीतिक विश्लेषक मइदुल इस्लाम कहते हैं, "ममता का ये दौरा उनकी रणनीति का हिस्सा हो सकता है. इसके साथ ही शायद उनको समझ में आ गया होगा कि केंद्र से रिश्ते बिगाड़ कर राज्य चलाना मुश्किल है."