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गोरखपुर : योगी जी जरा इधर भी कीजिये नजरें इनायत :भुखमरी के कगार पर मदरसों के शिक्षक

 योगी जी जरा इधर भी कीजिये नजरें इनायत :भुखमरी के कगार पर मदरसों के शिक्षक 
 ए कुमार की रिपोर्ट




 गोरखपुर 5 फरवरी 2019 ।।
 भुखमरी के कगार पर मदरसों के शिक्षक, 34 महीने से नहीं मिला मानदेय, कर्ज में डूब रहे मदरसों के शिक्षक, जी हां सुन कर आपको हैरत हो रहा होगा, लेकिन जहा एक तरफ सरकारे शिक्षा को लेकर लाखो करोडो खर्च करने की बात कह रही है, वही सैकड़ो शिक्षको को पिछले 34 महीने से मानदेय नहीं मिला है, लिहाजा उनके घर की माली हालात बत से बत्तर हो गई है, और आज वो भुखमरी के कगार पर पहुच गए है । इन सभी शिक्षकों की  यही दरख्वास्त है कि प्रदेश भर के आवारा पशुओं को भी भूख से निजात दिलाने के लिये आदेश देने वाले सीएम योगी जी हम इंसानो के घरों में आसन लगाकर बैठ चुकी कंगाली और भूख को दूर करने के लिये 34 माह से लंबित वेतन के मानदेय को देने की जल्द से जल्द कृपा करें ।
 बता दे कि केंद्र पुरोनिधरित मदरसा आधुनिकरण योजना के तहत जिले के करीब (एसपीकईएम्) 163 मदरसों में तैनात करीब 489 शिक्षक का 34 माह का मानदेय बनाया है, करीब साढ़े पांच माह से राज्यांश भी नहीं मिला है, शिक्षको के हालात खराब है, पैसे पैसे के मोहताज हुए मदरसों के शिक्षक पिछले काफी दोनों से लखनऊ में धरना प्रदर्शन भी कर रहे है, मदरसों में आधुनिक शिक्षा व्यवस्था बेपटरी होने वाली है, वही मदरसों की जाँच सरकार द्वारा कई बार करवाई जा चुकी है, मदरसा व् शिक्षको का सारा विवरण पोर्टल पर मौजूद है, केंद्र व् राज्य सरकार के रवैये के विरोध में शिक्षक दिल्ली से लेकर लखनऊ तक गुहार लगा चुके है । मोहम्मद आजम (शिक्षक मदरसा), गोजिया सम्बन्ध (मदरसा शिक्षिका), शबाना (मदरसा शिक्षिका),आफर फातिमा (मदरसा शिक्षिका), नावेद आलम (मदरसा शिक्षक), मोहम्मद आजम (मदरसा शिक्षक) ने हमारे संवाददाता से अपनी अपनी परेशानियों को रुद्धे गले से बताया है । 
इन लोगो द्वारा लखनऊ से दिल्ली तक फरियाद पहुंचायी गयी लेकिन कही पर भी इनकी कोई सुनवाई नहीं हुई । विगत 25 दिनों से लखनऊ के इको गार्डन में शिक्षको का अनिश्चितकालीन धरना भी जारी है । 
सूच्य हो कि प्रदेश के करीब 6726 मदरसों में उक्त योजना संचालित है, जिसमे करीब 20000 शिक्षक मदरसों में आधुनिक विषयों की शिक्षा विगत सन 1998 से देते चले आ रहे है, काफी समय से यह शिक्षक उपेक्षित है, जिस वजह से शिक्षक आज भुखमरी व् कर्ज के कगार पर आ गए है, इस योजना एके तहत केंद्र सरकार स्नातक शिक्षक को 6 हजार रूपये और स्नातकोतर शिक्षक को 12 हजार रूपये देती है, और राज्य सरकार स्नातक शिक्षक को  2 हजार व् स्नातकोत्तर शिक्षको को 3 हजार रूपये अलग से देती है, पिछले साल सितम्बर माह में जब राष्टीय अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य सरकार मंजीत सिंह राय जिले में आये थे, तो उनके सामने शिक्षको की समस्या उठी थी, इस पर उन्होंने आश्वस्त किया था, की समस्या का समाधान 15 दिनों में करायेंगे, लेकिन अभी तक कुछ भी नहीं हुआ ।

34 माह से मानदेय न मिलने से इन शिक्षकों के घरों का  मंजर आज ये है, कि तमाम शिक्षक आज कर्जदार हो गए है, किसी के पास अपने बच्चो को पढ़ाने के लिए पैसे नहीं है, तो किसी को अपने घर चलाने के लिए तो किसी को इलाज कराने के लिए पैसे नहीं है, उधार मागने पर अब इन्हें कोई उधार देने को तैयार नहीं, कि उधार देने के बाद ये पैसे कहा से देगा, क्योकि अब हमारी वो उम्र भी नहीं कि हम कोई और काम कर सके ।
 पीएम और सीएम के नारे सबका साथ सबका विकास पर विश्वास करके ये लोग अब तक इंतज़ार कर रहे है बर्ना इन शिक्षको में इस कदर गुस्सा भर चुका है, कि उन्होंने साफ़ कह दिया है, कि अगर सरकार हमारी मांगे नहीं मानती है, और शिक्षको के समस्याओ के प्रति कोई उचित कदम नहीं उठाती है, तो आने वाले चुनाव में सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा, क्योकि हम इस उम्र में कुछ नहीं करते हमारा अधिकार हमारा वोट है, हमारी ताकत हमारा वोट है, और हम इसी से आने वाले समय में जवाब देंगे |